Newschuski Digital Desk: बिहार में सफलतापूर्वक लागू होने के बाद, अब देश के 9 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को घोषणा की कि एसआईआर का दूसरा चरण 28 अक्टूबर को रात 12 बजे से शुरू होगा।

ज्ञानेश कुमार ने बताया कि देश में आखिरी बार एसआईआर 21 साल पहले हुआ था, इसलिए अब इसे करना बेहद ज़रूरी है। इसका मुख्य लक्ष्य योग्य मतदाताओं को सूची में शामिल करना और अयोग्य नामों को बाहर निकालना है।

घर-घर जाकर जाँचेंगे बीएलओ, 2003 की सूची बनेगी आधार

चुनाव आयोग ने बताया कि इस प्रक्रिया में बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) तीन बार हर घर में जाएँगे।

पहले चरण में दस्तावेज़ नहीं: मतदाताओं को लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए पहले चरण में कोई दस्तावेज़ नहीं देना होगा। उन्हें सिर्फ यह बताना होगा कि 2003 की मतदाता सूची में उनका नाम (या उनके माता-पिता का नाम) था या नहीं। 2003 की मतदाता सूची चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है।

जो घर से बाहर हैं: जो लोग नौकरी या अन्य कारणों से घर से बाहर रहते हैं, वे ऑनलाइन भी अपना नाम जुड़वा सकेंगे।

नाम लिंक करने की प्रक्रिया: पहले चरण में मतदाताओं के नामों को 2003 की मतदाता सूची से लिंक किया जाएगा।

ज़रूरत पड़ने पर दस्तावेज़, आधार भी होगा स्वीकार

जिन लोगों का नाम 2003 की सूची से लिंक नहीं हो पाएगा, उन्हें दूसरे चरण में नोटिस जारी होगा। इस चरण में मतदाताओं को संबंधित दस्तावेज़ दिखाने होंगे, जिसमें आधार कार्ड भी स्वीकार किया जाएगा।

इसके बाद प्रोविजनल लिस्ट जारी होगी। अगर किसी का नाम दूसरे चरण में भी नहीं जुड़ पाया या उसकी जानकारी में कोई गलती है, तो वह अपील कर सकेगा।

पोलिंग बूथ की संख्या भी बदलेगी

मुख्य चुनाव आयुक्त ने एक और महत्वपूर्ण बदलाव की घोषणा की। उन्होंने साफ किया कि अब किसी भी बूथ पर 1000 से ज़्यादा मतदाता नहीं हो सकते। इसका मतलब है कि एसआईआर के बाद पोलिंग बूथ की संख्या भी बदलेगी, ताकि वोटिंग के दौरान कहीं भी भीड़ न लगे।

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असम के लिए अलग नियम: आयोग ने स्पष्ट किया कि असम के लिए एसआईआर की प्रक्रिया अलग होगी, क्योंकि नागरिकता अधिनियम में असम के लिए विशेष प्रावधान हैं और वहाँ नागरिकता की जाँच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में पूरी होने वाली है।

जिन 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में एसआईआर होना है, वहाँ कुल 51 करोड़ मतदाता हैं। यह व्यापक अभ्यास देश की चुनावी प्रक्रिया को और अधिक सटीक और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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