मधुमक्खी के छत्ते को छेड़ने का जो नतीजा होता है, वही हुआ। उत्तर प्रदेश विधानसभा में बड़ा अच्छा माहौल बना हुआ था। ‘वैश्विक पूंजी निवेश महाकुम्भ’ की सफलता से प्रदेश सरकार गदगद थी, तो सतीश महाना के कुशल संचालन से विधानसभा में विपक्ष भी संतुष्ट था। इस बार सत्र कुछ लम्बा चलना था। तभी अचानक अखिलेश यादव के दिमाग पर जैसे ‘राहुल गांधी’ सवार हो गए। उन्होंने अपने लम्बे भाषण में सरकार पर आरोपों की ऐसी बौछार कर दी कि माहौल बिलकुल बदल गया। अखिलेश यादव के उन आरोपों पर सत्ता पक्ष का भड़कना स्वाभाविक था। फिर तो पानी टूटकर बरसा! एक दिन पहले उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक जबरदस्त गरजे थे, तो दूसरे दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी को भिगोभिगोकर धोया।
राज्यपाल के अभिभाषण पर योगी आदित्यनाथ का विधानसभा में किया गया भाषण चिरस्मरणीय रहेगा। उन्होंने अखिलेश यादव के प्रत्येक आरोप की उसी प्रकार जमकर धुनाई की, जैसे रुई धुनी जाती है। लगभग सवा दो घंटे के योगी के भाषण में सपा की धज्जी उड़ाने वाले तथा सरकार की उपलब्धियां बताने वाले सटीक आंकड़ों की भरमार थी। टीवी पर योगी का भाषण सुनने वाले उनकी वक्तृता- शैली एवं आत्मविश्वास पर मुग्ध हो गए। जब राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के उत्तर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बोलने को खड़े हुए तो उनके सम्बोधन का सबको इंतजार था। जिस प्रकार मोदी के भाषण को सुनने के लिए लोग आतुर रहते हैं, वैसे ही योगी आदित्यनाथ का भाषण सुनने की भी लोगों में उत्सुकता रहती है।
यहां अखिलेश यादव से बड़ी चूक हो गई। एक दिन पहले प्रयागराज में राजू पाल हत्याकांड के विशेष गवाह उमेश पाल एवं उसके सुरक्षाकर्मी की हत्या कर दी गई थी। अखिलेश यादव उस प्रकरण को किसी और रूप में उठा सकते थे, लेकिन उन्होंने खड़े होकर बुलंदी के साथ कहा कि इलाहाबाद (प्रयागराज नहीं कहा) में कल जो हत्याकांड हुआ, वह सरकार की अपराधों के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ की घोषत नीति की पोल खोल रहा है तथा इससे सिद्ध हो रहा है कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था स्थिति कितनी अधिक खराब है। मुख्यमंत्री योगी ने मौके को लपक लिया और ‘मियां की जूती मियां के सिर’ वाली उक्ति चरितार्थ कर दी। सदैव मुस्कुराते रहने वाला मुख्यमंत्री का चेहरा तमतमा उठा और उन्होंने पलटवार किया कि इन माफियाओं को समाजवादी पार्टी ने ही तो पालापोसा है।
सीएम योगी ने चिट्ठा खोला कि राजू पाल हत्याकांड के आरोपित अतीक अहमद को समाजवादी पार्टी का संरक्षण मिला हुआ था, जिससे वह खूब फूलाफला तथा कभी विधायक तो कभी सांसद बना। अखिलेश यादव ने कुछ कहने की कोशिश की, किन्तु मुख्यमंत्री गरजते रहे और कहा कि वह माफियाओं को मिट्टी में मिला देंगे। अखिलेश यादव ने ‘मिट्टी में मिला देंगे’ वाक्य पर आपत्ति की तो विधानसभाध्यक्ष ने यह कहकर आपत्ति को अस्वीकार किया कि चाहे सरकारी पक्ष हो अथवा विपक्ष, सभी यह चाहेंगे कि माफिया तत्व मिट्टी में मिला दिए जाएं।
