(कांग्रेसी मिजाज का अफसर रहा है, सोनिया गांधी ने इसे अमेरिका का राजदूत बनवाई थी, जॉर्ज सोरोस का मित्र है, रोहिंग्याओ को पक्का मकान देने की घोषणा कर हरदीप पुरी ने अरविंद केजरीवाल की चुनावी मदद की है)
Delhi Assembly Elections: दिल्ली विधानसभा चुनाव में केन्द्रीय मंत्री हरदीप पुरी भाजपा के लिए आत्मघाती साबित होंगे। भस्मासुर साबित होंगे। नरेन्द्र मोदी के लिए एक अभिशाप बनेंगे। दिल्ली में सरकार बनाने के भाजपा सपने को कब्र बनाने वाले साबित होंगे। हरदीप पुरी का रोहिंग्या प्रेम बेनकाब हो गया, बेपर्द हो गया। केजरीवाल अब हरदीप पुरी के रोहिंग्या मुस्लिम प्रेम को हथियार बना कर भाजपा पर वार करना शुरू कर दिया है और इसे चुनावी मंत्र बना डाला है। समय रहते भाजपा ने हरदीप पुरी के रोहिंग्या मुस्लिम प्रेम पर संज्ञान क्यों नहीं लिया, विराम क्यों नहीं लगाया गया? शीला दीक्षित ने पन्द्रह साल और अरविंद केजरीवाल ने दस साल भाजपा को दिल्ली की सत्ता से बाहर रखने की सफलता दिखायी है।
कहने का अर्थ यह है दिल्ली में 25 सालों से भाजपा सत्ता में लौटने का अपना सपना सफल नहीं बना पा रही है। भाजपा और नरेन्द्र मोदी के लिए केजरीवाल एक शूल की तरह हैं,जिनसे ये मुक्ति तो चाहते हैं पर मुक्ति नहीं पा सकें हैं। जैसे अटल बिहारी वाजपेयी की कब्र अफसर ब्रजेश मिश्रा ने खोदी थी, जैसे लालकृष्ण आडवाणी की कब्र सुधीन्द्र कुलकर्णी ने खोदी थी वैसे ही नरेन्द्र मोदी की सत्ता की कब्र हरदीप पुरी जैसे अफसर खोद देंगे। नरेन्द्र मोदी का यह अफसर प्रेम आत्मघाती है और भस्मासुर जैसा ही है।
केजरीवाल की हरदीप पुरी विरोधी चुनावी रणनीति देख लीजिये। केन्द्रीय मंत्री हरदीप पुरी के खिलाफ अरविंद केजरीवाल का आक्रामक बयानबाजी सामने आयी है। केन्द्रीय हरदीप पूरी को केजरीवाल ने गिरफ्तार करने की मांग दिल्ली पुलिस से की है। केजरीवाल ने सरेआम कहा कि हरदीप पुरी से दिल्ली पुलिस न सिर्फ पूछताछ करे बल्कि उसे गिरफ्तार करे, क्योंकि हरदीप पुरी की सहानुभूति रोहिंग्याओं के साथ जुड़ी हुई है, रोहिंग्याओं के लिए ये काम करते हैं। जब कोई पूर्व मुख्यमंत्री और किसी राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष किसी केन्द्रीय मंत्री की गिरफ्तारी की मांग करता है तब अखबारों, चैनलों और सोशल मीडिया पर उसकी चर्चा होगी ही। उस पर गंभीर विश्लेषण भी होगा और सच्चाई क्या है उस पर विचार होगा। इसलिए सोशल मीडिया पर इसकी खूब चर्चा हुई है और यह विषय सिर्फ चुनावी विषय नहीं है बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा व अस्मिता के साथ जुड़ा हुआ है। यह भी सही है कि केजरीवाल अपने आक्रामक और तथ्यात्मक बयानबाजी से चुनावी वातावरण को जरूर अपने पक्ष में करने की कोशिश की है। अपने इस प्रयास में केजरीवाल सफल होते प्रतीत हो रहे हैं।
भाजपा ने रोहिंग्याओं के प्रश्नों पर केजरीवाल को घेरने और केजरीवाल के खिलाफ वातावरण बनाने की कोशिश की थी। भाजपा को उम्मीद थी कि रोहिंग्याओं के प्रश्न पर दिल्ली के हिन्दू मतदाताओं की एकजुटता होगी तो फिर केजरीवाल की सरकार का संहार होगा। यह सही बात है कि रोहिंग्याओं को लेकर दिल्ली का माहौल भी काफी गर्म है और खासकर बांग्लादेश में हिन्दुओं के उत्पीड़न और कत्लेआम तथा नरसंहार के बाद यह प्रश्न उठ रहा है कि भारत में रोहिंग्याओं और बांग्लादेशी मुसलमानों को संरक्षण क्यों दिया जा रहा है। उन्हें भारत के नागरिक के सभी सुविधाएं क्यों दी जा रही है। उन्हें वोटर आईडी कार्ड और आधार कार्ड सहित सभी जरूरी सरकारी कागजात कैसे उपलब्ध हो गये?
