संजय तिवारी
लखनऊ: उनका नाम शिव से आरंभ होता है। संगठन उनके लिए सदैव मान अपमान से बहुत ऊपर रहा है। कोई कुछ भी कहे, लेकिन उनके जाने अनजाने विरोधी भी यह स्वीकार करते हैं कि शिव प्रताप शुक्ल (Shiv Pratap Shukla) संगठन से ज्यादा किसी बात को महत्व नहीं देते। संगठन सर्वोपरि। निजी प्रतिष्ठा, मान या मर्यादा या किसी व्यक्तिगत ईगो का कोई मतलब नहीं। शंकर सुवन केसरीनंदन के परम भक्त शिवप्रताप शुक्ल महाशिवरात्रि के दिन मां पार्वती के पीहर में देवभाषा में राज्यपाल पद की शपथ लेंगे। संस्कृतिपर्व के अपने इस संरक्षक की आज की भावुकता बरबस आंखे भिगो गयी, जब उन्होंने अपने ही साथ राजनीति के कर्मक्षेत्र में जोड़ने वाले भाजपा के वर्तमान क्षेत्रीय अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह के हाथ मे संगठन से अपना त्यागपत्र सौंपा। वह दृश्य बहुत ही भावुक करने वाला था। पद पाकर खुशी खुशी सबकुछ करने वालों को तो बहुत देखा है, लेकिन किसी कार्यकर्ता के लिए संगठन का जुड़ाव क्या होता है यह शिव प्रताप से अवश्य सीखनी चाहिए। लोग दल और विचारधारा बदल कर नगाड़े पीटते हैं, आज भाजपा के इस कर्मयोगी की दशा देख कर लगा कि राजनीति में अभी भी भारतीय मूल्य बहुत गहरे समाये हैं।
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल पद पर शपथ लेने से दो दिन पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ल (Shiv Pratap Shukla) ने बुधवार की सुबह भारतीय जनता पार्टी से त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने अपना त्यागपत्र क्षेत्रीय अध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र सिंह को सौंपा। बेतियाहाता स्थित आवास पर त्यागपत्र देते समय शिव प्रताप पार्टी से अपने 39 साल पुराने रिश्ते को याद करके भावुक हो गए। कहा कि उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि किसी भी वजह से उन्हें पार्टी से त्यागपत्र देना भी पड़ सकता है। शिव प्रताप शुक्ल के हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में शपथ ग्रहण का कार्यक्रम तय हो गया है। वह शिवरात्रि के दिन 18 फरवरी को राज्यपाल पद की शपथ लेंगे। इसके लिए वह 17 फरवरी की शाम तक हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला पहुंच जाएंगे। वह संस्कृत में शपथ लेंगे। शिव प्रताप इससे पहले राज्यसभा के सदस्य की शपथ भी संस्कृत में ही ले चुके हैं।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से राजनीति का ककहरा सीखने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ल की पहचान शुरू से ही पूर्वांचल में राजनीति के बड़े चेहरे के रूप में रही। इसी रूप में पार्टी ने उन्हें समय-समय पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी। कभी संगठन में पदाधिकारी बनाया गया, तो कभी प्रदेश से लेकर केंद्र सरकार के मंत्रालय में जगह दी गई। राज्यसभा की सदस्यता के समाप्त होने के छह महीने बाद हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल की जिम्मेदारी मिलने को भी राजनीतिक हल्के में इसी रूप से देखा जा रहा। लोग इसे लोकसभा चुनाव के नजरिये से भी देख रहे हैं।
खजनी तहसील के रुद्रपुर गांव के रहने वाले 71 वर्षीय शिव प्रताप शुक्ल का राजनीतिक कॅरियर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता के रूप में शुरू हुआ। वह विद्यार्थी परिषद के प्रदेश संगठन मंत्री रहे। विद्यार्थी परिषद के बैनर पर उन्होंने दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति भी की। राजनीति में उनका दूसरा पड़ाव भारतीय जनता युवा मोर्चा में रहा। मोर्चा के प्रदेश मंत्री की जिम्मेदारी भी उन्होंने संभाली। गोरखपुर नगर से भाजपा के टिकट पर चार बार विधायक रहे शिव प्रताप को चार बार प्रदेश सरकार में मंत्री बनाया गया। वर्ष 2002 में डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल से विधानसभा चुनाव हारने के बाद एक बारगी वह प्रत्यक्ष राजनीति से वह बाहर होते दिखे पर संगठन ने उनके राजनीतिक महत्व को समझते हुए 2009 में प्रदेश उपाध्यक्ष बना दिया। इस पद पर नौ साल रहकर उन्होंने संगठन के लिए पूरी निष्ठा से कार्य किया। 2019 के लोकसभा चुनाव आया तो एक पार्टी ने एक बार फिर ब्राह्मण चेहरे के रूप में उनको प्रत्यक्ष राजनीति में खींचा।
इसे भी पढ़ें: Nikki Murder: निक्की यादव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अहम खुलासा
राज्यसभा का सदस्य बनाकर केंद्र सरकार में उन्हें केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री बना दिया गया और वह तब तक मंत्री बने रहे, जब तक चुनाव सम्पन्न नहीं हो गया। आज जब वह अपना त्यागपत्र क्षेत्रीय अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह को सौंप रहे थे उस समय क्षेत्रीय महामंत्री और सहजनवां के विधायक प्रदीप शुक्ल, क्षेत्रीय मीडिया प्रमुख नवीन पांडेय बच्चा, जिलाध्यक्ष युधिष्ठिर सिंह सहित पार्टी के कई वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद थे।
इसे भी पढ़ें: नशे की लत में बर्बाद हो रहा बच्चों का भविष्य