Jal Jeevan Mission: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना जल जीवन मिशन उत्तर प्रदेश में अकंठ भ्रष्टाचार में डूब गया है। इस मिशन के तहत हर घर जल पहुँचाने का लक्ष्य सरकारी कागजों में तो सबसे ऊपर है, पर वास्तविकता में प्रदेश के लगभग सभी हिस्सों में इसके आधे-अधूरे परियोजना में व्याप्त भ्रष्टाचार की गवाही दे रहे हैं। उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में हर घर जल परियोजना भ्रष्टाचार की बलि चढ़ गई है।

इस परियोजना को 2 करोड़ 19 लाख 358 रुपये की लागत से गांव-गांव में पानी की टंकी बनाने और घरों तक पाइपलाइन बिछाने के लिए मंजूर किया गया था। लेकिन कार्यकारी कंपनी की लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण यह महत्वपूर्ण परियोजना पूरी तरह से अधूरी पड़ी है। ऐसा ही कुछ हाल जिले के गौर विकासखण्ड का भी है। क्षेत्र के न्याय पंचायत बेलघाट में करीब साल भर से खुदी सड़के और अधूरे नल कनेक्शन यह बता रहे हैं कि हर घर जल का सपना योगी सरकार में पूरे होने वाले नहीं हैं।

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नकद में पूरा भुगतान, वास्तविकता में अधूरी परियोजना

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस परियोजना का उद्देश्य डेवाडीहा और गौतम कड़सरी गांवों की 2,285 आबादी को पीने के लिए स्वच्छ जल उपलब्ध कराना था। परियोजना के तहत 8,574 मीटर लंबी पाइपलाइन बिछानी थी और सोलर पैनल, ओवरहेड टैंक व पंप हाउस का निर्माण करना था। 15 मार्च 2023 को शुरू हुई इस परियोजना को 14 मार्च 2024 तक पूरा होना था, लेकिन वास्तविकता में सिर्फ बोरिंग और चहारदीवारी का कार्य ही पूरा हुआ है।

भ्रष्टाचार के आरोप

ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि परियोजना के तहत पानी की टंकी के बिना ही पूरा भुगतान कर लिया गया। कागजों में योजना पूरी होने का दावा किया गया है, लेकिन धरातल पर स्थिति बहुत ही खराब है। पाइपलाइन का काम अधर में है और सोलर लाइट्स व अन्य कार्य भी ठप पड़े हैं। कई जगहों पर अच्छी खासी सड़कों को भी तोड़ दिया गया है, जिससे गांववासियों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

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जवाबदेही की मांग

जल निगम के अधिशासी अभियंता ने इस स्थिति की जानकारी देते हुए कहा कि परियोजना मेधा इंजीनियरिंग एंड इंफास्ट्रक्चर लिमिटेड द्वारा की जा रही है और जल निगम विभाग के इंजीनियर इसकी निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि कहीं भी कमी पाई गई तो उसे तुरंत ठीक किया जाएगा। वहीं, मेधा कंपनी के परियोजना डायरेक्टर ने गोलमोल जवाब देते हुए कहा कि बोर्ड लगा दिया गया है और कार्य जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा।

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हर घर जल परियोजना का यह मामला भ्रष्टाचार के प्रति प्रशासन की निष्क्रियता और जिम्मेदारियों की कमी को उजागर करता है। यह परियोजना ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने का वादा करती थी, लेकिन भ्रष्टाचार और लापरवाही ने इस वादे को पूरी तरह से विफल कर दिया है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस स्थिति को सुधारने के लिए क्या ठोस कदम उठाता है और लोगों को उनकी मूलभूत जरूरतें कब पूरी होती हैं।

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