Mrityunjay Dixit
मृत्युंजय दीक्षित

संसद के शीतकालीन सत्र में विकसित भारत जी राम जी, गारंटी फार रोजगार एंड आजीविका मिशन ग्रामीण विधेयक -2025 पारित होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिल जाने के साथ ही विधिवत कानून बन चुका है। संसद के दोनों सदनों में इस विधेयक के प्रावधानों के स्थान पर इसके नाम पर तीखी बहस हुई। लोकसभा से पारित होते समय इस विधेयक की प्रतियां फाड़ी गयीं। राज्यसभा में बहस पूरी होने और विधेयक पारित होने के बाद विपक्ष रात्रि में धरने पर बैठ गया।

बहस के दौरान महात्मा गाँधी सभी पक्षों के लिए महात्मा बने रहे, किंतु प्रभु श्रीराम, राम विरोधी दलों के सांसदों के निशाने पर आ गये। अभी तक चल रही मनरेगा योजना के नाम में सबसे पहले महात्मा गांधी का नाम आता था और इसका पूरा नाम था महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना। नए विधेयक में सरकार ने योजना के लिए नया नाम जी राम जी प्रयुक्त किया है।

विधेयक के नाम में जी राम जी आता है इसलिए कांग्रेस सहित अन्य दलों की नजर में यह विधेयक मजदूर विरोधी और संविधान विरोधी हो गया। सदन में बहस के दौरान आप सांसद संजय सिंह सहित कई सांसदों ने मर्यादा ध्वस्त करते हुए प्रभु श्रीराम के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया।

नया कानून जी राम जी, पुरानी मनरेगा योजना की अपेक्षा कई दृष्टियों से नया है। यह मात्र नाम बदलने की प्रक्रिया नहीं है। तेजी से बढ़ते भारत के लिए नए प्रावधानों की आवश्यकता थी, जिसे जी राम जी योजना पूरा करेगी। जी राम जी का उददेश्य विकसित भारत- 2047 के विजन के अनुरूप ग्रामीण विकास की अवसंरचना तैयार करना है। जहाँ मनरेगा 100 दिन काम की गारंटी देती थी वहां जी राम जी, 125 दिन काम देगी। इसमें साप्ताहिक भुगतान और कटाई -बुआई के सीजन के दौरान 60 दिन कोई काम न कराने का भी प्रावधान है ताकि खेतों पर काम करने के लिए मजदूरों की कमी न हो।

सरकार का कहना है कि इस कानून का उद्देश्य ग्रामीण सशक्तीकरण तथा समावेशी योजनाओं का बेहतर तरीके से समन्वय करना है। इस योजना का लक्ष्य सशक्तीकरण एवं विकास को बढ़ावा देकर समृद्ध और सक्षम ग्रामीण भारत का निर्माण करना है। योजना में केंद्र सरकार का खर्च का हिस्सा 60 प्रतिशत व राज्य का हिस्सा 40 प्रतिशत होगा जबकि मनरेगा में केंद्र सरकार ही अधिकांश खर्च वहन किया करती थी।

नए कानून के अंतर्गत रोजगार और परिसंपत्ति निर्माण को चार प्राथमिक कार्य क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, ताकि ग्रामीण विकास और आजीविका दोनों को मजबूत किया जा सके। यह नई योजना जल संचयन, भूजल स्तर सुधार, बाढ़ जल निकासी, पानी की उपलब्धता और प्रबंधन के काम में भी लागू कर दी गई है। इससे पानी संबंधी समस्याओं का समाधान और कृषि उत्पादकता बढ़ाने का भी प्रयास किया जाएगा।

ग्रामीण सड़कों के रखरखाव एवं निर्माण, पुल पगडंडी, नाला आदि के निर्माण व सड़क कनेक्टिविटी जैसे कार्यों को भी योजना से जोड़ लिया गया है, जिससे गांवों में आवागमन और बाजार तक पहुंच आसान हो सकेगी। कृषि उत्पादन भंडारण सुविधाओं, बाजार से जुड़ाव और बिक्री केंद्र, सहकारिता और आजीविका संवर्द्धन परियोजनाओं को भी योजना में स्थान दिया गया है। इससे ग्रामीण व्यवसायीयों और किसानों के लिए अतिरिक्त आय के स्रोत बनेंगे। नये कानून में मृदा सरंक्षण और सुधार, बाढ़ नियंत्रण के उपाय, पर्यावरण संरक्षण से जुड़े कई कार्य, जलवायु अनुकूलता ओैर जोखिम प्रबंधन गतिविधियो को भी योजना में शामिल कर लिया गया है। इन कार्यों से स्थानीय जलवायु संतुलन और कृषि पैदावर में मजबूती आएगी।

नया विकसित भारत जी-राम जी कानून लागू हो चुका है। अतः अब मनरेगा पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी। छह माह के भीतर राज्यों को अपनी नई योजनाएं बनानी होंगी। राज्यों को नई पंजीकरण व्यवस्था बनानी होगी जो पूर्णतया डिजिटल और बायोमैट्रिक पर आधारित होगी। सभी बनाए गए संसाधनों के डिजिटल रिकार्ड का अनुश्रवण किया जाएगा, जिससे पारदर्शिता और योजना निर्माण में सुधार होगा। ग्राम पंचायत स्तर पर योजनाएं तैयार होंगी जो राष्ट्रीय विकास ढांचे से जुड़ी होंगी। यदि 15 दिनों में मजदूरों को काम नहीं मिल पाता है तो उन्हें बेरोजगारी भत्ता देने का प्रावधान भी रखा गया है।

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कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि विगत 20 वर्षों में मनरेगा ने ग्रामीण परिवारों को रोजगार दिया पर गांवों में सामाजिक -आर्थिक बदलाव को देखते हुए इसे मजबूत करना जरूरी है। मनरेगा के संचालन में समय के साथ कई संरचनात्मक कमियां आ गयी थीं। कई राज्यों में फर्जी कार्य समेत अन्य विसंगतियों की शिकायतें लगातार मिल रही थीं। बंगाल के 19 जिलों में फंड के दुरुपयोग और फर्जी काम का मामला सामने आने के बाद केंद्र ने पूरे ढांचे पर पुनर्विचार किया और नया विधेयक तैयार किया।

सरकार का यह भी मत है कि योजना के डिजिटल हो जाने से योजना पारदर्शी हो जाएगी। कृषि मंत्री शिवराज सिह चौहान ने स्पष्ट किया कि महात्मा गांधी भी रामराज्य की बात करते थे और सरकार जी-राम-जी स्कीम लाकर बापू के सपनों को ही पूरा करने का काम कर रही है, इसलिए विपक्ष को माहत्मा गांधी के नाम पर घड़ियाली आंसू बहाने की कोई आवश्यकता नहीं है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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