Ganesh Chaturthi: गणेश चतुर्थी, जिसे विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है, भारत के प्रमुख और आनंदमय त्योहारों में से एक है। यह विशेष रूप से महाराष्ट्र में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व पर भगवान गणेश की मूर्तियों की स्थापना कर पूजा अर्चना की जाती है, और फिर इन्हें जल में विसर्जित कर दिया जाता है। यदि आप पहली बार गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) मनाने जा रहे हैं, तो आपके लिए यहां कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए जा रहे हैं ताकि आपकी पूजा विधि सटीक और फलदायक हो सके।

गणेश की मूर्ति का चयन

1. मूर्ति का स्वरूप: गणेश की मूर्ति का चयन करते समय ध्यान दें कि उनकी सूंड बाईं ओर झुकी हुई हो। यह स्थिति शुभ मानी जाती है। बैठी हुई मूर्ति को भी प्राथमिकता दें, क्योंकि यह समृद्धि और सुख का प्रतीक है। एक हाथ में मोदक और दूसरे हाथ में आशीर्वाद की मुद्रा में गणेश को देखना भी शुभ होता है।

2. सामग्री: मूर्ति की सामग्री भी महत्वपूर्ण है। मिट्टी, चीनी मिट्टी, या प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियाँ आमतौर पर उपयोग की जाती हैं। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए, मिट्टी की मूर्ति को प्राथमिकता दें क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से विसर्जित होती है।

मूर्ति की स्थापना

1. स्थापना की दिशा: गणेश जी की मूर्ति को घर के उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें, और सुनिश्चित करें कि मूर्ति का मुख उत्तर दिशा की ओर हो। यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए मानी जाती है।

2. प्लेटफॉर्म तैयार करना: एक स्वच्छ और शांत स्थान पर एक प्लेटफॉर्म या चौकी पर कपड़े बिछा कर मूर्ति स्थापित करें। सुनिश्चित करें कि प्लेटफॉर्म पूरी तरह से साफ हो।

पूजा की विधि

1. शुद्धि अनुष्ठान: मूर्ति स्थापित करने के बाद, शुद्धि के लिए पवित्र गंगाजल या शुद्ध जल से गणेश जी पर छिड़काव करें। इसके बाद चावल भी छिड़कें।

2. ऋद्धि और सिद्धि: गणेश जी के साथ ऋद्धि और सिद्धि की मूर्तियाँ रखना शुभ माना जाता है। ये समृद्धि और आध्यात्मिक शक्ति के प्रतीक हैं।

3. प्रीति और चढ़ावा: गणेश जी को फूल, फल और विशेष रूप से मोदक अर्पित करें। मोदक भगवान गणेश की प्रिय मिठाई है। पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करें और अंत में आरती करें।

4. जल का बर्तन: मूर्ति के दाईं ओर एक जल से भरा बर्तन रखें। यह पूजा स्थल पर सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने में सहायक होता है।

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समापन और विसर्जन

पारंपरिक तौर पर, गणेश चतुर्थी के दसवें दिन मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है। विसर्जन से पहले, भगवान गणेश से प्रार्थना करें कि वे आपके घर से सभी बाधाओं को दूर करें और आपके जीवन में समृद्धि लाएं। विसर्जन के दौरान, मना किया जाता है कि आप अपने अच्छे कार्यों और आशीर्वादों को समेटे रहें।

इस प्रकार, गणेश चतुर्थी के इस पावन अवसर पर ध्यानपूर्वक और विधिपूर्वक पूजा करने से न केवल आपके घर में सकारात्मकता और समृद्धि आती है, बल्कि यह आपके मन की शांति और संतोष को भी बढ़ाता है।

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