भोपाल: भारत के इतिहास का वर्ष 1947 केवल आजादी की खुशी ही नहीं, बल्कि विभाजन की गहरी पीड़ा का भी साक्षी है। इस त्रासदी के जख्म आज भी लोगों के दिलों में ताजा हैं। इसी विषय पर केन्द्रीय संचार ब्यूरो द्वारा ‘विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस’ के अवसर पर दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें वक्ताओं ने अपने विचार साझा किए।
इतिहास को समझना जरूरी, ताकि गलतियां न दोहराई जाएं: प्रो. द्विवेदी
भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC) के पूर्व महानिदेशक और माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि बंटवारे के बाद भी देश रक्तपात से बच नहीं सका। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें अपने इतिहास की गहरी समझ होनी चाहिए, ताकि ऐसी घटनाएं फिर न हों।
प्रो. द्विवेदी ने कहा, स्वतंत्रता आंदोलन के समय हमारे बीच मौजूद मतभेदों का अंग्रेजों ने फायदा उठाया। अगर हम सतर्क होते तो शायद बंटवारा टल जाता। उन्होंने युवाओं से राष्ट्रीय एकता और अखंडता बनाए रखने का आह्वान किया।

विभाजन का दर्द मैंने करीब से देखा: लाजपत आहूजा
जनसंपर्क विभाग के पूर्व संचालक लाजपत आहूजा ने कहा कि उनका परिवार विभाजन की मार झेल चुका है, इसलिए वे इस दर्द को करीब से महसूस करते हैं। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस घोषित करने के फैसले की सराहना की और कहा कि इससे पीड़ितों को अपनी पीड़ा साझा करने का अवसर मिला है।
आहूजा ने बंटवारे के दौरान महिलाओं और युवतियों के साथ हुए अत्याचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि पीड़ितों को कभी न्याय नहीं मिल पाया। उन्होंने चेताया कि आने वाली पीढ़ियों को इस त्रासदी से सबक लेना चाहिए।
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पीड़ितों की स्मृति और संदेश जीवित रखना जरूरी
पत्र सूचना कार्यालय एवं केंद्रीय सूचना ब्यूरो के अपर महानिदेशक प्रशांत पाठराबे ने स्वतंत्रता संग्राम और विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इस अवसर पर मध्य प्रदेश के कई जिलों में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि युवा पीढ़ी इस इतिहास को जान सके।
कार्यक्रम में शासकीय महारानी लक्ष्मीबाई कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अजय अग्रवाल, पत्र सूचना कार्यालय के निदेशक मनीष गौतम और केंद्रीय सूचना संचार ब्यूरो के उपनिदेशक शारिक नूर ने भी विचार व्यक्त किए। संचालन सहायक निदेशक पराग मांदले ने किया। इस अवसर पर करिश्मा पंत, अजय उपाध्याय, समीर वर्मा सहित कई गणमान्य नागरिक और बड़ी संख्या में छात्राएं मौजूद रहीं।
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