नई दिल्ली: स्वाधीनता के अमृत महोत्सव वर्ष में ऐतिहासिक शेरपुर की धरती के महान स्वाधीनता सेनानी का महाप्रयाण के बाद दिल्ली स्थित श्रद्धांजलि सभा में अनेक विशिष्ट लोगों ने पहुंच कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। भारत माता को स्वाधीन कराने के लिए देश में अनगिनत लोगों ने अपनी कुरबानी दी है, जिसमें गाजीपुर जिले के शेरपुर के रणबांकुरों ने सतत बलिदान दिया है। वर्ष 1922 के असहयोग आंदोलन, 1930 के नमक सत्याग्रह, 1942 के अंग्रेजों भारत छोड़ो अन्दोलन से लेकर प्रत्येक संघर्ष में इस गांव के लोगों ने बढ़चढ़ कर अपनी भागीदारी निभाई।
करो या मरो के नारे के साथ वर्ष 1942 में यहां के मुहम्मदाबाद तहसील में तिरंगा फहराने के आरोप में शेरपुर के 8 रणबांकुरे शहीद हुए और 100 से अधिक नौजवानों को घायलावस्था में अंग्रेजों ने जेल में डाल दिया। इनमें से 99 लोगों की सूची प्राप्त है। ये सभी लोग भारत के स्वाधीन होने के बाद 1947 में जेल से बाहर आये थे। इन 99 लोगों में दो जीवित सेनानी थे, कमलाकांत राय और देवनारायण राय। अंतिम जीवित बचे स्वतंत्रता सेनानी देवनारायण राय के पुत्र बालेश्वर राय थे, जिनका निधन इसी माह 18 मार्च, 2022 को हुआ है, जिनसे इस स्वतंत्रता सेनानी युग का अंत हुआ है। बालेश्वर देव नारायण राय, देश के जाने-माने समाजसेवी एवं सामजिक उद्यमी संजय शेरपुरिया के पिता थे।
बालेश्वर राय के सम्मान में 24 मार्च के दिन दिल्ली में एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया था। इस संगीतमय प्रार्थना सभा में भारत सरकार के पशु पालन एवं डेरी विभाग के केबिनेट मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला, पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिह, गुजरात के सांसद परबत भाई, सांसद मनोज तिवारी, देश के वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री राम बहादुर राय, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के प्रो. राकेश उपाध्याय, पर्यावरण बाबा के नाम से प्रचलित अवधूत अरुण गिरी महाराज के साथ सेंकड़ों लोग उपस्थित रहे और दिवंगत को श्रद्धांजलि अर्पित की।
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