Notebandi: आरबीआई (RBI) ने दो हजार की नोट बदलने का फैसला लेकर जमाखोरों और विपक्ष की बेचैनी को बढ़ा दिया है। करीब सात वर्षों से नोटबंदी (Notebandi) के नाम पर आंसू बहा रहे विपक्ष को दो हजार की नोट को बंद करने के फैसले ने एक और झटका दे दिया है। हालांकि ये दो हजार के नोट लंबे समय से बाजार से गायब हैं। कहां हैं किसी को नहीं पता, इतना जरूर है कि ईडी (ED) और सीबीआई (CBI) की छापेमारी में बरामद होने वाले नोट अधिकतर दो हजार रुपये के होते हैं। दो हजार की नोट दबाकर रखने वालों को इस बार रिजर्ब बैंक ऑफ इंडिया ने तगड़ा झटका दिया है। आरबीआई (RBI) के मुताबिक दो हजार के नोट 30 सितंबर तक ही वैध रहेंगे। इस दौरान इसको बैंक में जाकर जमा या बदला जा सकता है।

RBI के इस फैसले के विपक्षी दल एकबार फिर एक सूर में आ गए हैं। सभी इस फैसले को गलत बताने की कोशिश कर रहे हैं। बदा दें कि ये वही विपक्षी पार्टियों के नेता हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले को गलत बताया था। जबिक नोटबंदी की वजह से आम आदमी को भी काफी मुश्किलों से गुजरना पड़ा था। बावजूद इसके जनता पीएम मोदी के इसे फैसले से इतना खुश थी कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की जेब फटी कुर्ता पहनने के बावजूद भी नरेंद्र मोदी के नाम पर दोबारा मुहर लगा दिया। पूरा विपक्ष दो हजार की नोट बंद किए जाने के विरोध में एकबार फिर साथ नजर आ रहा है। सभी इस फैसले को गलत बताने की कोशिश कर रहे हैं।

कांग्रेस पार्टी की तरफ से कहा जा रहा है कि जब नोट बंद ही करने थे तो लाए ही क्यों थे। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए ट्वीट किया है कि सरकार को इतने दिनों बाद अपनी गलती का एहसास हुआ है। वहीं आम आदमी पार्टी का अपना अलग ही तर्क है। जबकि आरबीआई ने दो हजार के नोट बदलने के फैसले के साथ इस नोट को क्यों छापा गया था और क्यों बंद किया जा रहा है, इसे स्पष्ट कर चुका है।

जनता बोली, मेरे पास नहीं हैं दो हजार के नोट

आरबीआई के दो हजार के नोट बदलने वाले फैसले के विरोध में विपक्ष का कहना है कि इससे आम आदमी को एकबार फिर लाइन में लगना पड़ेगा। वहीं जब इस संदर्भ में आम जनमानस से बात की गई तो लोगों ने बताया कि उन्होंने लंबे समय से दो हजार के नोट को देखा तक नहीं है। बैंक और एटीएम से दो हजार के नोट गायब हैं। ऐसे में जो लोग नोट को दबाकर बैठे हैं, वो इसका खामियाजा भुगते। जनता ने आरबीआई और सरकार के फैसले की सराहना करते हुए इसे सही ठहराया है। युवाओं का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ई ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देकर कई तरह की समस्याओं से मुक्ति दिला दी है। वह अब अपने पास कैश रखते ही नहीं हैं।

ब्लैकमनी पर कड़ा प्रहार

विपक्ष लंबे समय से नरेंद्र मोदी से यह सवाल पूछ रहा था कि क्या नोटबंदी करने से भ्रष्टाचार व ब्लैकमनी रुक पाई है। विपक्ष का यह सवाल वाजिब भी था। लेकिन भ्रष्टाचार व ब्लैकमनी को रोकने के लिए इससे अच्छा कोई और विकल्प हो सकता था, इस पर कोई चर्चा नहीं करता था। लोगों के लगने लगा था कि ब्लैकमनी को छिपाने के लिए दो हजार के नोट सबसे अच्छा है। शायद यही वजह रही है, ईडी-सीबीआई की रेड में दो हजार रुपयों की खेप ही मिलती है।

लंबे समय से बाजार से गायब हैं दो हजार के नोट

बता दें कि दो हजार के नोट लंबे समय से बाजार से गायब है। लोगों में यह बात काफी समय से चर्चा में थी। लोग यह महसूस कर रहे थे कि सरकार अगर दो हजार के नोट को बंद कर देती है, तो भ्रष्टाचारियों की कमर टूट जाएगी। क्योंकि एटीएम से भी दो हजार के नोट गायब है। मजे की बात यह है कि दो हजार के नोट केवल ईडी और सीबीआई के छापों में बरामद हो रहे थे। इससे यह साफ हो चुका था कि दो हजार के नोटों को अधिकारी, नेता और व्यापारी हड़प चुके हैं। जानकारों की मानें बाजार से दो हजार के करोड़ों रुपये गायब हो चुके हैं। ऐसा इसलिए नहीं है कि इन पैसों को कोई लूट ले गया है। इन रुपयों को इसी देश के धन कुबेरों ने दबा रखा है।

जमाखोरों की टूटेगी कमर

जमाखोरों को इस बात का भान नहीं रह होगा कि उनकी जमाखोरी पर सरकार की निगाह है। इस बात को लेकर सरकार 2019-20 में ही सतर्क हो गई थी और उसने दो हजार के नोटों को छापना ही बंद कर दिया था। यही वजह है कि लोग जैसे-जैसे दो हजार को डंफ करते गए, बाजार से वैसे-वैसे दो हजार के नोट गायब हो गए। आज शायद ही कोई ऐसा आम आदमी हो जिसके घर में दो हजार की नोट मौजूद हो। इतना ही नहीं बैंकों से भी दो हजार के नोट लंबे समय से गायह हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि दो हजार की नोट पर रोक के बाद अब डंफ किए गए यह नोट बाहर आ जाएंगे।

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आरबीआई (RBI) ने बताई दो हजार के नोट छापने की वजह

आरबीआई ने साफ किया है कि दो हजार के नोट वापस आने पर उसकी जगह पांच सौ व अन्य नोटों की छपाई की जाएगी। इससे लोगों को नोट के लिए कोई दिक्कत भी नहीं है। वहीं आरबीआई ने दो हजार के नोट को छापने की वजह भी बताई है। आरबीआई के मुताबिक नोटबंदी के दौरान नोटों की समस्या के चलते दो हजार के नोट छापे गए थे। क्योंकि नोटबंदी से देश की बड़ी आबादी प्रभावित हुई थी। इसके चलते दो हजार की नोट छापना मजबूरी थी। लेकिन अब इसको बंद करने से आम आदमी पर कोई खासा फर्क नहीं पड़ेगा।

जनता खुश, बताया अच्छा फैसला

दो हजार के नोट को चलन से बाहर करने के आरबीआई के फैसले पर विपक्ष एक बार फिर हायतौबा मचाने में लग गया है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि इससे आम जनता को एक बार फिर बैंकों और एटीएम की लाइन में लगने पड़ेंगे। वहीं आम जनमानस से बात करने पर लोगों ने आरबीआई के इस फैसले पर खुशी जताई। लोगों का कहना है कि बाजार से दो हजार के नोट गायब हैं, ऐसे में जो पैसों को दबाकर बैठे हैं, वो इस बारे में सोचे। अधिकत्तर लोगों का कहना है कि उन्होंने लंबे समय से दो हजार के नोट देखें ही नहीं।

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