नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने भले ही बेहतर प्रदर्शन करते हुए मुख्य विपक्षी पार्टी बनकर उभरी हो पर सत्ता से दूर रहने का खामियाजा अब पार्टी को भुगतना पड़ा रहा है। चुनाव से पहले बीजेपी में जिस तरह टीएमसी से लोग आ रहे थे। टीएमसी की सरकार बनने के बाद उसी गति से लोग अब बीजेपी छोड़कर टीएमसी में भी जाना शुरू कर दिए हैं। हालांकि टीएमसी में उन्हें कोई खास जवज्जों नहीं दी जा रही है। लेकिन इन नेताओं के पास खुद को सुरक्षित रहने का अन्य कोई विकल्प भी नहीं है। नंदीग्राम से सीएम ममता बनर्जी को हराने वाले बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी सोमवार को पार्टी विधायकों के साथ राज्य के हालातों को लेकर राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मुलाकात की है।
राज्यपाल के साथ बीजेपी विधायकों की इस बैठक में पार्टी के 74 विधायकों में से केवल 50 विधायक ही मौजूद थे। बैठक में 24 विधायकों के न शामिल होने पर सवाल उठने लगे हैं। वहीं यह भी कयास लगने शुरू हो गए हैं कि ये सभी विधायक टीएमसी का दामन थाम सकते हैं। बैठक में 24 विधायकों के न शामिल होने से राजनीतिक हिंसा के दौर से गजुर रही बीजेपी पार्टी के लिए यह बड़ा झटका माना जा रहा है। वहीं राजनीतिक गलियारों में इन विधायकों के टीएमसी में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही हैं। वहीं यह भी कहा जा रहा है कि ये विधायक शुभेंदु अधिकारी के नेतृत्व में पार्टी में नहीं रहना चाह रहे हैं।
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गोरतलब है के मुकुल राय की टीएमसी में वापसी होने के बाद यह कयास लगने शुरू हो गए थे कि अभी और नेता वापसी करेंगे। इनमें राजीव बनर्जी, दीपेंदु विश्वास और सुभ्रांशु रॉय सहित अन्य नेताओं के नाम की चर्चा चल रही है। बता दें कि मुकुल राय के टीएमसी से बीजेपी में आने के बाद से नेताओं के टूटने का सिलसिला शुरू हुआ था। ऐसे में एकबार फिर मुकुल राय की वापसी होने से अब बीजेपी में नेताओं का टूटना तय है। ज्ञात हो कि शुभेंदु अधिकारी भी विधानसभा चुनाव से पहले टीएमसी से बीजेपी में आए थे।
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