Maharashtra Cabinet Decision: महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों (Local Body Elections) की सुगबुगाहट के बीच राज्य सरकार ने एक बेहद अहम और निर्णायक फैसला लिया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में जिला परिषद और पंचायत समिति चुनावों से जुड़े नियमों में बदलाव को मंजूरी दी गई है।

अब नामांकन पत्रों (Nomination Papers) की जांच के दौरान चुनाव अधिकारियों का निर्णय ही अंतिम माना जाएगा, ताकि कानूनी पेचीदगियों की वजह से चुनावों में देरी न हो।

1961 के कानून में बदलाव, अब कोर्ट की रुकावट नहीं

महाराष्ट्र जिला परिषद और पंचायत समिति अधिनियम, 1961 के मौजूदा नियमों के अनुसार, अगर किसी उम्मीदवार का नामांकन रद्द या स्वीकार होता था, तो उसके खिलाफ जिला अदालतों (District Courts) में अपील की जा सकती थी। कई मामलों में ये अपीलें कोर्ट में लंबे समय तक लंबित रहती थीं, जिससे पूरा चुनावी कार्यक्रम प्रभावित होता था।

राज्य चुनाव आयोग के प्रस्ताव पर सरकार ने इस प्रावधान को हटाने का फैसला किया है। अब चुनाव अधिकारी का फैसला फाइनल होगा, जिससे समय पर चुनाव सुनिश्चित किए जा सकेंगे। इसके लिए सरकार जल्द ही एक अध्यादेश (Ordinance) लाएगी।

31 जनवरी तक चुनाव कराने की चुनौती

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, महाराष्ट्र की 32 जिला परिषदों और 336 पंचायत समितियों के चुनाव 31 जनवरी तक संपन्न कराने हैं। कैबिनेट के इस फैसले का मुख्य उद्देश्य इसी समय सीमा का पालन करना है।

ऐतिहासिक स्मारकों और किलों से हटेगा अतिक्रमण

कैबिनेट बैठक में राज्य की संस्कृति और विरासत को लेकर भी एक बड़ा निर्णय लिया गया।

हाई-पावर कमेटी का गठन: राज्य के किलों, गढ़ों और संरक्षित स्मारकों पर बढ़ते अतिक्रमण को रोकने और उन्हें हटाने के लिए संस्कृति मंत्री की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय समिति बनाई गई है।

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समिति की जिम्मेदारी: यह समिति न केवल मौजूदा अतिक्रमण हटाएगी, बल्कि भविष्य में ऐसी अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए ठोस रणनीति भी तैयार करेगी। इस समिति में राजस्व, ग्रामीण विकास, पर्यटन और वन मंत्री समेत कई विभागों के सचिव शामिल होंगे।

अन्य महत्वपूर्ण बिंदु

सरकार ने स्पष्ट किया है कि ग्रामीण स्थानीय स्वशासन को मजबूत करने के लिए चुनावों को बिना किसी देरी के कराना प्राथमिकता है। अतिक्रमण हटाने संबंधी प्रावधानों का दायरा बढ़ाकर अब सभी राज्य-संरक्षित स्मारकों को इसमें शामिल कर लिया गया है।

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