Poem: चली-चला!
निशाना लगाया अचूक, फिर भी साला गया चूक। आया कैसा भूचाल, जितने हम थे वाचाल, उतना है बुरा हाल। हम फेल हो गए, पटरी से उतरी रेल हो गए, टूटी…
निशाना लगाया अचूक, फिर भी साला गया चूक। आया कैसा भूचाल, जितने हम थे वाचाल, उतना है बुरा हाल। हम फेल हो गए, पटरी से उतरी रेल हो गए, टूटी…
बांहें अपनी खोल रहा है, जहर फिजां में घोल रहा है। माताजी उसको अब रोको, पप्पू ज्यादा बोल रहा है। अपनी ही धुन में रहता है, आंय-बांय कुछ भी बकता…
है राजनीति का मेरा बस इतना-सा पैमाना, मोदी को गालियों से भरपूर है खजाना। मुझको सभी कहते हैं विकलांग मानसिक हूं, फिर भी बनूंगा पीएम, मम्मी को है दिखाना। वोटों…
नयनों पर छाता मधुमास, अधरों पर खिलता ऋतुरास। अंग-अंग केसर की क्यारी, मुख जैसे जलजात बसन्ती। प्रियतम की हर बात बसन्ती! रूप सुहाना, छटा सलोनी, एक-एक है अदा सलोनी। रोम-रोम…
प्रयागराज का कुम्भ (Maha Kumbh 2025) महापर्व विश्व का सबसे बड़ा आश्चर्य है। कहीं कोई बुलावा नहीं, कहीं कोई मुनादी नहीं, देश के कोने-कोने से करोड़ों लोग कुम्भ पर संगम-स्नान…
श्याम कुमार गृहनगर इलाहाबाद में 2 नवम्बर, 1961 को पत्रकारिता में आने के बाद मैंने वहां आयोजित प्रत्येक महाकुम्भ एवं कुम्भ की जितनी गहन एवं व्यापक कवरेज की, उतनी किसी…
श्याम कुमार Happy New Year: वर्ष 1987 की घटना है। दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में कानपुर के लाजपत भवन में ‘रंगभारती’ का दशकों पुराना ‘गदहा सम्मेलन’ शीर्षक सुविख्यात अखिल भारतीय…
भारत के संविधान के संदर्भ में पिछले दिनों सर्वोच्च न्यायालय का जो फैसला आया, जिसका विवरण समाचारपत्रों में प्रकाशित हुआ, वह अत्यंत महत्वपूर्ण है तथा विद्वानों को उस पर व्यापक…
सच्चा समाजवाद एक अंधा, एक लंगड़ा, दोनों ने एक-दूसरे को पकड़ा। दोनों साथ-साथ चलने लगे, एक-दूसरे पर मरने लगे। बातों के बताशे फोड़ने लगे, राष्ट्रवाद का गला मरोड़ने लगे। उनमें…
एक दिन नाचते-नाचते पता लगा यह जो यहां आता है, कुछ सकुचाता, कुछ घबराता है, वह राजकुमार है, लुटेरे वंश की गद्दी का अकेला हकदार है। दिमाग खिल उठा, दिल…