आचार्य विष्णु हरि सरस्वती
ट्विटर के संस्थापक जैक डोर्सी (Jack Dorsey) ने भारत सरकार को सरेआम चाटा मारा है। उसने कह दिया कि मोदी सरकार ने धमकी पिलायी थी पर हमने धमकी को न केवल नजरअंदाज किया, बल्कि धमकी की भाषा में ही जवाब दिया। हमने भारत सरकार की इच्छानुसार न तो मोदी विरोधियों की ट्विटर एकाउंट बंद की और न ही मोदी सरकार के खिलाफ पोस्ट की सामग्रियां हटायी। सही भी यही है कि नरेन्द्र मोदी की सरकार ट्विटर और फेसबुक, यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया को भारत के कानूनों का पाठ पढ़ाने में न केवल विफल रही बल्कि उसके सामने चरणवंदना ही करती रही है। सोशल मीडिया एक ओर जहां भारत की अस्मिता, एकता व अंखडता की कब्र खोदती रहा है, वहीं दूसरी ओर भारत विरोधियों का टूल भी बनता रहा है। ट्विटर ने कई बार भारत का नक्शा गलत दिखाया और चीन-पाकिस्तान की तरफदारी की फिर भी नरेन्द्र मोदी की सरकार ट्विटर और फेसबुक तथा यूट्यूब को भारत के कानूनों का पढ़ाने की वीरता नहीं दिखायी। 2024 में नरेन्द्र मोदी को अराजक और जिहादी सोशल साइटें डोनाल्ड टम्प बना सकती हैं। सोशल साइटों के प्रसंग पर नरेन्द्र मोदी चीन का अनुशरण करने के लिए प्रेरित क्यों नहीं होते हैं।
देश को नीचा दिखाने के लिए विदेशी प्रोपेगंडा का सहारा विदेशी मां से जन्मी संतान ही ले सकती ही। जब जब महाशय राहुल नेहरु गांधी विदेश घूमने जाते है कोई ना कोई दुर्घटना या कोई ना कोई एजेंडा लेकर ही आते है। सब टूलकिट के हिसाब से चल रहा है, है ना @INCIndia वालों?? https://t.co/TlfqESlt0o pic.twitter.com/UBaaQ1WFla
— Ajay Sehrawat (मोदी का परिवार) (@IamAjaySehrawat) June 13, 2023
किसान आंदोलन (kisan andolan) के समय भारत के खिलाफ यूरोप, अमेरिका और मुस्लिम देशों के सैकड़ों स्वयं सेवी संगठन सक्रिय थे और दुष्प्रचार कर रहे थे। एक से बढ़कर एक अफवाह उड़ा रहे थे। कनाडा और सऊदी अरब से पैसा पानी की तरह बरस रहा था। किसान आंदोलन एक हथकंडा था। किसान आंदोलन को हथकंडा बना कर नरेन्द्र मोदी सरकार को हटाने का अभियान था। दुष्प्रचार का प्रभाव यह हुआ कि संयुक्त राष्ट्रसंघ और कई मानवाधिकार संगठनों ने भारत में कानून के शासन पर प्रश्न चिन्ह खड़ा किया था। अमेरिका और यूरोप भी नरेन्द्र मोदी से किसान आंदोलन को लेकर नसीहतें देने का काम किया था। खास बात यह थी कि खालिस्तानी आतंकवादी और इस्लामी आतंकवादी संगठनों ने किसान आंदोलन में अपनी भूमिका तलाशी थी और छदमवेश में किसान बन कर समस्या खड़ी कर रहे थे। मोदी सरकार द्वारा उत्पीड़न की झूठी खबर फैलायी जा रही थी।
भारत सरकार की गुप्तचर एजेंसियों की जांच में इस्लामिक और खालिस्तानी कारस्तानियां लगातार पायी जा रही थी, भारत सरकार को स्थिर करने के लिए विदेशों से धन भी आ रहे थे। धरना स्थल पर भारत विरोधी भावनाओं को सरेआम प्रदर्शन हो रहा था। गुप्तचर एजेंसियों ने इन सब के लिए ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब आदि सोशल मीडिया साइटों को दोषी मान रही थी। गुप्तचर एजेंसियों की रिपोर्ट चाकचौबंद थी। भारत सरकार ने सोशल मीडिया से भारत विखंडन से जुड़ी हुई सभी झूठी खबरों और गलत तथ्यों को हटाने के लिए कहा था। ट्विटर चूंकि प्रभावशाली और बड़ा साइट है। इसलिए ट्विटर की जिम्मेदारी बहुत ही खतरनाक थी। लेकिन ट्विटर ने मोदी सरकार की इच्छा मानने से इनकार कर दिया था और ट्विटर देशद्रोहियों के साथ खड़ा था।
ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया साइटें ब्लैकमेलर हैं और राजनीतिक हथकंडा अपनाती हैं। इसका उदाहरण डोनाल्ड ट्रम्प है। ट्रम्प ने मुस्लिम आतंकवादियों और मुस्लिम जिहादी मानसिकता से ग्रसित आबादी के खिलाफ सफल अभियान चलाया था। अवैध प्रवासियों को जेलों में डाला था। राष्टवाद को मजबूत कर रहे थे। राष्ट्रपति चुनाव के समय ट्विटर ने डोनाल्ड ट्रम्प का एकांउट संस्पेंड कर दिया था, सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि ट्रम्प के समर्थकों का एकांउट भी शिथिल कर दिया था। फलस्वरूप डोनाल्ड ट्रम्प की हार हुई। डोनाल्ड ट्रम्प के विरोधी अपने हथकंडों को आगे बढ़ाने में सफल हुए थे। आज भी डोनाल्ड ट्रम्प अपनी हार के लिए ट्विटर आदि को दोषी मानते हैं।
2024 में नरेन्द्र मोदी को हराने और उनकी छबि को खराब करने के लिए ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया तैयार बैठा हुआ है। सोशल मीडिया पर भारत विरेाधी अभियान चलता है, नरेन्द्र मोदी को तानाशाही बताने वाला अभियान चलता है। कथित तौर पर मानवाधिकार हनन का अभियान चलता है। भारत में अल्पसंख्यक आजादी नहीं होने का अभियान चलता है, भारत को एक हिंसक और विभत्स देश बताने का अभियान चलता है। मोदी सरकार को गरीब विरोधी घोषित करने का भी अभियान चलता है। खासकर ट्विटर पर करोड़ों ऐसी सामग्रियां अभी भी मौजूद हैं जो झूठी हैं, मनगढ़ंत है और राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित हैं। पर सोशल साइडें ऐसी भ्रामक, देशद्रोही और संप्रभुत्ता हनन से युक्त सामग्रियों को हटाने की कोशिश तक करने से इनकार कर देती है। सबसे बडी बात यह है कि राष्टवादियों को प्रतिबंधित करने, उनके एकांउट को निलम्बित करने और उनके एकांउट को शिथिल करने में सोशल साइटें हमेशा आगे रहती हैं पर जिहादियों, मुस्लिम मानसिकता से ग्रसित और भारत विरोधियों की झूठी और भ्रामक खबरों के बाद भी सोशल साइटों की कार्रवाई सामने नहीं आती हैं।
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नरेन्द्र मोदी की सरकार जैक डोर्सी के चाटे पर भी कोई करारा जवाब नहीं दिया। नरेन्द्र मोदी की सरकार यह क्यों नहीं महसूस करती है कि ट्विटर जैसी साइटें भारत की संप्रभुत्ता का हनन करती हैं। इनकी आवश्यकता भी क्या है? चीन में ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब जैसी साइटें नहीं हैं, प्रतिबंधित हैं। चीन किसी भी कीमत पर ट्विटर आदि की अपने यहां घुसपैठ की स्वीकृति नहीं देता है। नरेन्द्र मोदी को भी चीन का रास्ता अपनाना चाहिए। अगर ऐसी नीति नहीं अपनायी तो फिर 2024 का लोकसभा चुनाव नरेन्द्र मोदी को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। हार भी सकते हैं नरेन्द्र मोदी। निश्चित तौर पर ट्विटर आदि सोशल साइटें मोदी को ट्रम्प बनाने की कोशिश करेंगी। ट्विटर आदि से सावधान रहें नरेन्द्र मोदी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
(यह लेखक के निजी विचार हैं)
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