नई दिल्ली: नगालैंड की घटना ने सैनिकों के पराक्रम पर सवाल उठा दिया है। लेकिन उस समय जो हालात बने ऐसी स्थिति में ऐसा होना कोई बड़ी बात नहीं है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में जो जानकारी दी है उससे इसे चूक नहीं बल्कि एक संयोग माना जा सकता है। सैनिकों की तरफ से आम नागरिकों पर की गई फायरिंग की घटना पर अमित शाह ने संसद में बताया कि सेना को ओटिंग गांव में अतिवादियों के मवमेंट की सूचना मिली थी। इसके बाद 21 कमांडोज ने संदिग्ध इलाके की घेराबंदी कर दी। इसी बीच वहां एक वाहन पहुंचा, जिसे रुकने के लिए कहा गया, लेकिन उन लोगों ने रुकने की जगह भागने की कोशिश करने लगे।
इससे सैनिकों को लगा कि शायद गाड़ी में अतिवादी लोग हैं और फायरिंग शुरू कर दी। फायरिंग की इस घटना में 8 में से छह लोगों की मौत हो गई थी। सैनिकों को भी बाद में पता चला कि यह घटना गलत पहचान की वजह से हो गई है। इस घटना में घायल दो नागरिकों को सैनिकों ने खुद पास के हेेल्थ सेंटर में ले गए। इधर बीच यह खबर आस पास के क्षेत्रों में फैल गई, जिससे बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए। गुस्साई भीड़ ने सेना के कैंप पर हमला बोल दिया और सेना के वाहनों में आग लगा दी। इस हमले में एक सैनिक की मौत भी हो गई।
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गुस्साए लोगों से अपनी जान बचाने के लिए सेना को एक बार फिर फायरिंग करनी पड़ गई। इसमें भी 7 नागरिकों की मौत हो गई। गृह मंत्री ने बताया कि स्थानीय प्रशासन और पुलिस की तरफ से हालात को संभालने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्थिति अभी भी तनावपूर्ण है, मगर नियंत्रण में है। उन्होंने कहा कि नगालैंड के डीजीपी और कमिश्नर मौके पर गए थे। एफआईआर दर्ज कर ली गई है। हालात की गंभीरता को देखते हुए स्टेट क्राइम पुलिस सटेशन को जांच सौंप दी गई है।
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