Lucknow News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में टेक्नोलॉजी के भविष्य पर एक महत्वपूर्ण चर्चा हुई। सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इंडिया (STPI), लखनऊ द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इकोसिस्टम और तकनीकी नवाचार जैसे विषयों पर गहन मंथन हुआ। इस दौरान दो चर्चित नाम सामने आए डॉ. प्रवीन द्विवेदी और अमित कुमार वर्मा, जिनके विचारों और योजनाओं ने कार्यक्रम की दिशा तय की।

टियर-2 शहरों को टेक्नोलॉजी हब बना रहा है STPI

वर्ष 2001 में स्थापित एसटीपीआई लखनऊ आज उत्तर प्रदेश को देश के प्रमुख टेक्नोलॉजी हब के रूप में विकसित करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के तहत काम करने वाली इस संस्था का लक्ष्य राज्य को डिजिटल विकास का केंद्र बनाना है।

युवाओं में टेक्नोलॉजी आधारित उद्यमिता को बढ़ावा देने पर जोर

डॉ. प्रवीन द्विवेदी ने इस मौके पर तकनीकी नवाचार को जमीन पर उतारने संबंधी अपनी योजनाओं को साझा किया। उन्होंने खास तौर पर उत्तर प्रदेश के युवाओं में प्रौद्योगिकी आधारित उद्यमिता को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। डॉ. द्विवेदी ने कहा, AI, IoT और डिजिटल इंडिया के विजन को STPI जमीनी स्तर पर ला रहा है।

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लखनऊ से 721 करोड़ रुपये का सॉफ्टवेयर निर्यात

अमित कुमार वर्मा ने STPI द्वारा स्टार्टअप्स को दी जाने वाली सुविधाओं जैसे इन्क्यूबेशन, इंटरनेट कनेक्टिविटी और सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि लखनऊ से सिर्फ वित्तीय वर्ष 2024-25 में ही 721.06 करोड़ रुपये का सॉफ्टवेयर निर्यात हुआ है, जो यह साबित करता है कि उत्तर प्रदेश अब “कोडिंग का गढ़” बनता जा रहा है।

एक ऐतिहासिक यात्रा

STPI की स्थापना 1991 में हुई थी, जिसका आधार 1986 की सॉफ्टवेयर नीति थी। डेटा लिंक से लेकर ईओयू (ईलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर टेक्नोलॉजी पार्क) सेवाओं तक, STPI ने खुद को “सॉफ्टवेयर सेक्टर का सुविधा प्रदाता” के रूप में स्थापित किया है। पूरे उत्तर प्रदेश से 2024-25 में 46,832.29 करोड़ रुपये का सॉफ्टवेयर निर्यात इसकी सफलता की कहानी कहता है।

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नवाबों के शहर से कोडर्स के शहर तक का सफर

लखनऊ जैसे शहर का टेक्नोलॉजी हब में तब्दील होना अब कोई सपना नहीं रहा। STPI जैसे संस्थानों और दूरदर्शी नेतृत्व ने इसे हकीकत बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। एक जमाने में जिस शहर को नवाबों और तहजीब के लिए जाना जाता था, आज वह कोडर्स, क्लाउड टेक्नोलॉजी और कनेक्टिविटी का केंद्र बन गया है। पहले यहाँ तश्तरियों में कव्वाली होती थी, आज यहाँ लैपटॉप पर बिटकॉइन माइनिंग चलती है!

इस कार्यक्रम ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उत्तर प्रदेश अब सिर्फ अपनी संस्कृति और तहज़ीब के लिए ही नहीं, बल्कि कोड, क्लाउड और कनेक्टिविटी के नए परिदृश्य के लिए भी जाना जाएगा।

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