Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) से मुस्लिम पक्ष का तगड़ा झटका लगा है। वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे (ASI survey) पर कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार करते हुए मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है। इसी के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे (ASI survey) को हरी झंडी दिखा दी है। कोर्ट ने एएसआई सर्वे (ASI survey) को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है। चीफ जस्टिस कोर्ट प्रीतिंकर दिवाकर की सिंगल बेंच ने ज्ञानवापी केस (Gyanvapi Case) में यह फैसला सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है।
गौरतलब है कि मुस्लिम पक्ष की तरफ से याचिका में सर्वे से ढांचे को नुकसान होने की बात कही थी। इसके बाद एएसआई की तरफ से एक एफिडेविट दाखिल करके बताया गया था कि सर्वे से कोई नुकसान नहीं होगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसी एफिडेविट के आधार पर यह फैसला सुनाया है। होई कोर्ट का फैसला आने के बाद अब कभी भी ज्ञानवापी परिसर का एएसआई सर्वे शुरू किया जा सकता है। हिन्दू पक्ष के वकील का कहना है कि कोर्ट ने इस बात को स्वीकार किया कि एएसआई सर्वे को किसी भी स्टेज पर शुरू किया जा सकता है।
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बता दें कि को मुस्लिम पक्ष ने 21 जुलाई को ज्ञानवापी का सर्वे कराए जाने के जिला अदालत के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जिस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई तक ज्ञानवापी के एएसआई सर्वे पर भी रोक लगा दी थी। कोर्ट सुनवाई के दौरान आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) ने हलफनामा दिया था कि सर्वे से ज्ञानवापी परिसर को कोई नुकसान नहीं होगा। बता दें कि मंदिर परिसर में त्रिशूल, कमल के फूल, शिवलिंग व हिंदू देवी-देवताओं के ऐसे प्रतीक मिल रहे हैं, जो बता रहे हैं कि यहां पहले कभी मंदिर था। मुस्लिम आक्रांताओं ने मंदिर तोड़कर मस्जिद तो बना दिया, लेकिन उसकी पहचान आज भी बनी हुई है। जानकारों की मानें तो ज्ञानवापी शब्द ही मंदिर होने का प्रमाण है। धार्मिक जानकारों का मानना है कि मुस्लिमों में हर नाजायज चीज हराम है, लेकिन ज्ञानवापी की लालच में यह समाज हराम और हलाल का फर्क भूल गया है।
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