Varanasi: राष्ट्र के सक्षम और सशक्त नेतृत्व के आगे विश्व हमेशा झुकता है। आज यदि विश्व का कोई राष्ट्रध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के पैर छूता है तो वह भारत को नमन करता है। राष्ट्र की शक्ति उसके नेतृत्व की शक्ति से जुड़ी है। सनातन भारत हमेशा से विश्व के लिए पथ प्रदर्शक रहा है और आगे भी रहेगा। विगत कुछ समय को छोड़ दें, खास तौर पर मध्यकाल को, तो भारत ने हमेशा अपनी इसी सनातन शक्ति से विश्व को दिशा दी है।
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने बुधवार को काशी विद्यापीठ में उक्त उद्गार व्यक्त किए। वह संस्कृति संसद 2023 के औपचारिक उद्घाटन और शुभंकर के लोकार्पण समारोह को संबोधित कर रहे थे। अपने अत्यंत सार गर्भित और गंभीर व्याख्यान में शुक्ल ने कहा कि काशी में संस्कृति संसद का आयोजन स्वयं में सिद्ध है। यह संसद अपने उद्देश्यों में निश्चित ही सफल होगी। इस आयोजन से विश्व को एक सन्देश मिलेगा। भारत अपने ज्ञान और कौशल के साथ आगे बढ़ रहा है और वैश्विक चुनौतियों का समाधान केवल भारत के ही पास है। काशी सनातन की राजधानी है और सनातन को कभी नष्ट नहीं किया जा सकता। ऐसे समय में जब विश्व दो युद्धों की विभीषिका देख रहा है, काशी से निकले संदेश से दुनिया को निश्चित रूप से एक नई दिशा मिलेगी।
भारत की सनातन संस्कृति में ही विश्व का कल्याण निहित है, अब दुनिया भी इस तथ्य को समझने लगी है। उन्होंने महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ के गाँधी अध्ययन पीठ सभागार में शुभंकर का लोकार्पण कर संस्कृति संसद 2023 का औपचारिक शुभारम्भ किया। इसके पूर्व महात्मा गाँधी की मूर्ति पर माल्यार्पण कर राष्ट्रपिता को पुष्पांजलि दी गई।
वैदिक मन्त्रों की मंगलध्वनि और हर हर महादेव के उद्घोष के बीच हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिवप्रताप शुक्ल, अखिल भारतीय सन्त समिति के महामन्त्री स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती, श्रीकाशी विद्वत परिषद् के अध्यक्ष पद्मभूषण प्रो वशिष्ठ त्रिपाठी, श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष प्रो नागेन्द्र पाण्डेय, चकिया विधायक कैलाश खरवार, काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो आनन्द कुमार त्यागी, आयोजन समिति के सचिव सिद्धार्थ सिंह, श्रीकाशी विद्वत परिषद् के महामन्त्री प्रो रामनारायण द्विवेदी, पातालपुरी पीठाधीश्वर बालकदास और गंगा महासभा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष जयप्रकाश मिश्र ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की।
अखिल भारतीय सन्त समिति के महामन्त्री स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती ने कहा कि राष्ट्र की एकता और अखण्डता के उद्घोष के लिए संस्कृति संसद में सनातन के सभी 127 सम्प्रदायों के सन्तों का काशी आगमन हो रहा है। सनातन उन्मूलन की चुनौती का उत्तर हिन्दू समाज सनातन विजय से देगा। टूलकिट के माध्यम से सनातन धर्म पर जो हमले किये जा रहे हैं, उसका मुँहतोड़ उत्तर संस्कृति संसद में दिया जायेगा। चकिया विधायक कैलाश खरवार ने कहा, वनवासी समाज के लोगों को बरगला कर धर्मान्तरण का षड्यन्त्र चल रहा है। ऐसे आयोजन से लोगों के अन्दर जागरूकता पैदा होगी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनन्द कुमार त्यागी ने कहा कि संस्कृति से युवा जुड़ रहे है। उनमें जागरूकता आई है। भारत को ज्ञान के केन्द्र के रूप में स्थापित करना मुख्य उद्देश्य है। भारत आज विश्वगुरु बनने के मार्ग पर प्रशस्त है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीकाशी विद्वत परिषद् के अध्यक्ष पद्मभूषण प्रोफेसर वशिष्ठ त्रिपाठी, संचालन गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामन्त्री (संगठन) गोविन्द शर्मा और धन्यवाद ज्ञापन श्री काशीविद्वत परिषद् के महामन्त्री प्रो रामनारायण द्विवेदी ने किया। इस अवसर पर भारतीय संस्कृति के अध्येता संजय तिवारी और डॉक्टर एमके श्रीवास्तव द्वारा लिखित पुस्तक काशी, ज्ञान दायिनी, प्राण दायिनी, अन्नदायिनी की प्रति भी राज्यपाल को भेंट की गई। कार्यक्रम में प्रमुख रूप संयोजक देवेन्द्र प्रताप सिंह, सतीश चन्द्र मिश्रा, प्रो. नागेन्द्र सिंह, उमाशंकर गुप्ता, डॉ विश्वनाथ दूबे, विपिन सेठ, साहिल सोनकर के साथ-साथ साधु-सन्त और समाज के गणमान्य लोग उपस्थित रहे। ज्ञात हो कि अखिल भारतीय सन्त समिति, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् एवं श्रीकाशी विद्वत परिषद् के मार्गदर्शन में गंगा महासभा के द्वारा काशी में 2 से 5 नवम्बर तक संस्कृति संसद का आयोजन किया जा रहा है।
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