इटावा: उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के दांदरपुर गांव में कथावाचक मुकुट मणि यादव को लेकर शुरू हुआ विवाद अब लखनऊ तक सियासी और सामाजिक भूचाल ला चुका है। खुद को ब्राह्मण बताकर कथा सुनाने पहुंचे कथावाचक और उनके साथियों के साथ हुई बदसलूकी, मारपीट, चोटी काटने और सिर मुंडवाने की घटना के बाद अब जातीय तनाव गहराता जा रहा है।

क्या है पूरा मामला

घटना की शुरुआत तब हुई जब कथावाचक मुकुट मणि यादव, आयोजक जयप्रकाश तिवारी के घर कथा करने पहुंचे थे। कथावाचक और उनके साथी जब पूजा करवा रहे थे, तब आयोजक की पत्नी रेणु तिवारी ने उन पर अनुचित तरीके से हाथ पकड़ने और छेड़छाड़ के गंभीर आरोप लगाए। जब उन्होंने अपने पति को यह बताया, तो शुरुआत में उन्हें चुप रहने को कहा गया, लेकिन कथित हरकतें बढ़ने पर बच्चों ने विरोध किया।

विवाद बढ़ते-बढ़ते हिंसा में तब्दील हो गया। कथावाचक मुकुट मणि और उनके साथियों को कुछ लोगों ने पीटा, उनकी चोटी काट दी और सिर मुंडवाकर गांव से निकाल दिया। इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे मामला और तूल पकड़ गया।

झूठी पहचान और जातीय आरोप

बकेवर थाने में आयोजक जयप्रकाश तिवारी ने कथावाचक मुकुट मणि और उनके साथी संत कुमार के खिलाफ शिकायत दी। आरोप था कि उन्होंने खुद को ब्राह्मण बताया और फर्जी आधार कार्ड दिखाकर जाति छिपाई, जबकि असल में दोनों यादव जाति से हैं। इससे गुस्साए ग्रामीणों ने कथावाचकों के साथ बर्बरता की।

इससे पहले कथावाचकों पर छेड़छाड़ और अभद्रता के आरोप में भी एफआईआर दर्ज हो चुकी थी। पुलिस ने इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया, जिससे ब्राह्मण संगठनों में नाराजगी फैल गई। उन्होंने पुलिस पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाया।

अहीर रेजीमेंट का गांव में प्रदर्शन और पथराव

घटना के बाद अहीर रेजीमेंट और यादव समुदाय से जुड़े लोग गांव में प्रदर्शन करने पहुंचे। पुलिस ने जब इन्हें रोकने की कोशिश की, तो भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया। पथराव में पुलिस की कई गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गईं। हालात बेकाबू होते देख पुलिस को हल्का बल प्रयोग और फायरिंग करनी पड़ी। कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया।

बकेवर थाने का घेराव किया गया, नारेबाजी हुई, और कथावाचकों के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने की मांग उठाई गई। प्रदर्शन के दौरान ‘अखिलेश यादव ज़िंदाबाद’ के नारे भी लगे।

अखिलेश यादव ने उठाई सरकार पर उंगली

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस घटना को यादव समाज के अपमान से जोड़ा। उन्होंने कहा कि सिर्फ जाति के आधार पर किसी विद्वान के साथ ऐसा व्यवहार करना शर्मनाक है। अखिलेश यादव ने साफ कहा कि अगर तीन दिनों में सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) समाज के मान-सम्मान की रक्षा के लिए बड़ा आंदोलन किया जाएगा।

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सीएम योगी की सख्ती, अफसरों को चेतावनी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस प्रकरण को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि ऐसे जातीय तनाव फैलाने वाले अराजक तत्वों के खिलाफ तुरंत कठोर कार्रवाई की जाए। सीएम ने कहा कि इटावा, औरैया और कौशांबी जैसी घटनाएं सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की साजिश हैं। सीएम योगी ने यह भी कहा कि पुलिस को कार्रवाई के लिए शासन के आदेश का इंतजार नहीं करना चाहिए। साथ ही, सावन और मोहर्रम जैसे त्योहारों में भी किसी भी प्रकार की नई परंपरा या उत्तेजक गतिविधि की अनुमति न दी जाए।

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