प्रकाश सिंह
गोंडा: सरकारी दावे और हकीकत में हमेशा अंतर रहा है। सरकारें वही दावे करती हैं, जो सरकारी तंत्र उन्हें बताती हैं। यही वजह है कि हर सरकारी आंकड़ा वास्तविकता से परे होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को धुंए से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से केंद्र की मोदी सरकार ने उज्ज्वला योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत सरकार की तरफ से लाभार्थियों को फ्री गैस कनेक्शन दिया गया है। ऐसा लगने लगा था कि दम घोंटू धुंए से ग्रामीण अंचलों की महिलाओं को मुक्ति मिल जाएगी। लेकिन कमर तोड़ मंहगाई ने सरकार के साथ साथ ग्रामीण महिलाओं की खुशियों पर पानी फेर दिया है।
आम आदमी के साथ साथ उज्ज्वला योजना के लाभार्थी में गैस खरीद पाने में असमर्थ दिख रहे हैं। अधिकतर उज्ज्वला योजना के लाभार्थी भी फिर से अपने परंपरागत चल्हे पर लौट आए हैं। मंहगी गैस के चलते लाभार्थी गैस भरवाने में असमर्थ हैं। फ्री गैस कनेक्शन लाथार्थियों के जीवन में चार दिन की चांदनी की तरह साबित होकर रह गया।
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ग्रामीण अंचल की महिलाओं का कहना है कि सरकार ने उज्ज्वला योजना के नाम पर छल किया है। योजना के तहत तीन महीने तक फ्री गैस देकर फिर कीमत इतनी बढ़ा दी की गैस भरवा पाना उनके वश की बात नहीं रह गई है। गोंडा जनपद के परसपुर क्षेत्र कि राम दुलारी, रामेश्वरी देवी, गुंजा यादव, पूजा सिंह, ज्योति का कहना है कि सरकारों को इस तरह से गरीबों का मजाक नहीं बनाना चाहिए। हम लोग पहले भी चूल्हा फूंकते थे और आज भी फूंकना पड़ रहा है।
फ्री गैस कनेक्शन देने से हम लोगों की जिंदगी नहीं बदलने वाली है। क्योंकि जब तक मंहगाई से राहत नहीं दी जाती तब तक यह हम लोगों के साथ मजाक जैसा है। रसोई घर में एक तरफ उज्जवला योजना के तहत मिला सिलेंडर पड़ा है तो दूसरी तरफ हम लोग चूल्हा फूंक रहे हैं। इन महिलाओं का कहना है कि जब हम लोगों के पास गैस कनेक्शन नहीं था, तो हमें किसी से कोई शिकायत भी नहीं थी। क्योंकि हम इसे अपना नसीब मान रहे थे। लेकिन सरकार की तरफ से मिला सिलेंडर रसोई घर में खाली देखकर अब हम लोगों को सरकार पर गुस्सा आ रहा है। महिलाओं का कहना है कि किसी की गरीबी का इस तरह उपहास नहीं उड़ाना चाहिए।
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