
डोनाल्ड ट्रम्प दुनिया का बॉस है, दुनिया का स्वयं भू राजा है? आप माने या न माने। कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। डोनाल्ड ट्रम्प दुनिया का बॉस है, दुनिया का स्वयं भू राजा है तो है। वह दुनिया को जैसे चाहता है वैसे हांकता है। नियंत्रित करता है और उठक-बैठक के लिए मजबूर करता है। उसके पास ऐसे-ऐसे अचूक हथियार हैं, नीति है और कूटनीति है, जिससे वह दुनिया को नियंत्रित करता है। दंडित करता है और अपने सामने झुकने के लिए मजबूर कर देता है।
डोनाल्ड ट्रम्प को चुनौती देने वाले विरोधी मिट्टी में मिल जाते हैं। डोनाल्ड ट्रम्प को आंख दिखाने वाले देश थोडे़ ही दिन में ता-ता थैया करने के मजबूर हो जाते हैं। वह यह नहीं देखता कि दुनिया उसकी कूटनीति पर जगहंसाई भी कर सकती हैं। जनमत भी बना सकती है, अमेरिकी हितों को नुकसान भी कर सकती है। उसे सिर्फ और सिर्फ अपना हित और चैधराहट ही सुरक्षित चाहिए। इसके साथ ही साथ उसे यह देखना बहुत ही पंसद है कि दुनिया उसकी उंगलियों पर कठपुतलियों की तरह नाचे, लट्टुओं की तरह घूमे और उसके डंका बजने का शोर मचाये।
एक बड़ा प्रश्न यहां यह उठता है कि डोनाल्ड ट्रम्प की यह शक्ति और शख्सियत क्या सिर्फ नकरात्मक ही है, क्या सकरात्मक नहीं है? क्या इससे सिर्फ दुनिया के अन्य हितों को नुकसान ही होता है, क्या दुनिया के हितों को सिर्फ और सिर्फ दमन ही करता है? क्या ट्रम्प की बॉस वाली नीतियां दुनिया की शांति और समृद्धि की ओर नहीं ले जाती हैं? क्या युद्ध की वीभिषीका और त्रासदी से छूटकारा नहीं दिलाती हैं? क्या मुस्लिम आतंकवाद का दमन करने और मुस्लिम आतंकवाद को बेनकाब करने के लिए डोनाल्ड ट्रम्प की अहिंसक नीतियां कारगर साबित नहीं हुई हैं? इन सभी प्रश्नों पर विचार करना आवश्यक है, लेकिन इसके लिए संपूर्णता में देखने-समझने की जरूरत होगी और निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए ईमानदारी और स्वतंत्रता की भी जरूरत होगी।
भारत और पाकिस्तान युद्ध को ही कसौटी पर परख कर देख लीजिये। बचाव के अधिकार का जब भारत ने प्रयोग किया और आतंकवाद की करतूत पर पाकिस्तान को सबक सिखाया तब युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गयी। पाकिस्तान की अति क्षति हुई। उसके युद्धक हथियार भारत के हथियारों की तरह मारक क्षमता वाले साबित नहीं हुए और न ही भारत के आक्रमण को रोक पाये। भारत ने पाकिस्तान को अच्छा सबक दिया। नुकसान झेलने के बाद भी पाकिस्तान की हेकड़ी नहीं टूटी और उसकी हिंसक मानसिकता गयी नहीं। इसी दौरान डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी सक्रियता दिखायी। पाकिस्तान को धीरज रखने और युद्ध छोड़ने के लिए फरमान समझा दिया और कह दिया कि भारत मानने वाला नहीं है, आतंकवाद छोड़ों और सीजफायर करो। पाकिस्तान का राजनीतिक नेतृत्व इसके लिए तैयार हो गया।
