गोरखपुर: धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक पुस्तकों के प्रकाशन की विश्व प्रतिष्ठित संस्था गीता प्रेस (Geeta Press) के शताब्दी वर्ष समारोह के समापन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) उनकी अगवानी के लिए मौजूद रहेंगे। गीताप्रेस (Geeta Press) प्रबंधन के अनुरोध पर प्रधानमंत्री ने समारोह में आने की स्वीकृति दे दी है। हालांकि अभी प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से पीएम मोदी (PM Modi) के आगमन की तिथि फाइनल नहीं की गई है। गीताप्रेस प्रबंधन ने शताब्दी वर्ष समापन समारोह के लिए 30 मई की तिथि पर समय देने का निवेदन किया है। पीएम के आगमन पर गीताप्रेस (Geeta Press) की तरफ से श्री शिव महापुराण के विशिष्ट अंक के विमोचन की भी तैयारी की जा रही है।
1923 में स्थापित गीताप्रेस की शताब्दी वर्ष समारोह का औपचारिक शुभारंभ तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) व राज्यपाल आनंदी बेन पटेल की उपस्थिति में 4 जून 2022 को किया था। तब कोविंद ने गीताप्रेस का भ्रमण, यहां के लीलाचित्र मंदिर का अवलोकन करने के साथ ही आर्ट पेपर पर छपी श्रीरामचरितमानस के विशेष अंक व गीता तत्व विवेचनी का विमोचन किया था। शताब्दी वर्ष को यादगार बना रहे गीताप्रेस ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में समापन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को आमंत्रित किया है। गीताप्रेस के व्यवस्थापक लालमणि तिवारी के अनुसार प्रधानमंत्री ने शताब्दी वर्ष समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सहभागिता के लिए आमंत्रण को स्वीकार कर लिया है। जल्द ही प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से उनके कार्यक्रम की तिथि व समय का निर्धारण कर लिया जाएगा। श्री तिवारी के मुताबिक गीताप्रेस प्रबंधन ने 30 मई की तिथि को लेकर प्रधानमंत्री से निवेदन किया है। पर, तिथि पर निर्णय प्रधानमंत्री कार्यालय ही करेगा। समारोह को लेकर पीएम मोदी की स्वीकृति मिलने की जानकारी होते ही गीताप्रेस ने समारोह की तैयारियां युद्ध स्तर पर तेज कर दी हैं।
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धार्मिक व आध्यात्मिक पुस्तकों के प्रकाशन के लिहाज से गीताप्रेस विश्व की सबसे बड़ी प्रकाशन संस्था है। घर-घर में श्रीरामचरितमानस व श्रीमद्भागवत ग्रंथों को पहुंचाने का श्रेय गीताप्रेस को ही जाता है। गीताप्रेस की स्थापना 1923 में किराए के भवन में सेठ जयदयाल गोयंदका ने की थी। विश्व विख्यात गृहस्थ संत भाईजी हनुमान प्रसाद पोद्दार के गीताप्रेस से जुड़ने और कल्याण पत्रिका का प्रकाशन शुरू होने के साथ ही इसकी ख्याति उत्तरोत्तर वैश्विक होती गई। साहित्य प्रकाशन के माध्यम से सनातन धर्म और संस्कृति को बचाए रखने में इसकी भूमिका मंदिरों और तीर्थ स्थलों जितनी ही महत्वपूर्ण है। स्थापना काल से अब तक 92 करोड़ से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन गीताप्रेस की तरफ से किया जा चुका है।
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