आचार्य विष्णु हरि सरस्वती
लोकसभा का चुनाव नजदीक है। ऐसे में नरेन्द्र मोदी के सामने विकट चुनौती है। पर कई लोग मोदी को हिन्दू विरोधी बताने की कारवाई में लगे हुए हैं। मोदी के सलाहकार और मैनेजर इस तरह की मानसिकताओं में रोकने के लिए उसी तरह उदासीन हैं, जिस तरह 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी के समय में जिहादियों-आतंकवादियों के प्रति उदासीनता बरती जाती थी। ऐसे साजिशकर्ताओं में एक नाम प्रसून जोशी है। प्रसून जोशी कभी भी सनातन के वाहक नहीं रहे हैं। 2014 के पहले ये कभी भी सनातन प्रवक्ता भी नहीं मालूम पड़ते थे, एक नंबर के सेक्यूलर थे। जिहादियों के साथ इनकी दुकानदारी चलती थी और मनोरंजन चलता था। मोदी की सरकार आयी। फिर ब्राम्हण के नाम पर प्रसून जोशी की दुकानदारी और जिहादी मानसिकताएं चल पड़ी। ब्राम्हण होने के कारण उसकी पैरबी हुई।
प्रसून जोशी को फिल्म सेंसर बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया गया। प्रसून जोशी ने इस पद पर बैठ कर मोदी के हिन्दुत्व प्रेम की कब्र खोदने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उसने सनातन के खिलाफ एक पर एक फिल्मों को पास किया। क्षत्रियों के इतिहास को दागदार करने के लिए इसने फिल्म पद्मावती को प्रसारण सर्टिफिकेट दिया। पद्मावती फिल्म पर जमकर हंगामा हुआ। बाद कई दर्जन दृश्यों और संवादों की काटा गया। इसी तरह आदिपुरूष के संवाद बहुत घटिया और अपमानित करने वाले हैं, सनातनवादियों में किस तरह गुस्सा है, यह भी जाहिर है। इसके लिए संवाद लेखक मनोज मुंतशिर और निर्देशक-निर्माता दोषी जरूर हैं। पर साजिश में प्रसून जोशी भी है। प्रसून जोशी इस तरह की घटिया संवादयुक्त फिल्म का प्रसारण सर्टीफिकेट रोक सकते थे।
मोदी सरकार में प्रसून जोशी जैसे सैकड़ों हिन्दू विरोधी सरकारी पदों पर विराजमान हो गये हैं। जिनकी पहचान और सक्रियता हिन्दुत्व की कभी नहीं रही है। लेकिन जाति के नाम पर जुगाड़ बैठा लिया। क्या बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय का कुलपति होली खेलने पर प्रतिबंध नहीं लगाया था? होली पर प्रतिबंध लगाने वाले की जाति भी आप खोज लीजिये। संघ को अनपढ़ों की जमात कहने वाले कुमार विश्वास के भाई को ब्राम्हण होने के कारण केन्द्रीय विश्वविद्यालय का कुलपति नहीं बनाया गया?
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आदिपुरुष प्रकरण पर हिन्दुओं का गुस्सा भी मोदी सरकार के खिलाफ है। प्रसून जोशी आखिर किस लिए फिल्म प्रसारण बोर्ड के अध्यक्ष हैं? मोदी सरकार के मंत्री अनुराग ठाकुर का सिर्फ यह कहने मात्र से कि किसी को जनभावना का हनन करने का अधिकार नहीं है से सनातनियों का गुस्सा नहीं समाप्त होगा। कांग्रेस, कम्युनिस्टों की साजिश मोदी को हराने के लिए है। इनकी समझ है कि हिन्दुओं को ही मोदी के खिलाफ खड़ा कर दो। प्रसून जोशी निश्चित तौर पर मोदी विरोधियों का टूल है। अगर वह मोदी विरोधियों का टूल नहीं होता तो फिर ऐसी घटिया फिल्म को सर्टीफिकेट कदापि नहीं देता।
मोदी जी, अभी भी आपके पास समय है। समय पर कार्रवाई कीजिये। प्रसून जोशी जैसे सभी वैसे लोगों को पदों से बाहर कीजिये जो जाति के नाम पर अपनी दुकानदारी चला रहे हैं और कांग्रेसियों, कम्युनिस्टों तथा मुस्लिम-ईसाइयों के हथकंडे, टूल और मोहरे बने हुए हैं। नहीं तो अगले लोकसभा चुनाव में मोदी को कीमत भी चुकानी पड़ सकती है। मैं तो सिर्फ सुझाव दे सकता हूं और जागरूक ही कर सकता हूं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
(यह लेखक के निजी विचार हैं)
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