देवरिया: भोजपुरी भाषा और संस्कृति को संवैधानिक दर्जा दिलाने की मांग एक बार फिर ज़ोर पकड़ गई है। देवरिया में आयोजित विश्व भोजपुरी सम्मेलन के उत्तर प्रदेश इकाई के प्रांतीय अधिवेशन (भोजपुरी संस्कृति पर्व 2025) में केंद्र सरकार से भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में अनिवार्य रूप से शामिल करने की मांग की गई। दो दिवसीय अधिवेशन में व्यापक विमर्श के बाद सर्वसम्मति से तीन मुख्य प्रस्ताव पारित किए गए।
भोजपुरी को मिले संवैधानिक दर्जा
अधिवेशन में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित हुआ कि लगभग 20 करोड़ भोजपुरी भाषी आबादी को देखते हुए, भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाना आवश्यक है। वक्ताओं ने तर्क दिया कि भोजपुरी का व्याकरण, साहित्य, संस्कृति और भाषिक संप्रेषणीयता आठवीं अनुसूची में शामिल कई भाषाओं से कहीं अधिक व्यापक है।

उत्तर प्रदेश में हो भोजपुरी अकादमी की स्थापना
भोजपुरी को सुव्यवस्थित और संरक्षित करने के लिए उत्तर प्रदेश में भोजपुरी अकादमी की स्थापना अनिवार्य मानी गई। यह मांग इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि बिहार, मध्य प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों में पहले से ही भोजपुरी अकादमियाँ स्थापित होकर कार्य कर रही हैं। उत्तर प्रदेश भोजपुरी भाषी क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा है, जहाँ अकादमी की स्थापना से भाषा का समुचित विकास हो सकेगा।

अश्लीलता रोकने के लिए बने नियामक आयोग/सेंसर बोर्ड
भोजपुरी साहित्य, संस्कृति और भाषा को अश्लीलता और भाषाई प्रदूषण से बचाने के लिए एक सशक्त नियामक आयोग अथवा सेंसर बोर्ड बनाने की मांग की गई। यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक बताया गया कि केवल व्यवसाय के नाम पर भाषा की मधुरता और व्यापकता को विकृत न किया जाए।

उद्घाटन समारोह में मनोज तिवारी ने भरी हुंकार
इस अधिवेशन का औपचारिक शुभारंभ प्रख्यात गायक, अभिनेता और दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी मृदुल ने दीप प्रज्वलन कर किया। उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि मनोज तिवारी ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को भोजपुरी भाषा और संस्कृति से गहरा लगाव है। उन्होंने विश्वास जताया कि भोजपुरी को बहुत जल्दी संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान मिल सकता है। प्रधानमंत्री स्वयं भोजपुरी के हृदय स्थल काशी के प्रतिनिधि हैं और वह अनेक बार भोजपुरी में ही जनता को संबोधित कर चुके हैं। उन्होंने जनता से आह्वान किया कि इस संस्कृति को विकृत करने वालों का बहिष्कार किया जाए।

अध्यक्षों और संस्थापकों ने क्या कहा
अजीत दुबे (राष्ट्रीय अध्यक्ष, विश्व भोजपुरी सम्मेलन): उन्होंने कहा कि देवरिया में 30 वर्ष पूर्व जो बीज पंडित विद्यानिवास मिश्र और डॉ. अरुणेश नीरन ने रोपित किया था, वह आज विराट स्वरूप में दिख रहा है। उन्होंने विश्वास जताया कि मनोज तिवारी की भावनाओं के बाद 30 करोड़ लोगों की इस लोकभाषा को अब उसका वास्तविक स्थान मिलेगा।
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सिद्धार्थ मणि त्रिपाठी (संयोजक और प्रदेश अध्यक्ष): उन्होंने कहा कि यह जुटान भोजपुरी को उसका स्थान सुनिश्चित कराएगा। उन्होंने कहा कि भोजपुरी संस्कृत की लोकवाणी है और उन्होंने भोजपुरी भाषियों से मराठी संस्कृति का उदाहरण लेते हुए आपस में सिर्फ भोजपुरी में ही संवाद करने की अपील की।
आचार्य संजय तिवारी (संस्कृति पर्व के संस्थापक संपादक): उन्होंने कहा कि भोजपुरी केवल लोकभाषा नहीं, बल्कि भारतीय ज्ञान साहित्य की लोक संप्रेषण शक्ति है।
यह दो दिवसीय आयोजन देवरिया के राजकीय इंटर कॉलेज के विशाल प्रांगण में प्रख्यात गायिका कल्पना पटवारी, भरत शर्मा व्यास, मदन राय, शिल्पी राज और आलोक कुमार सहित अनेक भोजपुरी साधकों की उपस्थिति में संपन्न हुआ।
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