Bharat Jodo Yatra: राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) में भी पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लग गये, वह भी सरेआम और बेखौफ। इतना ही नहीं कांग्रेस ने गर्व के साथ अपने ट्विटर हैंडल पर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे से संबंधित वीडियो पोस्ट कर दिया। इस पर राजनीतिक बवाल तो मचना ही था, बवाल मचा भी। भाजपा ने इस आग में घी डाल कर कांग्रेस की साख और देशभक्ति तथा राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का न केवल पाकिस्तान से जोड़ दिया, बल्कि भारत जोडो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) का पाकिस्तानी करण-जिहादीकरण भी कर दिया तथा इस यात्रा को भारत विखंडन की यात्रा भी बता दिया।
राजनीति में प्रतिद्वदी तो अवसर की ताक में ही होते हैं, भाजपा को अवसर मिला और भाजपा ने अवसर को खूब भंजाया भी। सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा हुई और कांग्रेस की छवि भी खूब दागदार हुई, कांग्रेस को पाकिस्तान परस्त, कांग्रेस को जिहादी परस्त, कांग्रेस को मुस्लिम परस्त की उपाधि भी मिल गयी। सोशल मीडिया पर यह भी प्रश्न उठा कि आखिर कांग्रेस अपनी पाकिस्तान परस्ती, जिहाद परस्ती और मुस्लिम परस्ती को अपना सौभाग्य क्यों मानती है, ऐसी आत्मघाती प्रवृति कांग्रेस की कब रुकेगी?
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) में भी कभी नेपाली राष्ट्रगान बजता है तो कभी पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे क्यों लगते हैं? कहीं न कहीं कांग्रेस की सहानुभूति पाकिस्तान परस्तों, जिहाद परस्तों और मुस्लिम परस्तों के साथ जरूर जुड़ी हुई है? चलिए इस बात को स्वीकार कर लिया जाये कि कांग्रेस ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) में ऐसे नारे खुद नहीं लगवा सकती है, कांग्रेस पाकिस्तान जिंदाबाद की मानसिकताओं को खुद लेकर साथ नहीं चलेगी। पर इस प्रश्न को कैसे अस्वीकार किया जा सकता है कि पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) में लगे हुए हैं, पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे वाले वीडियो को कांग्रेस के ट्टिटर एकाउंट से ही पोस्ट किया गया था।
कांग्रेस का आफिसियल ट्विटर एकांउट तो कांग्रेस ही हैंडिल करती है। कांग्रेस इस प्रश्न का जवाब क्यों नहीं देती है कि कांग्रेस के ऑफिसियल ट्विटर एकांउट से इस तरह की विखंडनकारी सोच के वीडियो कैसे जारी हो गये, वीडियो जारी करने वाले कौन लोग थे और उन पर क्या कार्रवाई हुई? अपनी कमजोरियों को दूर करने की जरूरत थी, अपने साथ खड़े पाकिस्तानी सोच को अलग करने की जरूरत थी, भीतरघात करने वाले लोगों से मुक्ति लेने की जरूरत थी। पर कांग्रेस ने चोरी और सीनाजोरी की नीति अपना ली, झूठ बोलने की नीति अपना ली।
कांग्रेस के नेता जयराम कहते हैं कि यह भाजपा की चाल थी, भाजपा ने षडयंत्र किया है, भाजपा (BJP) ने कांग्रेस को बदनाम करने के लिए ऐसा प्रत्यारोपित तथ्य लाया है, जयराम यहीं तक नहीं रुके, जयराम ने धमकी भी दी। भाजपा (BJP) पर कानूनी कार्रवाई करने का भय भी दिखाया, कांग्रेस के सारे नेताओं ने सोशल मीडिया पर इस विखंडनकारी मानसिकता को ढकने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाने का काम किया।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस को अच्छा जवाब दिया। शिवराज सिंह चौहान ने कह दिया कि पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वालों को जेल भेजा जायेगा। मध्य प्रदेश की सरकार अगर सही में कार्रवाई करती है तो फिर कांग्रेस की फजीहत आगे भी होगी, भारत जोडो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाले लोग जेल में होंगे।
भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) की यह अकेली विंखडनकारी सनसनी भी नहीं है। कई अन्य विखंडनकारी सनसनियां हैं, जिस पर देश ने संज्ञान लिया है और देशभक्ति पर आंच आयी है। नेपाल का राष्ट्रगान भी बज गया। बजना था, देश का राष्ट्रगान पर नेपाल का राष्ट्रगान बजा दिया गया। क्या भाजपा के लोगों ने नेपाली राष्ट्रगान बजवाया था? नेपाल राष्ट्रगान तो भारत जोड़ो योजना के नीतिकार और कर्ता-धर्ता ही बजायें होंगे, जिन पर भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) का प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी है, उन लोगों की ही ऐसी कमजोरी होगी।
कांग्रेस ने नेपाली राष्ट्रगान बजाने वालों पर भी कोई कार्रवाई नहीं की और इस लोमहर्षक घटना को सिर्फ मानवीय भूल मान कर नजरअंदाज कर दिया गया। एक अन्य सनसनी तो बहुत ही चिंताजनक है। यह सनसनी तो प्रारंभ में ही घटी थी। भारत जोड़ो यात्रा प्रारंभ करने से पहले ही राहुल गांधी ने ऐसी भूल कर डाली, ऐसी गुस्ताखी कर डाली जिसकी गूंज देशभर में हुई थी। अपने भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) का आईकॉन एक विखंडनकारी सोच को बना डाला था, भारत विखंडन का सोच रखने वाला राहुत गांधी का आईकॉन बन गया।
एक पादरी जो हिंसक विचार का सहचर है, देश की बहुलतावाद की संस्कृति के प्रति विखंडनकारी सोच रखता है, हिन्दुओं को सर्वानाश करने की सोच रखता है, भारत माता के प्रति गंदी सोच रखता है, भारत माता को अपमानित करने वाला सोच रखता है के राहुल गांधी सहचर बन गये। उस पादरी से राहुल गांधी ने भारत जाड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) का ज्ञान लिया था। पादरी जो भारत विखंडन की सोच रखता है वह भारत जोड़ने का ज्ञान कैसे दे सकता है, वह पादरी देशभक्ति का आईकॉन कैसे हो सकता है? वह पादरी शांति और सदभाव का प्रतीक कैसे हो सकता है? क्या राहुल गांधी भाजपा की सलाह पर उस हिंसक पादरी को अपना आईकॉन बनाया था?
