UP News: राजनीति में उतार चढ़ावा आता रहता है। यहां रिश्ते सियासी समीकरण पर टिके होते है। कौन कब किसका विरोधी हो जाए और विरोधी कब साथ आ जाएं कुछ कहा नहीं जा सकता। उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस तरह के उतार-चढ़ाव काफी बढ़ गया है। राज्य में बीजेपी के उभार के बाद सारे विरोधी दल एक साथ आ गए है। हालांकि यूपी विधानसभा चुनाव के बाद इन दलों में मनमुटाव भी देखा जा रहा है। उधर लोकसभा चुनाव में बसपा (Bahujan Samaj Party) गठबंधन से चुनाव लड़ने वाली सपा (Samajwadi Party) का रिश्ता यूपी विधानसभा चुनाव से पहले ही समाप्त हो गया था। सपा (Samajwadi Party) अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) बीजेपी से बागी होकर अलग होने वाले भारतीय सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, लेकिन वह प्रदेश में सरकार बनाने से चूक गए।
नतीजा चुनाव बाद दोनों अवसरवादी नेताओं के रिश्ते में खटास आ गई और एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हुए अलग हो गए। वहीं अब अखिलेश यादव आगे की चुनौतियों से निपटने के लिए नई टीम बना ली है। पार्टी से मिल रहे संकेतों से सियासी गलियारों में यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या चुनाव के समय एकबार फिर सपा-बसपा (Bahujan Samaj Party) साथ आ सकते हैं? यह चर्चा ऐसे ही नहीं लगाए जा रहे हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में दोनों दलों ने गठबंधन कर यह साबित कर चुके हैं कि सत्ता के लिए ये कुछ भी कर सकते हैं।
अखिलेश (Akhilesh Yadav) ने मायावती (Mayawati) पर नहीं बोला सीधा हमला
गौरतलब है कि सपा-बसपा (Bahujan Samaj Party) के साथ आने की कवायद इसलिए भी हो रही है, क्योंकि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने सधी रणनीति के तहत बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) पर कोई सीधा हमला नहीं बोला है। यहां चुनाव में भी अभी समय है। ऐसे में साथ आने की गुंजाइशों के बीच कयासबाजी तेज हो गई है। माना जा रहा है कि यूपी में एकबार फिर बीजेपी के विजय रथ को रोकने के लिए विपक्षी एकता दिखाने की कोशिश की जा सकती है।
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आधार विस्तार पर काम शुरू
सपा इसी मुहिम के तहत अपने परंपरागत यादव-मुस्लिम समीकरण को साधाते इनके विस्तार पर काम करना शुरू कर दिया है। जिसके तहत गैरयादव, ओबीसी को तरजीह पहले से ही दी जाने लगी है। इसके अलावा दलितों में भी सेंधमारी करते हुए सपा में आधार विस्तार की कोशिशें शुरू हो गईं हैं। अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की तरफ से बनाई गई पार्टी की नई बिग्रेड में इस मुहिम का अक्श झलक रहा है।
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