लखनऊ। भारतीय संस्कृति पर आधारित शिक्षण के माध्यम से बालकों के सर्वांगीण विकास के लिए विद्या भारती काम कर रही है, ताकि वह मानसिक व शारीरिक रूप से प्रबल बन सके और देश के विकास के लिए किसी भी क्षेत्र में अपना योगदान दे सके। उक्त बातें क्षेत्रीय संगठन मंत्री हेमचन्द्र ने सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, अलीगंज में विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र द्वारा आयोजित ज्ञान-विज्ञान मेला के उद्घाटन सत्र में कहीं। विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय संगठन मंत्री हेमचंद्र ने कहा कि विद्या भारती वर्ष 1952 से ही संस्कार युक्त शिक्षा देने का काम कर रही है। शिक्षा में संस्कार का होना अति महत्त्वपूर्ण होता है, क्योंकि संस्कार युक्त बालक ही भगवान राम की तरह आदर्शवादी मर्यादा पुरुषोत्तम बनता है या फिर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की तरह महान वैज्ञानिक। संस्कार विहीन व्यक्ति रावण की तरह राक्षस या कलयुग में ओसामा बिन लादेन जैसा उग्रवादी बनता है।
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 में भारतीय संस्कृति पर आधारित शिक्षा की संकल्पना की गयी है, जिसमें संस्कार युक्त, देशभक्ति और मानवता के कल्याण पर आधारित शिक्षा पर बल दिया गया है। इस दौरान उन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए सहयोग देने की अपील भी की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं विज्ञान आंचलिक केंद्र के उपनिदेशक स्वरूप मण्डल जी ने कहा कि विज्ञान एक ऐसा क्षेत्र है, जो लोगों को आत्मनिर्भर बनाता है। वर्तमान में भारत विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि विश्व में जो भी घटनाएं घटित हो रही हैं, उसे हम विज्ञान के माध्यम से समझ सकते हैं। जिन बच्चों में विज्ञान को लेकर रुचि है वह बहुत आगे जाएंगे। कार्यक्रम अध्यक्ष एवं केंद्रीय विद्यालय, अलीगंज की प्राचार्या संगीता यादव ने कहा कि वर्तमान की नई शिक्षा नीति बच्चों पर थोपे जाने वाली शिक्षा प्रणाली नहीं है। इसमें प्रयोग और खेल-खेल में बच्चों को सिखाने पर ज़ोर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि सभी बच्चे सोचें और कल्पना करें, फिर प्रयास करके आगे बढ़ें। कार्यक्रम में अतिथियों का परिचय प्रधानाचार्य राजेंद्र सिंह जी ने कराया और विद्यालय के पूर्व प्रबंधक और भारतीय शिक्षा समिति के मंत्री हरेन्द्र श्रीवास्तव ने आए हुए अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इस दौरान विद्यालय के भैया-बहनों द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति भी दी गयी। समापन सत्र में मुख्य अतिथि डा. बी.एन. सिंह ने कहा कि अपनी जीवन शैली ठीक करके हम स्वस्थ रह सकते हैं। जब हम स्वस्थ रहेंगे, तभी हम सफ़ल होंगे। अध्यक्षीय भाषण में जय प्रताप सिंह ने कहा कि वही देश आगे बढ़ेगा जो उच्च तकनीकि क्षमता का प्रयोग करेगा, इसको हमने कोरोना काल में कर दिखाया। प्रदेश निरीक्षक राजेन्द्र बाबू ने आये हुए सभी अतिथियों, आचार्यों, भैया-बहनों व व्यवस्था के लोगों का आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम के बाद तीन विषयों पर प्रश्नमंच, पत्रवाचन और प्रयोग की प्रतियोगिताएं हुईं, जिसमें विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के चारों प्रान्तों- काशी, गोरक्ष, कानपुर एवं अवध के आठ ग्रामीण व नगरीय क्षेत्रों से आए 40 भैया-बहनों ने प्रतिभाग किया। विज्ञान प्रश्नमंच प्रतियोगिता में अवध नगरीय से अस्मित पटेल, अनिकेत पांडेय, शशिकांत मौर्य प्रथम, काशी नगरीय से आरव सिंह, आयुष मिश्र, सत्यम मिश्र द्वितीय और गोरक्ष ग्रामीण से अभिषेक कुशवाहा, अभय सोनी, आशुतोष कुशवाहा ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। विज्ञान प्रयोग में गोरक्ष नगरीय से प्रभव पांडेय प्रथम, काशी नगरीय से संध्या तिवारी द्वितीय और अवध ग्रामीण से यश शर्मा ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
विज्ञान पत्रवाचन में गोरक्ष नगरीय से प्रियांशु शुक्ला प्रथम, अवध ग्रामीण से प्रियांशी विश्वकर्मा द्वितीय और काशी नगरीय से अर्षिता शुक्ला ने तृतीय स्थान प्राप्त किया है। इस अवसर पर विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय मंत्री जय प्रताप, सह प्रचार प्रमुख भास्कर दूबे, वरिष्ठ प्रचारक योगेश, अवध प्रांत के प्रदेश निरीक्षक राजेंद्र बाबू, रजनीश पाठक, डॉ. शैलेष मिश्रा और प्रतियोगिता के निर्णायक मण्डल की विशेष उपस्थिति रही।