दिल्ली में लाखों रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठिये रहते हैं। यह भी सही है कि दिल्ली में रहने वाले रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमान आम आदमी पार्टी के ही वोटर हैं। क्योंकि यहां भाजपा को टक्कर आम आदमी पार्टी देती है। आम आदमी पार्टी ही भाजपा को हराती है। राष्ट्रीय स्तर पर रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमान कांग्रेस का समर्थन करते है पर राज्य स्तर पर इनकी सहानुभूति और समर्थन भिन्न होता है। अब यहां यह प्रश्न उठ रहा है कि हरदीप पुरी कितना झूठ बोल रहे हैं। हरदीप पुरी के झूठ से भाजपा को कितना नुकसान हुआ है? हरदीप पुरी के कारण केजरीवाल को रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठिये समर्थक घोषित करने और उसका चुनावी लाभ हासिल करने से भाजपा वंचित हो गयी?
सही यही है कि हरदीप पुरी सौ प्रतिशत झूठ बोल रहे हैं। तथ्य तो यही कहते हैं कि हरदीप पुरी झूठे हैं और रोहिंग्याओं के प्रश्न पर वे भाजपा के लिए भस्मासुर साबित हुए है। तथ्य देख लीजिये। तथ्य सोशल मीडिया एक्स पर आज भी विराजमान है। एक्स पर हरदीप पुरी ने लिखा था कि हम रोहिंग्या मुसलमानों को नया घर वह भी पक्का बना कर देंगे, उनका भविष्य सुधारेंगे आदि। जब एक्स पर उनका यह बयान प्रकाशित हुआ था तब सोशल मीडिया में काफी प्रतिक्रिया हुई थी। सोशल मीडिया पर यह प्रश्न उठा था कि हरदीप पुरी केन्द्रीय मंत्री के रूप में किसके साथ है? क्या वह नरेन्द्र मोदी के साथ है, क्या वह नरेन्द्र मोदी के खिलाफ अंदर-अंदर ही षडयंत्रकारी अपराध और साजिशों में तो नहीं लगे है? नरेन्द्र मोदी की छबि तो खराब नहीं कर रहे हैं?
