गोरखपुर/ देवरिया: महान राष्ट्र के निर्माण का आधार उसके अतीत के गौरव और बलिदान में निहित होता है। राष्ट्र की भावी पीढ़ी को इससे परिचित कराना वर्तमान का दायित्व है। यह दायित्व बोध बहुत आवश्यक है। यह गर्व करने का विषय है कि सनातन वैदिक हिंदू संस्कृति से सिख पंथ जैसे बलिदानी और शक्तिशाली समाज का अभ्युदय हुआ है। संतों और सिख गुरुओं की तपस्या और उनके बलिदान को सदैव याद किया जाना चाहिए।

देवरिया सेवा समिति बनवारी लाल इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्य डॉ अजय मणि त्रिपाठी की अध्यक्षता में आयोजित वीर बाल दिवस के अवसर पर अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने यह बातें कहीं । डॉक्टर मणि ने कहा, कि अतीत के गौरव एवं बलिदान को संजोकर ही देश के नागरिक राष्ट्र निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि सिख धर्म कोई अलग धर्म नहीं है, बल्कि सनातन हिंदू संस्कृति का ही एक स्वरूप है। कोई भी राष्ट्र अपने अतीत के इतिहास गौरव, एवं बलिदान को विस्मृत कर महान नहीं बन सकता है।

Veer Balidan Diwas

विषय प्रस्तावक डॉ राजेश मिश्र ने कहा, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर मोदी ने जहां एक तरफ वीर बाल दिवस के माध्यम से बालकों के अंदर त्याग एवं बलिदान की भावना पैदा कर उत्साह भरने का कार्य किया है, तो दूसरी तरफ बच्चों के अधिकारों की रक्षा, उन्हें सुरक्षित वातावरण प्रदान करना, और उनकी शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने का भी बल प्रदान किया है। मध्यकालीन भारतीय संस्कृति धर्म एवं राष्ट्रीय संप्रभुता को अच्छुण बनाए रखने का कार्य संत कवियों और सिख गुरुओं ने किया है।

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वीरेंद्र कुमार सिंह जिला अभियान संयोजक वीर बाल दिवस ने अपने उद्बोधन में कहा, कि बलिदानी वीर बालकों के जीवन चरित्र से देश का बाल समूह समाज में मूल्यों एवं सिद्धांतों की रक्षा कर सकता है। यह तभी संभव है जब वह अनुशासन, समानता एवं भक्ति भावना के साथ कार्य को संपादित करेगा। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री प्रेम अग्रवाल ने कहा, कि इस प्रकार के कार्यक्रम से बालकों के अंदर चरित्र निर्माण एवं राष्ट्र निर्माण की भावना विकसित होती है। कार्यक्रम का संचालन सुधीर मद्धेशिया नगर महामंत्री भारतीय जनता पार्टी नगर क्षेत्र देवरिया ने किया। उक्त अवसर पर भारतीय जनता पार्टी नगर अध्यक्ष रमेश, सभासद नगर पालिका देवरिया सुभाष तिवारी, नगर मंत्री देवरिया बजरंगी त्रिपाठी, गुलाबचंद चौरसिया दीपक वर्मा, जय राम त्रिपाठी, डॉ राधेश्याम शुक्ल, रविशंकर नाथ त्रिपाठी, रविंद्र राव, अनूप शर्मा एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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