यूं तो धरती पर मौजूद हर जाति और मजहब के लिए नमक हराम शब्द एक गाली और गुनाह है। अर्थात किसी की मदद या एहसान को भूल जाना सबसे बड़ा गुनाह, जुर्म और पाप है। इतना ही नहीं एहसान को भूलकर एहसान करने वाले के विरुद्ध षडयंत्र करना या षडयंत्र में शामिल होना गुनाह के साथ-साथ घोर नीचता भी है। इस्लाम भी नमक-हरामी के हर आचरण और क्रिया को पूरी शिद्दत से पाबंद करता है।

अब दूसरा दृश्य- कुछ साल पहले टर्की में आए भीषण भूकंप से हुई तबाही के वक्त हजारों करोड़ के खाद्य पदार्थ, दवा, चिकित्सकीय उपकरण, कपड़े, टेंट, तंबू आदि की मदद लेकर भारत टर्की की ओर दौड़ पड़ा था। भारत मददगारों में सबसे पहले टर्की पहुंचने वाला देश था। भारत की इस सहायता को टर्की सरकार और जनता ने डबडबाई आंखों से स्वीकार करते हुए भारत की भूरी-भूरी प्रसंशा की थी। सब याद होगा आपको।

तीसरा दृश्य- बदले में आज टर्की विपदा में की गई भारत की उस सहायता को भूलकर, भारत के विरुद्ध खड़ा है। खड़ा ही नहीं है बल्कि भारत के विरुद्ध षडयंत्र में शामिल है। इसे कहते हैं -नमक हरामी और नीचता। हैरत तो यह है इस नीचता के साथ वह स्वयं को इस्लाम का सबसे बड़ा झंडाबरदार घोषित करता है। रही बात पाकिस्तान द्वारा तुर्की से मदद लेने की तो इसमें भी आश्चर्य नहीं। क्योंकि यह दो नीच देशों की स्वाभाविक गलबहिया है।

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अंतिम दृश्य- दोनों के विरुद्ध भारतीय मुसलमानों ने हुंकार भरते हुए विश्व को बता और चेता दिया है कि भारत हर देश की शक्ति, सामर्थ्य और क्षमता से ऊपर है। अलग है। महान है भारत। भारत हमेशा विजयी था, विजयी है और विजयी रहेगा।

साभार- अरविंद कांत त्रिपाठी

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