तोक्यो। भारतीय महिला हॉकी टीम ने तोक्यो ओलंपिक खेलों के क्वार्टर फाइनल में सोमवार को आस्ट्रेलिया को कड़े मुकाबले में 1-0 से हराकर पहली बार ओलंपिक के सेमीफाइनल में प्रवेश करके नया इतिहास रचा दिया। भारतीय पुरुष हॉकी टीम के 49 वर्ष बाद सेमीफाइनल में जगह बनाने के बाद विश्व में नौवें नंबर की महिला टीम ने यह इतिहास रचा। सेमीफाइनल में उसका सामना बुधवार को अर्जेंटीना से होगा। अर्जेंटीना ने क्वार्टर फाइनल में जर्मनी को 3-0 से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया।
गुरजीत ने 22वें मिनट में पेनल्टी कार्नर पर महत्वपूर्ण गोल किया। इसके बाद भारतीय टीम ने अपनी पूरी ताकत गोल बचाने में लगा दी जिसमें वह सफल भी रही। गोलकीपर सविता ने बेहतरीन खेल का प्रदर्शन किया। आखिरी दो क्वार्टर में आस्ट्रेलिया ने लगातार हमले किये लेकिन भारतीयों ने उन्हें नाकाम किया। विश्व में दूसरे नंबर के आस्ट्रेलिया ने शुरुआती मिनटों में भारतीय रक्षकों को व्यस्त रखा। भाग्य भारत के साथ था जो दूसरे मिनट में स्टीफेनी केरशॉ के क्रास पर एंब्रोसिया मालोनी का शॉट पोस्ट से टकराने के कारण आस्ट्रेलिया बढ़त हासिल नहीं कर पाया।
भारतीय खिलाड़ी हालांकि अधिक आत्मविश्वास में दिखी। भारत नौवें मिनट में गोल करने के करीब भी पहुंच गया था। लालरेमसियामी और वंदना कटारिया के प्रयासों से भारत ने आस्ट्रेलियाई रक्षापंक्ति में सेंध लगायी लेकिन रानी रामपाल का शॉट पोस्ट से टकरा गया। भारत ने पहले क्वार्टर में गेंद पर अच्छा नियंत्रण बनाया और दूसरे क्वार्टर में भी अपने खेल में निंरतरता बनाये रखी। आस्ट्रेलिया को 19वें मिनट में मैच का पहला पेनल्टी कार्नर मिला लेकिन भारतीयों ने बेहतरीन रक्षण से यह खतरा टाल दिया।
इसके बाद मोनिका के आस्ट्रेलियाई सर्कल में बेहतरीन प्रयास से भारत ने पेनल्टी कार्नर हासिल किया और गुरजीत ने उसे गोल में बदलकर 22वें मिनट में टीम को बढ़त दिला दी। गोल के बायें छोर पर गये उनके शॉट का आस्ट्रेलियाई रक्षकों के पास कोई जवाब नहीं था। भारत के पास 26वें मिनट में बढ़त दोगुनी करने का मौका था जब सलीमा टेटे बीच मैदान से गेंद लेकर आगे बढ़ी लेकिन उनका शॉट निशाने पर नहीं लगा। इस तरह से रानी रामपाल की अगुवाई वाली टीम मध्यांतर तक 1-0 से आगे थी। आस्ट्रेलिया गोल करने के लिये बेताब था और उसने तीसरे क्वार्टर के शुरू में स्टीवर्ट ग्रेस के प्रयासों से मौका भी बनाया लेकिन भारतीय गोलकीपर सविता ने मारिया विलियम्स के शॉट को रोककर यह हमला नाकाम कर दिया।
आस्ट्रेलिया ने इसके बाद दो पेनल्टी कार्नर हासिल किये लेकिन सविता की अगुवाई में भारतीय रक्षापंक्ति अद्भुत और अदम्य साहस दिखाकर खतरे टालती रही। इस क्वार्टर में भारत की मध्यपंक्ति और रक्षापंक्ति का खेल दर्शनीय रहा। सुशील चानू, दीप ग्रेस एक्का, सलीमा टेटे, मोनिका सभी ने बेहतरीन खेल दिखाया। इस क्वार्टर में भारत के पास गोल करने का सबसे अच्छा मौका 44वें मिनट में था जब शर्मिला देवी ने दायें छोर से गेंद रानी को थमायी लेकिन वह फिर से निशाने पर शॉट जमाने से चूक गयी।
भारतीय रक्षकों ने चौथे क्वार्टर में भी बेहतरीन खेल दिखाया। आस्ट्रेलिया के पास 50वें मिनट में गोल करने का मौका था लेकिन इस बार निक्की प्रधान उसकी राह में रोड़ा बनी। आस्ट्रेलिया को इसके बाद लगातार दो पेनल्टी कार्नर मिले लेकिन सविता रूपी दीवार को भेद पाना उसके लिये मुश्किल था।
आस्ट्रेलिया ने मैच समाप्त होने से दो मिनट पहले पेनल्टी कार्नर हासिल किया लेकिन सविता ने फिर से भारत पर आया खतरा टाल दिया। अंतिम सीटी बजने के साथ ही भारतीय खिलाड़ी झूमने लगी और एक दूसरे के गले लग गयी। भारतीय कोच सोर्ड मारिन भी खुशी में उछल पड़े और उनके आंसू निकल आये।
कड़ी मेहनत का परिणाम—गुरजीत
मैच के बाद गुरजीत ने कहा, ‘‘हम बहुत खुश हैं। यह हमारी कड़ी मेहनत का परिणाम है। हमने 1980 में ओलंपिक के लिये क्वालीफाई किया था लेकिन इस बार हम सेमीफाइनल में पहुंचे हैं। यह हमारे लिये गौरवशाली क्षण है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘टीम परिवार की तरह है। हम एक दूसरे का समर्थन करते हैं और हमें देश का भी समर्थन मिलता है। हम बहुत खुश हैं।’’
1980 में किया था सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
भारतीय टीम का ओलंपिक में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन इससे पहले मास्को ओलंपिक 1980 में था जबकि टीम चौथे स्थान पर रही थी लेकिन तब केवल छह टीमों ने हिस्सा लिया था और मैच राउंड रोबिन आधार पर खेले गये थे। रानी रामपाल की अगुवाई वाली टीम की यह जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि क्योंकि पूल चरण में उसे शुरू में संघर्ष करना पड़ा। भारतीय टीम अपने पूल में दक्षिण अफ्रीका और आयरलैंड को हराकर चौथे स्थान पर रही थी जबकि आस्ट्रेलिया अपने पूल में शीर्ष पर रहा था।