Mohan Bhagwat on Population: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में परिवार और समाज की जनसंख्या वृद्धि पर महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसमें उन्होंने परिवार की अहमियत और समाज के भविष्य को लेकर चिंता जताई। भागवत ने कहा कि यदि किसी समाज की जनसंख्या वृद्धि दर 2.1% से नीचे चली जाती है, तो वह समाज स्वयं नष्ट हो जाएगा। उनका कहना था कि यह जनसंख्या विज्ञान की एक मौलिक सच्चाई है, और इसे नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। नागपुर में आयोजित ‘कथले कुल (कबीला) सम्मेलन’ में बोलते हुए उन्होंने कहा कि परिवार (कुटुंब) समाज का एक अभिन्न हिस्सा है, और हर परिवार समाज की एक छोटी इकाई के रूप में कार्य करता है।

भागवत ने जनसंख्या वृद्धि के संदर्भ में स्पष्ट रूप से कहा कि भारत को जीवित और मजबूत रखने के लिए प्रत्येक परिवार को कम से कम तीन बच्चे होने चाहिए। उनका मानना था कि अगर जनसंख्या वृद्धि दर 2.1% से नीचे चली जाती है, तो समाज की संरचना कमजोर हो जाएगी और भविष्य में समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। उनका यह भी कहना था कि देश की जनसंख्या नीति को ध्यान में रखते हुए, यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वृद्धि दर इस स्तर से नीचे न जाए, ताकि समाज स्थिर और मजबूत बना रहे।

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इस बयान के बाद, देशभर में इस मुद्दे पर विभिन्न प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। कुछ लोग इस दृष्टिकोण से सहमत हैं, जबकि अन्य इसे चुनौती दे रहे हैं। बिहार के मुजफ्फरपुर से सांसद डॉ. राजभूषण चौधरी, जो जल शक्ति विभाग के केंद्रीय मंत्री हैं, ने कुछ समय पहले एक कार्यक्रम में कहा था कि भारत को विकसित बनाने के लिए जनसंख्या विस्फोट को रोकना जरूरी है। उनके इस बयान से यह साफ होता है कि भारतीय राजनीति में इस विषय पर विचारधाराएँ अलग-अलग हैं। आरएसएस प्रमुख का यह बयान सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि यह भारतीय परिवारों के आकार और समाज की संरचना पर व्यापक असर डाल सकता है। राजनीतिक दलों और उनके नेताओं की प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा, क्योंकि यह मुद्दा भविष्य में देश की जनसंख्या नीति और सामाजिक संरचना पर गहरे प्रभाव डाल सकता है।

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