नरेन्द्र मोदी की सरकार रोहिंग्याओं और बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ नीति रखती है। सबसे बड़ी बात यह है कि हरदीप पुरी को शरणार्थियों और घुसपैठियों में अंतर क्यों नहीं मालूम है? शरणार्थी उसे कहते हैं जिन्हें केन्द्रीय सरकार शरण देती है और देश में आने का निमंत्रण और स्वीकृति देती है। रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को भारत सरकार ने न आने का निमंत्रण दिया और न ही घुसपैठ की स्वीकृति दी थी तब ये शरणार्थी कैसे हो गये? ये घुसपैठिये हैं। घुसपैठियों को शरणार्थी की सभी सुविधाएं नहीं मिल सकती है। घुसपैठियों को भारतीय नागरिकता की सभी सुविधाएं नहीं मिल सकती है। यह सीधी सी बात हरदीप पुरी कैसे नहीं समझते होंगे। जानबुझ कर हरदीप पुरी ने ऐसी बात की है, ऐसी घोषणा की है तो इसका संदेश यही है कि हरदीप पुरी भाजपा ही नहीं बल्कि नरेन्द्र मोदी के लिए भी कब्र खोद रहे है।
हिन्दुत्व की आंच को नरेन्द्र मोदी और भाजपा की तरफ करने का अपराध कर रहे हैं ताकि उस हिन्दुत्व की आंच में नरेन्द्र मोदी की सरकार ही जल जाये। रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ अति हिन्दूवाद आक्रोशित रहता है। हरदीप पुरी की घोषणा से अति हिन्दूवाद कैसे नहीं भड़केगा? चोरी और सीनाजोरी भी देखिये। अपनी भूल को स्वीकार करने की जगह हरदीप पुरी ने सीनाजारी दिखायी। उसने केजरीवाल पर झूठ बोलने का आरोप लगा दिया। कह दिया कि केजरीवाल यह साबित कर दिखाये। केजरीवाल तो क्या कोई भी आदमी हरदीप पुरी की रोहिंग्या करतूत को साबित कर दिखा सकता है। सोशल मीडिया एक्स पर यह तथ्य और घोषणा तो पड़ी हुई है। घोषणा तो हरदीप पुरी ने ही की थी।
यह सही बात है कि केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने अब तक किसी भी रोहिंग्या मुसलमानों को पक्के मकान नहीं दिए हैं। पर पक्के मकान देने की घोषणा तो केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री के रूप मे पुरी ने की ही थी। सबसे बड़ी बात यह है कि दिल्ली में दस लाख से ज्यादा रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठिये जो रह रहे हैं, वे केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय की जमीन, पार्क पर कब्जा किये हुए हैं। दिल्ली में जमीन का मालिक केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय ही होता है। केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय ही दिल्ली में विकास और जमीन के उपयोग का देखभाल करता है। जब रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठिये केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय की जमीन पर ही कब्जा कर बैठे हुए हैं तो फिर हरदीप पुरी ने इनके खिलाफ कोई कोठर कदम क्यों नहीं उठाया? लंबे समय तक हरदीप पुरी केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय के मंत्री रहे हैं पर वे कभी भी रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों को बाहर करने का एक बयान तक नहीं दिये थे। आखिर रोहिंग्या बांग्लादेशी मुसलमानों के प्रति इस प्रेम के पीछे हरदीप पुरी कौन सा रहस्य छिपा रखे हैं?
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हरदीप पुरी कोई राजनीतिक व्यक्ति नहीं है, वे भाजपा के दुख और संघर्ष का भागीदार भी नहीं रहे हैं। हरदीप पुरी अफसर रहे हैं। अफसर किसी पार्टी के प्रति वफादार नहीं होते हैं। ये कांग्रेस पार्टी के भी बहुत प्यारे थे। जार्ज सोरोस के भी मित्र हैं। जब ये अमेरिका में भारत के राजदूत थे तब इन्होंने अपने घर पर जार्ज सोरोस को पार्टी दी थी। जब विवाद बढ़ा तब ये सारा दोष तत्कालीन विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर पर डाल दिया। लेकिन विचार करने का विषय यह है कि एक कांग्रेसी विचार धारा के अफसर को भाजपा जैसी सरकार में महत्वपूर्ण केन्द्रीय मंत्री का पद कैसे मिल जाता है? सबसे बड़ी बात यह है कि अफसर जनता प्रेमी नहीं होते है। जनता से इनका कोई ज्यादा सरोकार नहीं हो सकता है। अफसरों के भ्रष्टचार और कदाचार के कारण ही सरकारों की जनकल्याण योजनाएं विफल होती हैं। नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल में कई अफसर मंत्री बन कर मलाई खा रहे हैं। कांग्रेस विचार धारा और रोहिंग्या-बांग्लादेशी मुस्लिम प्रेम से भरे हरदीप पुरी जैसे लोग नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल में कैसे मंत्री बन जाते हैं? यह बात तो नरेन्द्र मोदी ही बता सकते हैं। निश्चित तौर पर दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए हरदीप पुरी का रोहिंग्या प्रेम भारी पड़ने वाला है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
(यह लेखक के निजी विचार हैं।)
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