मीडिया चैनलों पर मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से कहा जा रहा है कि नूपुर शर्मा द्वारा मोहम्मद साहब पर दिए गए विवादित बयान ने मुसलमानों को उकसाया है और कानपुर का दंगा उसी उकसावे भरे बयान का परिणाम है। नूपुर के बयान से कतर, टर्की और ईरान आदि मुस्लिम देश भी गुस्से में हैं। टीवी चैनलों के एंकर इस सवाल के साथ उस परिदृश्य को क्यों नहीं साफ करते, जिसने नूपुर को वैसा विवादित कथन करने को उकसाया?
नूपुर ने इस्लाम के संस्थापक के बारे में अपशब्द कह कर अवश्य गलत किया है। लेकिन क्या ऐसा हुआ है कि टीवी चैनल की बहस में आते ही नूपुर शर्मा प्रॉफिट मोहम्मद के विषय में अनाप शनाप बोलने लगीं? निश्चित ही ऐसा नहीं हुआ होगा। जरूर बहस कुछ बातों के साथ आगे बढ़ी होगी। आरोप प्रत्यारोप धीरे-धीरे परवान चढ़े होंगे और उसी क्रम में नूपुर के मुंह से भी अपशब्द निकले होंगे। टीवी चैनलों ने बहुतेरे टपोरी, मवाली और लफ्फाज टाइप लोगों को मुस्लिम स्कॉलर या धर्मगुरु बताकर अपनी बहस में बैठाते हुए राष्ट्रीय चेहरा बना दिया है। टीवी चैनलों का यह कार्य सतत जारी है। उसी में से एक नाम है तस्लीम रहमानी।
आज सारे विवाद के केंद्र में नूपुर शर्मा को डाल दिया गया है। मीडिया से लेकर शातिर सियासत के लोग स्वयं को सभ्यता, इंसानियत और सहिष्णुता का झंडाबरदार दिखाने की होड़ में हैं। स्वार्थ और मक्कारी से भरे यह लोग इस बात का पता क्यों नहीं लगाते और दुनिया को बताते कि वैसा विवादित बयान नूपुर शर्मा ने क्यों दिया? क्या बहस में बैठे किसी के बयान ने नूपुर को आहत किया और नूपुर शर्मा वैसी बात कहने को विवश हुईं? नूपुर ने किसके कथन पर प्रतिवाद करते हुए वैसा कहा? उस व्यक्ति ने क्या कहा था? उसका बयान कितना गलत या जहरीला था?
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बताया जा रहा है कि तस्लीम रहमानी ने हिंदुओं के आराध्य भोलेनाथ पर अपशब्द कहा था और नूपुर शर्मा का जवाब उसी का पलटवार था। सच्चाई क्या थी- इसे दुनिया के सामने लाने के लिए मीडिया ट्रायल क्यों नहीं करता? यह बेहद दुखद व आश्चर्यजनक है। सार में जान लें कि पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में महज 198 या इसी के आसपास वोट पाने वाले तस्लीम रहमानी जैसे विषैले और पिटे नेता को टीवी चैनल अब इस्लामिक स्कॉलर बताकर सलैबेटरी बनाने में लगा है। क्यों? यह मीडिया जाने। अंत में, नुपर दोषी हैं कि उन्होंने अपने आपत्तिजनक शब्दों से किसी धर्म विशेष के लोगों को उकसाया है।
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उन्होंने यूं ही वैसे गलत शब्दों का इस्तेमाल किया है तो उन्हें जेल व पागलखाने दोनों में भेजना चाहिए। लेकिन अगर उनसे पहले किसी ने अपशब्द कहकर नुपर को उकसाया है तो नुपर से पहले उस व्यक्ति को सजा मिलनी चाहिए। बताया जा रहा है कि उस विवादित बहस के बाद से तसलीम रहमानी टीवी डिबेट से गायब हैं। वह अपने कमरे में दुबककर टीवी की हर बहस पर नजर गड़ाए हुए ऊपर वाले से अपने बचे रहने की दुआ कर रही हैं। एक मुजरिम को सारे परिदृश्य से बाहर कर देना और केवल दूसरे को ही केंद्र में रखना, न्याय की बात करने वाले भारत सहित पूरे विश्व का अभागा पक्ष है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
(यह लेखक के निजी विचार हैं)