VB Singh
वीबी सिंह

भारतीय महिला क्रिकेट टीम से हर टूर्नामेंट में करोड़ों प्रशंसकों को बड़ी उम्मीदें होती हैं। खासकर जब टीम में स्मृति मंदाना और हरमनप्रीत कौर जैसी अनुभवी और प्रतिभाशाली खिलाड़ी हों, तो उम्मीदें और भी बढ़ जाती हैं। लेकिन हालिया विश्वकप में दोनों खिलाड़ियों का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है। यह वही जोड़ी है जो द्विपक्षीय सीरीज़ में रन बरसाने के लिए जानी जाती है, लेकिन विश्वकप जैसे बड़े टूर्नामेंट में आते ही उनका बल्ला मानो मौन साध लेता है।

द्विपक्षीय सीरीज़ में चमक, विश्वकप में नाकामी

स्मृति मंदाना और हरमनप्रीत कौर का रिकॉर्ड देखें तो द्विपक्षीय सीरीज़ में दोनों का औसत और स्ट्राइक रेट शानदार है। स्मृति मंदाना ने पिछले दो सालों में कई मौकों पर बैक-टू-बैक शतक ठोके हैं और टीम को जीत दिलाई है। हरमनप्रीत कौर ने भी कई बार अपनी कप्तानी पारी से टीम को मुश्किल हालात से निकाला है। लेकिन जब बात विश्वकप की आती है, तो यही खिलाड़ी दबाव में बिखर जाती हैं। बड़े मंच पर प्रदर्शन करने की क्षमता ही किसी खिलाड़ी को महान बनाती है। दुर्भाग्य से, दोनों दिग्गज खिलाड़ी इस कसौटी पर बार-बार असफल रही हैं।

दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मुकाबले ने खोली पोल

हाल ही में दक्षिण अफ्रीका महिला टीम के खिलाफ हुए मुकाबले ने भारतीय टीम की कमजोरियों को पूरी तरह उजागर कर दिया। टीम की बल्लेबाजी पूरी तरह ऋचा घोष और क्रांति गौड़ के इर्द-गिर्द घूमती नजर आई। बाकी बल्लेबाज, खासकर स्मृति और हरमनप्रीत, अपने नाम के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाईं।

जहाँ बाकी टीमों की स्टार खिलाड़ी अपने देश के लिए मैच जिताने वाली पारियां खेल रही हैं, वहीं भारतीय कप्तान और उपकप्तान मानो किसी और ही जोन में थीं, न कोई जिम्मेदारी का एहसास, न कोई सकारात्मक इरादा बल्लेबाजी में नजर आया।

कप्तानी पर उठ रहे सवाल

हरमनप्रीत कौर की कप्तानी भी इस हार का एक बड़ा कारण रही। दबाव के हालात में उनकी रणनीति पूरी तरह विफल साबित हुई।

• फील्डिंग प्लेसमेंट में कोई रचनात्मकता नहीं दिखी।
• गेंदबाजी परिवर्तन समय पर नहीं किए गए।
• और सबसे अहम बात, टीम के मनोबल को बढ़ाने में वे पूरी तरह असफल रहीं।

कप्तान का काम केवल टॉस जीतना या मैदान पर खिलाड़ियों से बात करना नहीं होता। कप्तान वह होता है जो दबाव की घड़ी में टीम को दिशा दिखाए, लेकिन हरमनप्रीत कौर की कप्तानी इस मामले में औसत दर्जे की रही है।

Smriti Mandhana and Harmanpreet Kaur

रील नहीं, रन चाहिए

फैंस और क्रिकेट विशेषज्ञ दोनों का कहना है कि स्मृति मंदाना और हरमनप्रीत कौर को अब सोशल मीडिया की “रील क्वीन” नहीं, बल्कि रन मशीन बनना होगा। भारतीय महिला क्रिकेट को इन दोनों से बहुत उम्मीदें हैं, लेकिन अगर यही हाल रहा तो टीम विश्वकप जीतने का सपना केवल सपना ही रह जाएगा। जब देश के लिए खेल रहे हों, तो प्राथमिकता कैमरे नहीं, स्कोरबोर्ड होना चाहिए।

स्मृति और हरमन की तुलना कोहली-रोहित से क्यों?

स्मृति मंदाना और हरमनप्रीत कौर को अक्सर भारतीय महिला टीम की रोहित शर्मा और विराट कोहली कहा जाता है। लेकिन इन दोनों पुरुष खिलाड़ियों की खासियत यही रही है कि वे बड़े टूर्नामेंट में टीम के लिए रन बनाते हैं। कोहली और रोहित ने कई बार विश्वकप में भारत को जीत की दहलीज़ तक पहुँचाया है, जबकि स्मृति और हरमनप्रीत का प्रदर्शन इसके ठीक उलट रहा है।

अब जवाबदेही का वक्त

भारतीय महिला टीम के लिए अब वक्त आ गया है कि वह अपनी रणनीति पर गंभीरता से विचार करे। केवल कुछ खिलाड़ियों पर निर्भर रहकर कोई टीम विश्वकप नहीं जीत सकती। ऋचा घोष और क्रांति गौड़ ने अपनी ओर से पूरी कोशिश की, लेकिन बाकी बल्लेबाजों का योगदान शून्य रहा।

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स्मृति मंदाना और हरमनप्रीत कौर को समझना होगा कि वे केवल खिलाड़ी नहीं, बल्कि रोल मॉडल हैं। उन्हें नेतृत्व का अर्थ और जिम्मेदारी दोनों को महसूस करना होगा। जब तक वे बड़े टूर्नामेंट में रन नहीं बनाएंगी, तब तक भारतीय महिला क्रिकेट की कहानी अधूरी ही रहेगी। अंतिम बात यह है कि विश्वकप जैसे टूर्नामेंट में असली स्टार वही होता है जो अपनी टीम को कठिन हालात में जीत दिलाए। स्मृति मंदाना और हरमनप्रीत कौर के पास अनुभव, प्रतिभा और अवसर तीनों हैं। अब बस जरूरत है आत्ममंथन की, ताकि अगली बार भारत के लिए ट्रॉफी जीतने का सपना पूरा हो सके।

(लेखक खेल विशेषज्ञ हैं।)

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