पाकिस्तान के राजनीतिक नेतृत्व ने सीजफायर करने की घोषणा भी कर डाली। लेकिन तीन घंटे के अंदर ही सीजफायर को पाकिस्तान ने तोड़ दिया और भारत पर असफल हमले भी किये। जवाब में भारत ने भी पाकिस्तान को सबक सिखाया। फिर डोनाल्ड ट्रम्प ने सक्रियता दिखायी। इस बार पाकिस्तान सेना को अपना रौद्र रूप दिखाया और दुष्परिणाम झेलने के लिए भी कह दिया। पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष मुनीर की डोनाल्ड ट्रम्प के सामने क्या औकात? मुनीर ने घुटने टेक दिये और सीजफायर को लागू करने के लिए विवश हो गया। इस प्रकार भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध थम गया। भारत और पाकिस्तान युद्ध की भयंकर क्षति दुनिया झेलने से बच गयी।
डोनाल्ड ट्रम्प का युद्ध विरोधी बयान कितना परिपक्व और प्रेरक है, यह भी देख लीजिये। इसमें विश्वहित कितना छिपा हुआ है, यह भी देख लीजिये। डोनाल्ड ट्रम्प का कहना है कि दुनिया एक साथ तीन युद्ध नहीं झेल सकती है। तीन युद्ध से उनका अर्थ भारत और पाकिस्तान युद्ध से तो था ही, इसके अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध और इस्राइल-हमास युद्ध से भी था। खासकर भारत और पाकिस्तान युद्ध से दुनिया को कई प्रकार की क्षति उठानी पड़ती। डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन की चाल समझ ली थी। चीन पाकिस्तान को मोहरा बना कर अपना हित साधना चाहता था। चीन, भारत को रूस बनाना चाहता था और पाकिस्तान को यूक्रेन बनाना चाहता था। चीन इस युद्ध में मुस्लिम देशों को उकसा कर अपना वैश्विक हित भी मजबूत करना चाहता था। भारत और पाकिस्तान युद्ध में अमेरिका का कोई हित सधने वाला नहीं था और न ही उसके किसी हित का नुकसान होने वाला था। फिर भी डोनाल्ड ट्रम्प ने हस्तक्षेप कर भारत और पाकिस्तान युद्ध को समाप्त कराया। डोनाल्ड ट्रम्प का यह काम और प्रयास बहुत ही सराहनीय है।
दूसरी बार राष्ट्रपति बनते ही डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस और यूक्रेन को भी शांति का पाठ पढाया, युद्ध रोकने की सीख दी थी। रूस के राष्ट्रपति ब्लादमिर पुतिन जो अपने आप को दुनिया का बेताज बादशाह समझता था और अमेरिका को हेकड़ी दिखाता था, वह भी डोनाल्ड ट्रम्प के शरण में आ गया और यूक्रेन के साथ युद्ध समाप्त करने में डोनाल्ड ट्रम्प की भूमिका और विचार का समर्थन कर दिया। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की को वार्ता के लिए अमेरिका बुलाया। पर जलेंस्की डोनाल्ड ट्रम्प की शर्तों को मानने से इनकार कर दिया और रूस के साथ युद्ध रोकने में भी रूचि नहीं दिखलायी। अशोभनीय हरकते भी डोनाल्ड ट्रम्प ने दरकिनार कर दिया। अमेरिका दुनिया की इकलौती शक्ति है। उसके सामने यूक्रेन के राष्ट्रपति की क्या औकात?
