Chitral: दुनिया अजीबों-गरीब रहस्यों से भरी पड़ी है। कई ऐसे क्षेत्र हैं जिनका अपना इतिहास है। वहाँ का अपना वातावरण है। जीवन यापन का संघर्ष है तो उनकी कुछ विशेषताएं भी हैं। ऐसा ही एक जिला चित्राल है जो दुर्भाग्यवश पाकिस्तान के खैबर पख्तुनख्वा प्रान्त की राजधानी है। यह स्थान हिन्दुकुश पर्वत माला के सबसे ऊंचे पहाड़ तिरिचमीर की तलहटी में बसा नगर है। यहाँ पुनर नदी बहती है। इस नगर में कुल तीन लाख लोग रहते हैं। इनमें दो लाख नगरीय क्षेत्र में तो शेष पास के अंचलों में बसे हैं। जिस घाटी में नगर बसा है वह 3700 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। चित्राल का स्थानीय नाम छेत्रार है। यह शब्द हिन्द आर्य भाषा परिवार की दार्दी भाषा से निर्मित है। इसका अर्थ होता है क्षेत्र।
इतिहासकारों ने चित्राल के साथ एक बड़ा अन्याय किया है। यहाँ के लोगों को वर्ण शंकर बता दिया। इस घृणास्पद मिथ्या का तर्क यह दिया है कि चित्राल के लोग विशेषत: महिलाएं इसलिए अति सुन्दर हैं कि भारतीय उपमहाद्वीप पर आक्रामक होकर आये सिकन्दर की सेना ने जब खैबर पख्तूनख्वा के निकट डेरा डाला तो यहाँ की महिलाओं पर मुग्ध होकर उनका हरण किया। जिससे इतनी सुन्दर महिलाएं उत्पन्न होने लगी। जबकि वैदिक साहित्य में चित्राल, हुंजा, गिलगित से लेकर अफगानिस्तान और सिन्ध की महिलाओं की सुन्दरता प्राचीन काल से प्रसिद्ध है।
भारत की संस्कृति के द्रोही इतिहासकारों ने अपनी लेखनी की काली स्याही से अपने ही मुंह को स्याह कर लिया। इस सम्पूर्ण क्षेत्र की महिलाएं अत्यधिक सुन्दर और अतिशय स्वाभिमानी होती हैं। जो 65 से 70 वर्ष की वय में भी युवा लड़कियों की तरह दिखायी देती हैं। चित्राल का मौसम बहुत सर्द रहता है। गर्मियां बड़ी सुखद होती हैं। चित्राल में न्यूनत तापमान -5 से -16 डिग्री तक नीचे जाता है। महिलाएं बहुत परिश्रमी होती हैं। यहाँ के लोगों को वर्ष के लगभग चार महीनों के लिए भोजन एकत्र करके रखना होता है।
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बलूचिस्तान से लेकर चित्राल तक का लगभग 78 हजार वर्ग किमी क्षेत्र वस्तुत: भारत का है। जिसे प्रथम प्रधानमन्त्री नेहरू की अदूरदर्शिता और उनके मित्र माउण्टबेटन की कूटचाल के कारण पाकिस्तान ने 1948 में हथिया लिया था।
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