लखनऊ: राष्ट्रपति चुनाव में भी विपक्षी की हवा निकलती दिख रही है। शिवसेना का गठबंधन से हटकर एनडीए उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) को वोट देने के एलान के बाद अब उत्तर प्रदेश में सपा गठबंधन से हटकर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) ने राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा का साथ देने का एलान किया है। बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर हुई बैठक में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के न बुलाने से ओपी राजभर (OP Rajbhar) उनसे खफा चल रहे हैं। वैसे दोनों नेताओं के बीच एमएलसी चुनाव के बाद से ही खटास चल रही है। इसका असर अब राष्ट्रपति चुनाव पर पड़ता दिख रहा है।
सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) ने शुक्रवार को राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी के साथ जाने का एलान करते हुए कहा है कि सुभासपा राष्ट्रपति चुनाव में सीएम योगी आदित्यनाथ की बीजेपी के साथ जाएगी और पार्टी के 6 विधायक द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) को वोट करेंगे। इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि वह अभी भी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ हैं और गठबंधन में जब तक वो हैं तब तक हम रहेंगे। राजभर ने कहा कि वह अखिलेश यादव के साथ वोट देने के लिए तैयार थे।
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गौरतलब है कि राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग को लेकर सपा कुनबे में फूट पहले ही नजर आ गई थी। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को झटका देते हुए उनके चाचा और पार्टी विधायक शिवपाल सिंह यादव ने पहले ही एनडीए उम्मीद द्रोपदी मुर्मू को वोट देने की बात कह चुके है। वहीं अब गठबंधन सहयोगी ओपी राजभर ने एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा की है। ओपी राजभर की पार्टी के उत्तर प्रदेश विधानसभा में छह विधायक हैं। बता दें कि ओपी राजभर सीएम योगी के पहले कार्यकाल में बीजेपी के साथ थे। लेकिन विधानसभा चुनाव 2022 से पहले उन्होंने एनडीए गठबंधन छोड़ दिया और अखिलेश यादव के साथ आ गए। लेकिन विधानसभा चुनाव में योगी सरकार की दोबारा वापसी के बाद ओपी राजभर और अखिलेश यादव के बीच दूरियां बढ़ती जा रही हैं।
एक तरफ अखिलेश यादव जहां ओपी राजभर को किसी बैठक में शामिल करने से परहेज कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ ओपी राजभर अखिलेश यादव के राजनीतिक कुशलता पर सवाल उठाते रहते हैं। शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस के दौरान भी ओपी राजभर ने अखिलेश यादव को एसी वाला नेता बताया है। उन्होंने कहा कि सरकार के नीतियों के खिलाफ अखिलेश यादव को सड़क पर उतर कर खुद कमान संभालनी चाहिए।
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