एक सीमा हैदर (Seema Haider) को लेकर राष्ट्रवादी भी भारत की सुरक्षा-सुरक्षा चिला रहे है, पर वे कितने अज्ञानी, कितने मूर्ख हैं और कितने मुस्लिम हथकंडे के शिकार हैं, उसका एक उदाहरण यहां देख लीजिये। भारत में हर साल कोई एक-दो नहीं बल्कि हजारों मुस्लिम लड़कियां शादी कर या करने के लिए पाकिस्तान से यहां आती हैं। ऐसी शादियां विभाजन के बाद से शुरू हुई और आज भी जारी हैं। ऐसी शादियों का अलग से कोई रजिस्टेशन की भी जरूरत नहीं होती है और न ही विदेश विभाग या गृह विभाग कोई डाटा रखता है।
भारतीय कानून के अनुसार कोई भी पाकिस्तानी लड़की या फिर विदेशी लड़की भारतीय से शादी करने पर भारत की नागरिक बन जायेगी। इसके लिए उसे कोई बंधन का शिकार नहीं बनना पड़ता है। यह कानून बहुत ही खतरनाक है और इसमें संशोधन की आवश्यकता भी है। क्योंकि दुश्मन देश से शादी संबंध विकसित करना और स्थापित करना बहुत ही खतरनाक है और देश की सुरक्षा के लिए भी बहुत ही खतरनाक है। पाकिस्तान हमारा दुश्मन देश है, पाकिस्तान आतंकवाद और मुस्लिम जनसंख्या आक्रमण के बल पर भारत को मुस्लिम देश बनाने की अनंत नीति पर काम कर रहा है।
जब एक सीमा हैदर से भारत की सुरक्षा खतरे में पड़ती है, तो फिर पाकिस्तान से हर साल आने वाली हजारों मुस्लिम लड़कियां भारत के लिए खतरे की घंटी क्यों नहीं हो सकती है? पाकिस्तान और आईएसआई की चाल भारतीय मुसलमानों का पाकिस्तानीकरण करने की है। पाकिस्तान से आने वाली हजारों मुस्लिम लड़कियां भारतीय मुसलमानों के मन में अपने मूल देश पाकिस्तान के प्रति प्यार और समर्पण विकसित करती ही होंगी। भारतीय मुसलमान जब अपने ससुराल पाकिस्तान जाते हैं, तब वे आतंकवादी संगठनों के भी संपर्क में जाते हैं और उनसे भारत को तोड़ने की मजहबी शिक्षा ग्रहण करते हैं। भारत को तोड़ने और सनातन संस्कृति को नष्ट करने का सपना देखने वाले भारतीय मुसलमानों को पाकिस्तान जाने में सरकारी बंदिशें होती नहीं हैं, उन्हें पाकिस्तान जाने में कोई परेशानी नहीं होती है।
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— Partap Dewasi 🙏🚩 (@partap_desai) July 20, 2023
ऐसे भी भारतीय मुसलमानों पर पाकिस्तान परस्ती बहुत तेजी से चलती है और इसके प्रमाण पत्र हमेशा देखने को मिलते रहते हैं। जगह-जगह पर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगते हैं, राहुल गांधी की यात्रा में भी पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे थे। इसके अलावा मुसलमान देश की अवधारणा को नहीं मानता है। मुसलमान सिर्फ इस्लाम की अवधारणा को मानता है। दुनिया के सभी मुसलमान एक हैं, अन्य सभी इनके लिए काफिर हैं। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां अगर ऐसी घुसपैठ की नीति और ऐसी शादियों पर ध्यान दी होती तो फिर आईएसआई और पाकिस्तान की यह चाल कमजोर पड़ी होती। पाकिस्तानी आतंकवादी भारत में शरणस्थली कैसे बनाने में कामयाब होते हैं? इसके पीछे की कहानी पाकिस्तानी मुस्लिम लड़कियां ही हैं। पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों को मालूम होता है कि भारत में कहां-कहां पर पाकिस्तानी मुस्लिम लड़कियां हैं और उनकी रिश्तेदारियां हैं। उन-उन जगहों का पता और परिस्थितियां बता दी जाती हैं। फिर पाकिस्तानी मुस्लिम आतंकवादी अपना आतंकवाद का जाल आसानी से बना लेते हैं।
लेकिन अभी तक ऐसी शादियों पर रोक या पाबंदियों पर कोई विचार तक नहीं किया गया है। इसलिए कि अगर ऐसी शादियों पर रोक लगाने से मुस्लिम आबादी नाराज हो जायेगी और उनका वोट बैंक प्रभावित हो जायेगा, शांत हो जायेगा। अगर ऐसी शादियों पर रोक लगाने में परेशानियां हैं, तो कम से कम पाबंदियां लगनी ही चाहिए। विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय के साथ ही साथ सुरक्षा एजेसियां की स्वीकृति अनिवार्य होनी चाहिए। ऐसी पाकिस्तानी मुस्लिम लड़कियों को आबादी आक्रमण के तौर पर देखा जाना चाहिए और भारत को मुस्लिम देश बनाने की चाल के तौर पर देखा जाना चाहिए। शादी कर भारत आने के बाद मुस्लिम लड़कियां फिर अपने परिवार और रिश्तेदारों को भारत बुलाकर अपने आस पास रखती हैं और भारत के नागरिक होने का प्रमाण उपलब्ध कराती हैं। रिश्तेदारी होने के आधार पर आने वाले अधिकतर पाकिस्तान मुसलमान भारत में लापता पाये जाते हैं, विदेश मंत्रालाय और गृह मंत्रालय ऐसे पाकिस्तानियों को खोजने में असफल होता है। जब कोई मुस्लिम आतंकवादी पकड़ा जाता है, तब पता चलता है कि आतंकवादी तो पाकिस्तान का नागरिक है। भारत में मुसलमानों की संख्या जो बढ़ रही है उसके पीछे इसी तरह का आबादी आक्रमण भी है।
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सीमा हैदर प्रकरण ने एक अवसर दिया हैं। अब पाकिस्तान से शादी या फिर अन्य माध्यमों से आने वाली हजारों मुस्लिम लड़कियों पर न केवल खुफिया नजर रखनी होगी, बल्कि उन्हें भारतीय कानूनों का पाठ पढ़ाना होगा। सबसे अच्छा तो यही होता कि पाकिस्तान जैसे मुस्लिम और दुश्मन देश से ऐसी शादियां प्रतिबंधित कर देनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर पाकिस्तान की भारत को मुस्लिम देश बनाने की चाल आज न कल कामयाब हो ही सकती है। शादी के हथकंडे से आने वाली हजारों पाकिस्तानी लड़कियों को आबादी और सुरक्षा आक्रमण के तौर पर ही देखा जाना चाहिए।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
(यह लेखक के निजी विचार हैं।)
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