Uttarakhand Tunnel Accident: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के सिल्क्यारा में टनल हादसे में फंसे 41 मजदूरों की जान अभी भी फंसी हुई है। मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए हरसंभव प्रयास जारी हैं। पिछले 9 दिनों से रेस्क्यू चलाया जा रहा है, इसके लिए एक्सपर्ट की टीमें भी लगी हैं। टनल हादसे पर केंद्र सरकार नजर बनाए हुए हैं और बताया जा रहा है कि रेस्क्यू में जरूरत पड़ी तो नॉर्वे और थाईलैंड के एक्सपर्ट्स की टीम को भी बुलाया जा सकता है। केंद्र सरकार इसके लिए पूरी तरह से तैयार है।
गौरतलब है कि वर्ष 2018 में थाइलैंड की एक सुरंग में अंडर-16 फुटबाल जूनियर टीम के 17 खिलाड़ी फंस गए थे। इनको थाइलैंड ओर नॉर्वे की रेस्क्यू टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद टनल से बाहर निकाला था। जानकारी के मुताबिक, सिल्क्यारा में टनल हादसे में जारी रेस्क्यू को बीच-बीच में रोकना पड़ रहा है। 35 मीटर से ज्यादा ड्रिलिंग कर ली गई है। वहीं कुछ परेशानी आने पर बीच-बीच में रेस्क्यू रोकना पड़ रहा है। रेस्क्यू पर राज्य से लेकर केंद्र सरकार की नजर बनी हुई है। वहीं जैसे-जैसे समय बीत रहा है, लोगों की चिंताएं भी बढ़ रही हैं।
इसे भी पढ़ें: सुब्रत रॉय ने रंडिया नचायी और भाड़ पत्रकार पैदा किया
बता दें कि 12 नवंबर को दिवाली वाले दिन 6 बजे उत्तरकाशी के सिलक्यारा में टनल में अचानक से मलबा आ गया। मलबा आने से टनल में काम कर रहे 41 मजदूर फंस गए हैं। मजदूरों को निकालने के लिए रविवार सुबह 8 बजे से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हो जाता है। पूरा दिन मलबा निकालने के बाद रेस्क्यू टीम को कोई सफलता नहीं मिली। क्योंकि जो मलबा टनल से बाहर निकाला जा रहा था, वह वापस ऊपर से वापस आ जा रहा था। हादसे के आठ दिन बीत जाने के बाद भी टनल में फंसे 41 मजदूरों को कब तक बचा लिया जाएगा, यह निश्चित नहीं है। टनल में जिंदगी की जंग लड़ रहे मजदूरों को कब तक बाहर निकाला जा सकेगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। फिलहाल टनल में फंसे मजदूरों तक खाने-पीने की सामग्री भेजी जा रही है। यह सामग्री बड़ी मात्रा में भेजने के लिए ड्रिल के साथ 6 इंच की पाइप भी डाली जा रही है।
इसे भी पढ़ें: टीम इंडिया का फिर टूटा सपना