हिंदु वीर योद्धा के बलिदान, शौर्य और त्याग की महान गाथा को बताती है छावा
अविनाश त्रिपाठी साल 1680 था जब औरंगजेब को पता चला कि छत्रपति शिवाजी महाराज का देहांत हो गया है। तो वो दक्षिण जीतने की इच्छा लिए आगरा से उठकर छत्रपति…
अविनाश त्रिपाठी साल 1680 था जब औरंगजेब को पता चला कि छत्रपति शिवाजी महाराज का देहांत हो गया है। तो वो दक्षिण जीतने की इच्छा लिए आगरा से उठकर छत्रपति…