नई दिल्ली: पुष्कर सिंह धामी 23 मार्च को एक बार फिर से देवभूमि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो देहरादून के परेड ग्राउंड में बुधवार को शपथ ग्रहण समारोह के तत्काल बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी 2.0 सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में कई अहम फैसले हो सकते हैं। माना जा रहा है कि कैबिनेट पहली बैठक में ही समान नागरिक संहिता लागू करने का प्रस्ताव पारित कर सकती है। इसके अलावा अन्य जनकल्याणकारी योजना की भी घोषणा की जा सकती है। उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पद के लिए बीजेपी ने एक बार फिर से पुष्कर सिंह धामी पर भरोसा जताया है। जबकि धामी, खटीमा से चुनाव हार चुके हैं। हालांकि यह बात लगातार केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंच रही थी कि धामी को चुनाव हरवाने में पार्टी छोड़कर गए कुछ नेताओं की अहम भूमिका है। इसलिए बीजेपी ने समय रहते रणनीति बदली और लोकसभा चुनाव 2024 का मैदान भी तैयार कर दिया।
बीजेपी ने पार्टी के बाहर व अंदर ऐसी चाहत रखने वालों को करारा जवाब देते हुए पार्टी ने पुष्कर सिंह धामी को दोबारा मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया। वहीं गोवा की बात करें तो वहां भी लगातार दूसरी बार प्रमोद सावंत पर ही पार्टी ने भरोसा जताया है। यह बात सही है कि गोवा में प्रमोद सावंत पार्टी के बड़े चेहरे के रूप में उभरकर आए हैं। मगर पार्टी के लिए यह निर्णय करना आसान नहीं था। क्योंकि मुकाबला काफी कड़ा था। राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे लगातार सीएम पद की रेस में थे और प्रमोद सावंत के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। मगर 11 दिन के सस्पेंस के बाद भारतीय जनता पार्टी ने प्रमोद सावंत पर ही भरोसा जताते हुए तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया।
पार्टी के पुराने वफादारों पर भरोसा
चार राज्यों के चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी में केंद्रीय नेतृत्व के काम करने की दिशा में हल्का सा बदलाव नजर आया है। इसे ऐसे समझें, कि यूपी से स्वामी प्रसाद मौर्या, दारा सिंह चौहान सरीखे नेताओं सहित बड़ी संख्या में पार्टी विधायकों के जाने के बाद बीजेपी ने रणनीति में बदलाव किया और सीटिंग विधायकों के टिकट काटने पर रोक लगा दी। पार्टी के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो केंद्रीय नेतृत्व के पास राज्य के ही कुछ नेताओं ने यह बात पहुंचाई कि बंगाल चुनाव के समय से ही पार्टी में बड़ी संख्या में बाहरी लोगों के आने की वजह से पार्टी के अपने कार्यकर्ता नाराज चल रहे हैं। इसलिए पार्टी को अपने नेताओं पर भरोसा जताना ही पड़ेगा।
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नजरें 2024 लोकसभा चुनाव पर
बीजेपी के बड़े नेता केंद्रीय नेतृत्व को यह समझाने में कामयाब रहे कि यदि अपनों पर भरोसा नहीं किया गया तो 2024 तक कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर जा सकते हैं। यही वजह रही कि पार्टी ने विधायकों के टिकट काटने की प्रक्रिया को तुरंत रोक दिया। बीजेपी ने जीते हुए चारों राज्य मणिपुर, उत्तर प्रदेश, गोवा और उत्तराखंड में अपने पुराने चेहरों पर ही भरोसा जताया। सूत्रों की मानें तो इसके पीछे का बड़ा कारण 2024 का चुनाव है। बीजेपी ने उसकी शुरुआत अभी से कर दी है।
चुनावी राज्यों में तैयारी शुरू
भारतीय जनता पार्टी को इन राज्यों से ज्यादा से ज्यादा सीटें लोकसभा चुनाव में लाने की रणनीति पर चल रही है अगले साल भी जिन राज्यों में चुनाव हैं, पार्टी उनकी तैयारियां कर रही है। उदाहरण के तौर पर तेलंगाना को देखा जाए तो जिन 60 लोगों की टीम उत्तर प्रदेश में काम कर रही थी, उन्हीं 60 लोगों को अब तेलंगाना में पार्टी ने तैनात कर दिया है। ताकि वह चुनाव के लिए पहले से प्लेटफार्म तैयार कर सकें।
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