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Mamta Kulkarni: ममता कुलकर्णी और लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को किन्नर अखाड़े से निष्कासित किया गया है, और इसके पीछे कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास ने उन्हें उनके पदों से हटाते हुए कहा कि उन्होंने कई धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का उल्लंघन किया है। खासतौर पर ममता कुलकर्णी की तीन बड़ी गलतियों ने उनके पद से हाथ धोने की वजह बनीं।
1. रुद्राक्ष की माला पहनना: किन्नर अखाड़े में वैजन्ती माला को धार्मिक शृंगार के प्रतीक के रूप में पहना जाता है, लेकिन ममता कुलकर्णी ने इस परंपरा का पालन न करते हुए रुद्राक्ष की माला धारण कर ली, जो कि संन्यासियों द्वारा पहनी जाती है। इस परंपरा का उल्लंघन उन्होंने गलती से किया।
2. मुंडन न कराना: सन्यास की दिशा में मुंडन एक अहम परंपरा मानी जाती है, लेकिन ममता कुलकर्णी ने इसे नजरअंदाज किया, जो अखाड़े की धार्मिक परंपराओं के खिलाफ था।
3. सीधा महामंडलेश्वर का पद देना: किन्नर अखाड़े में वैराग्य की दिशा में पहले लंबे समय तक तपस्या की जाती है, फिर महामंडलेश्वर की उपाधि दी जाती है। ममता कुलकर्णी को यह उपाधि बिना किसी तपस्या के दी गई, जो किन्नर अखाड़े के सिद्धांतों के खिलाफ था।
ऋषि अजय दास ने कहा कि ममता और लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की इन गलतियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था, और इनका न केवल किन्नर अखाड़े की धार्मिक परंपराओं से बल्कि सनातन धर्म से भी कोई वास्ता नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि ममता को पद देने से पहले लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने अखाड़े की परंपराओं और नियमों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया था।
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ऋषि अजय दास ने इस विवाद के बाद किन्नर अखाड़े के पुनर्गठन की बात की और जल्द ही नए आचार्य महामंडलेश्वर की घोषणा करने की योजना बनाई। उनका कहना था कि यह कदम धार्मिक मर्यादाओं और अखाड़े की गरिमा को बनाए रखने के लिए उठाया गया है।
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