Joshimath Disaster: उत्तराखंड के जोशीमठ आपदा (Joshimath Disaster) कितना भयानक है, इस पर अब पर्दा डाला जाने लगा है। जोशीमठ आपदा (Joshimath Disaster) को लेकर नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA) ने नया आदेश जारी कर कुछ दिशा निर्देश दिए हैं। नए आदेश के अनुसार, जोशीमठ के ताजा हालात को लेकर केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक का कोई भी अधिकारी मीडिया को जानकारी या ब्रीफ नहीं देगा। बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की रिपोर्ट के बाद एनडीएमए ने यह आदेश दिया है। इतना ही नहीं एनडीएमए की रिपोर्ट के बाद इसरो ने अपनी साइट से कल जारी की गई रिपोर्ट को हटा लिया है।
गौरतलब है कि इसरो ने जोशीमठ की उपग्रह तस्वीरें जारी की थीं। इसमें दिखाया गया था कि यह 27 दिसंबर, 2022 से 8 जनवरी, 2023 के बीच जोशीमठ 5.4 सेमी नीचे डूब गया, मगर इसरो की यह रिपोर्ट अब रहस्यमय तरीके से उसकी वेबसाइट से गायब हो गई है। इसरो की ओर से जारी उपग्रह तस्वीरों से पता चलता है कि हिमालयी शहर जोशीमठ महज 12 दिनों में 5.4 सेमी धंस गया। अनुमान है कि जमीन धंसने की यह घटना संभवत: दो जनवरी से शुरू हुई है।
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जोशीमठ आपदा को लेकर केंद्र और राज्य सरकार काफी गंभीर है। इस चुनौती से निपटन और लोगों को सुरक्षित करने की दिशा में काम चल रहा है। वहीं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, आरके सिंह, भूपेंद्र यादव और गजेंद्र सिंह शेखावत व शीर्ष अधिकारियों की मौजूदगी में हुई एक बैठक में जोशीमठ की स्थिति और लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए उठाए गए कदमों कि समीक्षा की गई। इसमें बताया गया कि अब तक 589 सदस्यों वाले कुल 169 परिवारों को राहत केंद्रों में पहुंचा दिया गया है। जोशीमठ और पीपलकोटी में राहत केंद्रों के तौर पर 835 कमरे हैं, जिनमें कुल मिलाकर 3,630 लोग शिफ्ट किए जा सकते हैं।
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