Basti: पत्रकारों की गौरवपूर्ण संस्था प्रेस क्लब बस्ती में अनियमित रूप से मानक विहीन पत्रकारों को प्रेस क्लब का मेंबर बनाया गया है। उक्त आरोप सुदृष्टि नारायण त्रिपाठी ने लगाते हुए बताया है कि सलामुद्दीन कुरैशी सदस्य प्रेस क्लब बस्ती ने सब रजिस्टार चिट्स सोसाइटी एंड फर्म गोरखपुर को शिकायती पत्र नवंबर, 2022 में भेजकर यह आरोप लगाया था कि प्रेस क्लब बस्ती में दैनिक साप्ताहिक समाचार पत्र एवं न्यूज़ एजेंसी तथा न्यूज़ चैनलों के प्रतिनिधियों के अतिरिक्त पाक्षिक समाचार पत्र, मासिक पत्रिका वह समाचार पत्र जिन का प्रसारण बंद हो चुका है एवं जो समाचार पत्र दूसरे जनपद या प्रदेश में प्रकाशित होने के बावजूद बस्ती जिले में प्रसारित ही नहीं है। उन समाचार पत्रों से भी प्रेस क्लब बस्ती में सदस्य हैं।
सब रजिस्टार चिट्स सोसाइटी एंड फर्म पता नहीं किस प्रभाव में कार्यवाही करने में जानबूझकर थे चिंता बरत रहे हैं। बड़ी मुश्किल से उन्होंने प्रेस क्लब बस्ती से जवाब मांगा और काफी पैरवी करने के पश्चात सहायक निदेशक सूचना से जांच कर आख्या मांगी। सहायक निदेशक सूचना ने जांच तो शुरू किए, लेकिन करीब डेढ़ महीने से ज्यादा हो गया, परंतु अभी तक वह जांच रिपोर्ट सब रजिस्टार चिट्स सोसाइटी एंड फर्म को न तो प्रेषित किए अथवा न ही स्पष्ट कर पाए कि प्रेस क्लब बस्ती के नियमावली के अनुसार दैनिक साप्ताहिक समाचार पत्रों के साथ-साथ न्यूज़ एजेंसी मान्यता प्राप्त संवाददाता न्यूज़ चैनल के प्रतिनिधि सदस्य हो सकते हैं। शिकायत हुए 6 महीने से ज्यादा का समय हो बीत चुका है, परंतु अभी तक कोई सार्थक परिणाम नहीं आया। रजिस्टार चिट्स सोसाइटी एंड फर्म लखनऊ को भी शिकायती पत्र भेजकर यह अनुरोध किया गया है कि सब रजिस्ट्रार के माध्यम से जल्द इस प्रकरण को निस्तारण कराएं।
गौरतलब है कि पिछले महीने मार्च में प्रेस क्लब बस्ती के सदस्यता का वार्षिक शुल्क जमा करने का अभियान चला था। उसमें भी प्रेस क्लब द्वारा मानक विहीन सदस्यों को पुणे प्रेस क्लब से जोड़े रखा, जिससे लगता है प्रेस क्लब बस्ती में भी वोट बैंक की ही राजनीति चल रही है। प्रेस क्लब जैसी महत्वपूर्ण संस्था अगर वोट बैंक की राजनीति के लिए संचालित होगी, तो समाज का चौथा स्तंभ समाज को क्या दिशा देगा, इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। इस संदर्भ में सब रजिस्टार चिट्स सोसाइटी एंड फर्म गोरखपुर अजय कुमार शाही से फोन पर बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनका ट्रांसफर लखनऊ हो गया है। उनके ट्रांसफर के बाद अभी तक उनकी जगह किसी की नियुक्ति नहीं की गई है। वहीं इस मामले की जांच कर रहे सहायक सूचना निदेशक बस्ती प्रभाकर तिवारी से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई, लेकिन उनका फोन नहीं उठा।
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