अमेरिका ने सहायता नहीं दी होती और अपने लाखों डॉलर स्वाहा नहीं किया होता तो फिर यूक्रेन की पराजय कब की हो चुकी होती। रूस का यूक्रेन प्रदेश बन चुका होता। डोनाल्ड ट्रम्प ने शांति और धीरज से काम लिया और यूक्रेन के राष्ट्रपति को आत्ममंथन का समय दिया। आज यूक्रेन का राष्ट्रपति भी डोनाल्ड ट्रम्प की शर्तों के अनुसार शांति की बात करने के लिए मजबूर हुआ है। रूस भी शांति के लिए डोनाल्ड ट्रम्प की ओर देख रहा है। रूस और यूक्रेन युद्ध का हल भी निकलने के करीब है।
ईरान को डोनाल्ड ट्रम्प ने अपना रौद्र रूप दिखाया और कह दिया कि इस्रइल की ओर आंख भी उठा कर देखा तो फिर दुष्परिणाम भयंकर होगा। आतंकवादी संगठनों की सहायता पर भी ईरान को उसने घेरा। फिर ईरान भी इस्राइल से हिंसक टकराव का इरादा छोड़ दिया। इस्राइल पर यूरोपीय देशों के नजरिये को डोनाल्ड ट्रम्प ने खारीज कर दिया। इस्राइल को भी सुरक्षा का अधिकार है। इस नीति को सर्वोपरि बना दिया। हमास को कह दिया कि बंधकों की रिहाई करो या फिर इस्राइल का संहार झेलो, इस्राइल को कोई रोकेगा नहीं। डोनाल्ड ट्रम्प ने इस्राइल को पूरी छूट दे दी और हर संभव मदद देने की भी घोषणा कर डाली। इस्राइल आज हमास की कमर तोड डाली, गाजापट्टी को कब्र बना दिया। हमास के साम्राज्य को छिन्न-भिन्न कर डाला। पूरी मुस्लिम दुनिया मिलकर भी इस्राइल के आत्मरक्षा के अधिकार को चुनौती देने में असफल हैं। हमास द्वारा ढाई हजार यहूदियों की हत्या करने के बदले इस्राइल अब तक सत्तर हजार से अधिक हमास समर्थकों और मुसलमानों का संहार कर चुका है। मुस्लिम देश भी इस्राइल के खिलाफ हिंसक रणनीति बनाने के लिए तैयार नहीं है।
इसे भी पढ़ें: युद्ध न कीजिए पर भरोसा भी मत कीजिए पाकिस्तान पर!
दुनिया आज जो मुस्लिम आतंकवाद से राहत महसूस कर रही है उसके पीछे डोनाल्ड ट्रम्प की ही समझ और वीरता है। अपने पहले ही कार्यकाल में डोनाल्ड ट्रम्प ने मुस्लिम आतंकवाद की कमर तोड़ डाली। पाकिस्तान की आर्थिक सहायता बंद कर डाली, अमेरिका की मुस्लिम आबादी को राष्ट्रवाद का पाठ पढ़ाया। मुस्लिम आतंकवाद के प्रतीक मुस्लिम संगठनों पर प्रतिबंध लगाया। इसके साथ ही साथ उसने इस्राइल और अरब देशों के बीच कूटनीतिक संबंध विकसित करने के लिए प्रेरित किया। टैरिफ हथियारों का प्रयोग कर चीन जैसे अराजक देशों को नियंत्रित करने के लिए भी उनकी कोशिशें काबिले-तारीफ है। डोनाल्ड ट्रम्प के पास डॉलर का अचूक हथियार भी है जिससे वह विफल और अराजक देशों पर नियंत्रण आसानी कर लेते हैं।
हर कोई को अपना हित ही उचित समझ आता है, सर्वोपरि समझ आता है। इसलिए कई मायनों में डोनाल्ड ट्रम्प को अपना हित यानी अमेरिकी फस्ट की नीति सर्वोपरि लगती है, इसमें कोई अतिशियोक्ति नहीं है। इसके साथ ही साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन, संयुक्त राष्ट्रसंघ जैसे संगठनों को भी आइना दिखाना कोई गैर जरूरी बात नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र संघ जैसे वैश्विक संगठन अमेरिका, भारत, जापान और यूरोपीय देशों के दान के पैसों का उपयोग मौज मस्ती करने, वासना को पूर्ति करने, असफल और हिंसक मुस्लिम देशों पर खर्च करने का काम करते हैं। इन जैसे वैश्विक संगठनों पर कार्रवाई करना और उन्हें हद में रहने की सीख देना सही ही है, कहीं से भी गलत नहीं है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
इसे भी पढ़ें: परमाणु बम और जिन्न, पाक सेना के प्रवक्ता के पारिवारिक संबंध