देश में हजारों पादरी ऐसे हैं जो सदभाव के प्रतीक हैं और देश में शांति और स्थिरता के समर्थक हैं। पर विखंडकारी सोच रखने वाले पादरी के पास ही राहुल गांधी ज्ञान लेने क्यों पहुंचते हैं? कांग्रेसी इस प्रश्न का कौन सा जवाब देंगे? कांग्रेस अपनी ही जांच रिपोर्ट को क्यों नहीं पढ़ना चाहती है। एंथोनी कमिटी कहती थी कि कांग्रेस की 2014 में हुई हार के पीछे मुस्लिमकरण की नीति थी। कांग्रेस मुस्लिम समर्थकों के बहकावे में आकर हिन्दू विरोधी हो गयी थी और मुस्लिम समर्थक हो गयी थी।
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कांग्रेस के मुस्लिमकरण होने के कारण ही हिन्दूओं की एकजुटता हुई थी और उसका लाभ नरेन्द्र मोदी ने उठाया था। एंथोनी ने कांग्रेस के नेताओं की पाकिस्तान सोच पर भी अप्रत्यक्ष प्रश्न खड़ा किया था। एंथोनी कमिटी सोनिया गांधी ने बनायी थी। उस एंथोनी कमिटी की नसीहत के बाद भी कांग्रेस अपने आपको बदल नहीं सकी। कांग्रेस बात-बात पर मुस्लिम पक्षधरकारी बन जाती है। कांग्रेस के नफरत जैसे शब्द का अर्थ यही है कि भाजपा और संघ मुसलमानों को रौंदना चाहती है, भारत को सिर्फ हिन्दुओं का देश बनाना चाहती है।
कांग्रेस दावा करती है कि नफरत जैसे शब्दों को दफन करने के लिए ही भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) निकाली गयी है। ऐसे छद्म भूमिका के कारण ही राहुल गांधी के हर हथकंडे बेअसर साबित हुए हैं, भाजपा और संघ की आसानी ही हुई है। राहुल गांधी कभी मानसरोवर की यात्रा पर जाते हैं, कभी ललाट पर चंदन लगाते हैं, कभी गेरूआ वस्त्र धारण कर पूजा करते हैं, कभी मां नर्मदा का दर्शन और पूजा कर हिन्दुओं की नाराजगी दूर करने की कोशिश करते हैं पर उसका कोई फायदा नहीं होता है, हिन्दुओं की सोच कैसे बदलेगी जब कांग्रेस अपनी मुस्लिम, जिहादी और पाकिस्तान परस्ती को सोच से बाहर नहीं निकलती है?
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पाकिस्तान सोच की सजा सिर्फ और सिर्फ जेल ही नहीं होनी चाहिए बल्कि नागरिकता भी छिनी जानी चाहिए। पाकिस्तनी जिंदाबाद की सोच सीधे तौर पर देशभक्ति को चुनौती देती है और देशद्रोही करतूत को अंजाम देती है। मुस्लिम देशों में देशद्रोहियों को फांसी पर लटका दिया जाता है, कम्युनिस्ट तानाशाही वाले देशों में मौत की बेरहम व खौफनाक सजा दी जाती है, अमेरिका और यूरोप में भी देशद्रोहियों के लिए कडी सजा निर्धारित है। लेकिन भारत में लचीले कानून के कारण देशद्रोहियों में खौफ नदारत है।
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सिर्फ राहुल गांधी ही नहीं बल्कि अखिलेश यादव और ओवैशी के कार्यक्रमों में भी ऐसी मानसिकताएं अस्तित्व में रही हैं। इसके अलावा देश के अन्य जगहों पर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने के समाचार प्रकाशित होते रहे हैं। अगर राजनीतिक दल ऐसी मानसिकताओं को संरक्षण नहीं देते और भारत का कानून ऐसी मानसिकता को फांसी पर लटकाने की शक्ति रखता तो फिर पाकिस्तान जिंदाबाद की परस्ती पर लगाम जरूर लगता। पाकिस्तान जिंदाबाद की परस्ती की मानसिकताओं के सहचरों को भारत की नागरिका से भी वंचित किया जाना चाहिए।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
(यह लेखक के निजी विचार हैं)