Sitapur News: कहते हैं शिक्षा का पहला पाठ सत्य होता है, लेकिन सीतापुर के डायट परिसर में लगा एक शिलापट पढ़कर तो सत्य भी छुट्टी पर चला गया होगा। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, खैराबाद-सीतापुर में एक शिलापट पर लिखा है कि भगवान राम और देवी सीता रावण की हत्या का कलंक धोने के लिए पवित्र नैमिषारण्य तीर्थ में स्नान के लिए जाते हुए इस स्थान पर रुके थे।
अब भला बताइए! रावण की ‘हत्या’? इतिहास, धर्म और आस्था सब एक साथ ताली बजा रहे होंगे वाह गुरुजी। क्या अद्भुत ज्ञान दिया है आपने। रामायण पढ़ाने वाले तो अब शायद नोट्स बदलने की सोच रहे होंगे। बच्चों, अब याद रखिए, रावण की हत्या नहीं, धर्म रक्षा हेतु आवश्यक कार्रवाई थी!
लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि इस शिलालेख पर न तो किसी अधिकारी की नजर गई, न ही किसी विद्वान प्राचार्य की। किसी ने यह नहीं देखा कि हत्या शब्द रामकथा के सम्मान के साथ कैसा अन्याय कर रहा है। डॉ. महेंद्र प्रताप सिंह ने प्रतिमा भी स्थापित कर दी, पर शायद शब्दों की शुद्धि का कोर्स अभी बाकी है।
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अब सोचिए, जिस संस्थान में भविष्य के गुरु तैयार होते हैं, वहां अगर रावण की हत्या और सीता की अधिष्ठात्री देवी वाला शिलालेख लगा रहे, तो आने वाली पीढ़ियां क्या सीखेंगी? शायद अगला शिलापट यूं पढ़ा जाए, शिक्षा विभाग की गलती का कलंक धोने हेतु अब हम सब नैमिषारण्य स्नान करने जा रहे हैं।
जहां शिक्षा के मंदिर में शब्दों का अपमान हो वहां व्यंग्य ही शेष बचता है। क्योंकि पत्थर पर लिखी गलतियां, अफसरों की आंखों से नहीं, हकीकत की कलम से सुधरती हैं!
रिपोर्ट- समीर शाही
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