Newschuski Digital Desk: सुनने में आ रहा है कि साल 2026 खगोलीय घटनाओं के मामले में काफी रोमांचक रहने वाला है। नए साल का आसमान चार बड़े ग्रहणों का साक्षी बनेगा, जिनमें दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण शामिल हैं। जैसे-जैसे 2025 खत्म होने को आ रहा है, लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर अगले साल ये ग्रहण कब-कब लगेंगे और कितने भारत से दिखाई देंगे? चूंकि ज्योतिष और धार्मिक नजरिए से ग्रहण का विशेष महत्व होता है, इसलिए हर किसी को इसकी जानकारी चाहिए। तो चलिए, आपकी इसी जिज्ञासा को शांत करते हुए हम लेकर आए हैं 2026 का पूरा ग्रहण कैलेंडर।

पहला ग्रहण: 17 फरवरी 2026 (सूर्य ग्रहण)

साल 2026 का पहला ग्रहण 17 फरवरी को पड़ने वाला सूर्य ग्रहण है। यह ग्रहण मुख्य रूप से दक्षिणी अफ्रीका, दक्षिणी अर्जेंटीना और अंटार्कटिका क्षेत्र में दिखेगा। भारत में यह ग्रहण नजर नहीं आएगा, इसलिए यहाँ सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।

दूसरा ग्रहण: 3 मार्च 2026 (चंद्र ग्रहण)

साल का दूसरा ग्रहण 3 मार्च को लगने वाला चंद्र ग्रहण होगा। यह ग्रहण ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका के साथ-साथ भारत और कई एशियाई देशों में दिखाई देगा। चूंकि यह भारत में दिखेगा, इसलिए इसका सूतक काल (ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले) भी यहाँ मान्य रहेगा।

तीसरा ग्रहण: 12 अगस्त 2026 (सूर्य ग्रहण)

साल का तीसरा ग्रहण 12 अगस्त को लगने वाला सूर्य ग्रहण होगा। इसे ग्रीनलैंड, आइसलैंड, स्पेन, पुर्तगाल और रूस जैसे देशों से देखा जा सकेगा। भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा, अतः सूतक काल भी लागू नहीं होगा।

आखिरी ग्रहण: 28 अगस्त 2026 (चंद्र ग्रहण)

साल 2026 का अंतिम ग्रहण 28 अगस्त को लगने वाला चंद्र ग्रहण होगा। यह यूरोप, अफ्रीका के कुछ हिस्सों और उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका में दिखेगा। भारत में यह ग्रहण न दिखने के कारण यहाँ सूतक काल मान्य नहीं होगा।

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आखिर क्यों लगता है ग्रहण

सूर्य ग्रहण: जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आकर सूरज की रोशनी को पृथ्वी तक आने से रोक देता है, तब सूर्य ग्रहण लगता है। ऐसे में दिन में ही अंधेरा छा जाता है और सूरज एक अलग ही आकार में नजर आता है।

चंद्र ग्रहण: यह तब होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी लाइन में आ जाते हैं। बीच में आने वाली पृथ्वी, सूर्य की रोशनी को चंद्रमा तक पहुँचने से रोक देती है, जिससे चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ने लगती है और चाँद धीरे-धीरे ढका हुआ दिखाई देता है। यह नज़ारा सिर्फ पूर्णिमा की रात को ही देखने को मिलता है।

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