माफियाओं एवं अपराधी तत्वों के विरुद्ध मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जो ‘बुलडोजर अभियान’ चल रहा है, उससे जनता बड़ी खुश है, इसलिए मुख्यमंत्री के उक्त कथन का विरोध ठहर नहीं सकता था। बल्कि अब तो योगी का ‘माफियाओं को मिट्टी में मिला देंगे’ वाला वाक्य ऐतिहासिक एवं हमेशा के लिए चर्चित हो गया है। योगी आदित्यनाथ ने पिछली सरकार के कारनामों का जमकर चिट्ठा खोला। उन्होंने कहा कि सपा के तो रग-रग में अपराध भरा हुआ है। वह अपराधियों को प्रश्रय देती है और फूलमालाओं से उनका स्वागत करती है। यह विडम्बना है कि बाहुबली माफियाओं को गले लगाने वाली समाजवादी पार्टी उन माफियाओं के कुकृत्यों के लिए उलटा वर्तमान सरकार पर दोष मढ़ रही है।
अखिलेश यादव का पक्ष इसलिए कमजोर पड़ गया कि सभी जानते हैं कि अतीक अहमद सपा का पोषण पाकर इतना ताकतवर बना तथा योगी सरकार ने ही उसकी कमर तोड़ने का साहस कर दिखाया। योगी आदित्यनाथ ने यह एक और रोचक कटाक्ष किया, जो बहुत चर्चित हो रहा है-‘विरासत में सत्ता तो मिल सकती है, बुद्धि नहीं।’ योगी ने अखिलेश यादव की ओर देखकर कहा कि सपा सिर्फ घोटालों के खेल में माहिर है। उन्होंने यह भी कहा-‘शर्म नहीं आती, बाप का सम्मान भी नहीं कर सके।’
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अखिलेश यादव ने योगी सरकार के बारे में कहा था कि उसकी विश्वसनीयता और साख नहीं है। सीएम योगी ने दहाड़कर कहा कि जनता भाजपा के पक्ष में बार-बार जनादेश दे रही है, अतः लोकतंत्र में इससे बड़ी विश्वसनीयता और साख क्या हो सकती है! शिवपाल यादव को लेकर भी योगी ने रोचक चुटकी ली और कहा कि भले ही भाजपा के भय के कारण हुआ, लेकिन उपेक्षा के शिकार काकाश्री को सपा में सम्मान मिला तो! अपने भाषण में योगी ने एक बड़ा ह्रदयस्पर्शी वाक्य कहा- ‘मैं अकेला आया हूं, अकेला हूं और अकेले ही जाऊंगा।’ निश्चित रूप से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी ईमानदारी और निरंतर कठोर परिश्रम से प्रदेश की जनता का दिल जीत लिया है। उनके ईमानदार चरित्र का ही यह नतीजा है कि विपक्ष आजतक उन पर भ्रष्टाचार का छोटा-सा भी आरोप नहीं लगा पाया।
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मुख्यमंत्री योगी ने सम्बोधन में एक अत्यंत महत्वपूर्ण बात ‘रामचरितमानस’ को लेकर यह कही कि हिंदुओं के धर्मग्रंथों का कोई जब चाहे अपमान कर ले, बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। योगी ने ‘रामचरितमानस’ की ‘ढोल, गंवार’ वाली चौपाई की बड़ी तर्कपूर्ण व्याख्या प्रस्तुत की। ‘रामचरितमानस’ की चौपाई की सपाइयों द्वारा मनमानी व्याख्या कर हिंदुओं का अपमान किया जाना बताते हुए तमाम लोगों ने मत व्यक्त किया कि अगर सपा में दम है तो अन्य मजहबों के धर्मग्रंथों में उल्लिखित विवादित बातों का विरोध करने का साहस दिखाए। योगी आदित्यनाथ ने अपनी इस रणनीति से समाजवादी पार्टी की हिंदुओं को जातीय आधार पर बांटकर आपस में लड़ाने की नीति को विफल कर दिया। अब यह सिद्ध हो गया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता आसमान को छू रही है। जिस प्रकार केंद्र में मोदी का कोई जोड़ नहीं है, उसी प्रकार उत्तर प्रदेश में योगी का कोई जोड़ नहीं है। योगी आदित्यनाथ अब राष्ट्रीय स्तर के नेता बन चुके हैं तथा विदेशों में भी उनकी ख्याति फैल रही है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
(यह लेखक के निजी विचार हैं)