कानपुर: कानपुर के प्रतिष्ठित एचबीटीयू परिसर की स्थिति अत्यंत खराब हो चली है। शोषित और पीड़ित छात्राओं (exploitation of girl students) ने उत्तर प्रदेश सरकार से सुरक्षा और अपने कॅरियर को बचाने की मांग की है। छात्राओं (exploitation of girl students) ने बड़ी मशक्कत के बाद आरोपी शिक्षक के खिलाफ एफआईआर तो दर्ज करा दी, लेकिन खबर है कि आरोपी को पुलिस ने बाद में छोड़ दिया।
छात्राओं का कॅरियर बर्बाद करने की धमकी
(exploitation of girl students) छात्राओं का कहना है कि आरोपी ने बाहर आते ही धमकी दी है कि वह इनका कॅरियर बर्बाद कर देगा। इन छात्राओं की संभवतः शुक्रवार से ही परीक्षा भी शुरू हो रही है। लेकिन जो माहौल है, उसमें आज क्या होगा कुछ कहा नहीं जा सकता। उधर कुलपति समेत पूरा प्रशासन आरोपी को बचाने में जुट गया है।
परिसर से जो खबर मिल रही है उसके अनुसार यह मामला तब से चल रहा है जब से नए कुलपति ने यहां कार्यभार ग्रहण किया है। आरोप है कि कुलपति ने आते ही यहां जातिवाद का जहर बो दिया है। जाति के आधार पर ही छात्रों और शिक्षकों में बंटवारा कर दिया गया। इसमें प्रताड़ित लगभग सभी शिक्षक और छात्राएं सवर्ण हैं। कुलपति जिस शिक्षक को बचाने में लगे हैं, उस पर शोषण आउट, उत्पीड़न के अत्यंत गंभीर आरोप हैं।
परिसर के प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने वाली छात्राओं (exploitation of girl students) ने इससे पहले रैगिंग की भी शिकायत की थी, लेकिन कुलपति ने कोई कार्रवाई नहीं की। इस समय कुलपति कह रहे हैं कि वह इंटरनल कमेटी बना कर जांच कराएंगे। ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है कि छात्राएं कैमरे के सामने आकर इतना गंभीर आरोप लगा रही हैं, इसके बाद भी प्रशासन लीपापोती में लगा है।
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खबर है कि जिस शिक्षक अपर आरोप लगा है वह कुलपति का बहुत ही ख़ास है। कुलपति के साथ मिल कर कई गंभीर आर्थिक घोटालों में भी वह सहभागी है। इसीलिए कुलपति छात्राओं की सुन नहीं रहे। बताया जाता है कि कुलपति के निर्देश पर शिक्षकों की नियुक्ति में भी इस शिक्षक ने बहुत मनमानी की है। कुलपति ने अपने पसंदीदा शिक्षकों को रख कर 6 शिक्षकों को बिना किसी कारण के कार्य मुक्त कर दिया है। ये संविदा शिक्षक अलग लड़ाई लड़ रहे हैं।
बताया जा रहा है कि परिसर में अब जातिवाद का खेल चल रहा है। आरोप है कि कुलपति सवर्ण जाति के शिक्षकों और छात्रों से चिढ़ते हैं। छात्राओं का आरोप है कि अपनी इज्जत दांव पर लगा कर हम लोग न्याय मांग रहे हैं, लेकिन कुलपति में जरा भी संवेदना नहीं है।
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