Lucknow News: उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपनी पैठ फिर से मजबूत करने के लिए कांग्रेस ने कमर कस ली है। पार्टी ने संगठन सृजन कार्यक्रम के तहत प्रदेशभर में 14 बड़ी रैलियां करने का फैसला लिया है। ये रैलियां 14 दिसंबर से 14 जनवरी के बीच आयोजित की जाएंगी और समापन एक भव्य रैली के साथ होगा। इन रैलियों में कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व शामिल होगा।
अलग-अलग वर्गों को साधने की रणनीति
कांग्रेस की योजना है कि हर रैली के जरिए किसी न किसी खास जातीय या सामाजिक वर्ग को साधा जाए। पार्टी सूत्रों के मुताबिक वाराणसी में कुर्मी समाज, मेरठ और मुजफ्फरनगर में जाट समुदाय, अलीगढ़ में लोधी समाज, झांसी में दलित समाज, लखनऊ में सवर्ण समाज (प्रबुद्ध सम्मेलन) किया जाएगा। इसके अलावा पटेल और मुस्लिम समुदाय को साधने के लिए भी अलग रैलियों का आयोजन किया जाएगा।
जिला अध्यक्षों की परफॉर्मेंस पर निगरानी
पार्टी के प्रदेश प्रभारी 7 और 8 अक्टूबर को सभी जिला अध्यक्षों की परफॉर्मेंस की समीक्षा करेंगे। जिन जिलाध्यक्षों का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा, उन्हें हटाकर नए चेहरों को मौका दिया जाएगा।
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पारंपरिक वोट बैंक पर फोकस
कांग्रेस का पारंपरिक वोट बैंक ब्राह्मण, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय रहा है। लंबे समय से पार्टी इस समर्थन को वापस पाने में असफल रही है। इस बार कांग्रेस न सिर्फ अपने पुराने वोट बैंक को वापस लाने, बल्कि अति पिछड़े वर्गों को भी साधने की कोशिश कर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये रैलियां उत्तर प्रदेश की सियासत में कांग्रेस की सक्रियता और रणनीति की नई शुरुआत साबित हो सकती हैं।
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