भारत के लिए द्रोहियों की नयी चुनौती

भारत के आसमान पर घृणा और कटुता के बादल घुमड़ रहे हैं। इन बादलों की आवक पूरब और पश्चिम की विषैली हवाओं के झोंकों के साथ बढ़ती जा रही है।…

युद्ध, संकट और शांति

सृष्टि की तीन अवस्थाएं। युद्ध, संकट और शांति। संतुलन का दायित्व हमारा और आपका है। इन तीनों की उपस्थिति रहेगी ही। संस्कृति और सभ्यता के साथ इनकी समता और विषमता…

Hindu Dharm: हिंदुओं की आस्था खरीदने की कुचेष्टा

Hindu Dharm: हिंदू धर्म को अक्षय धर्म की संज्ञा दी जाती है। सनातन संस्कृति का पर्याय शब्द है हिंदू। हिंदू समाज जब दुर्बल हुआ तब भारत में सनातन संस्कृति को…

Ganga Saptami Special: मां गंगा का अवतरण और गंगा प्रवाह पूजन का महात्म्य

Ganga Saptami Special: सनातन संस्कृति के लिए मां गंगा का स्थान प्राण तत्व का है। इसीलिए मां गंगा के अवतरण, अविरल प्रवाह और इनके पूजन के अनेक पवित्र मुहूर्त वर्ष…

श्रुति और ऋषि परंपरा से संचालित होता है सनातन

सनातन संस्कृति में केवल श्रुति ही सर्वोच्च है। यहां किसी शीर्ष आचार्य या किसी एक पुस्तक की नहीं चलती। यह विश्व के कल्याण और प्राणियों में सद्भावना का मार्ग है।…

गोविन्दाचार्य और इंटरनल हिन्दू फाउंडेशन की ब्राह्मण यूनियनबाजी के प्रमाण लीजिये

कल्याण सिंह के शब्दों में काला ब्राह्मण गोविन्दाचार्य के इंटरनल हिन्दू फांउडेशन से मैंने अरविंदो पुरस्कार क्यों नहीं लिया? इसने मुझे अरविन्दो सम्मान देने की घोषणा की थी। इस संगठन…

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हमारी आस्था और संजीवनी हैं: राजा बाबू सिंह

Noida: भारतीय संस्कृति का मूलाधार सनातन संस्कृति है, जिसके संवाहक प्रभु श्रीराम विभिन्न रूपों में हम सब में प्राण वायु संचरित करते हुए जीने की राह दिखाते और निरंतर सत्कर्म…

Pitru Paksha: पितृ पूजा का मतलब प्रेतपूजा नहीं

Pitru Paksha: पितृपक्ष में पितरों की पूजा का अर्थ प्रेतपूजा कदापि नहीं है। यह ऐसी पूजा है जिसमें अपनी समस्त सनातन संस्कृति की आराधना शामिल है। समस्त ऋषि, समस्त दिशाएं,…

Pitru Paksha: पितरों के पावन दिन और श्राद्ध का विज्ञान

Pitru Paksha: सनातन संस्कृति केवल विश्वास यानी अंग्रेजी के शब्द बिलीफ पर आधारित नहीं है। यह विशुद्ध विज्ञान है। इसमें समाहित प्रत्येक सोपान का विशुद्ध विज्ञान है। इसके सभी दिन…

Pitru Paksha 2023: पितृ तीर्थ और श्राद्ध पक्ष में गया दर्शन

Pitru Paksha: यह मर्त्य लोक है। जो कुछ भी दिख रहा है, उसे निश्चित तौर पर नहीं रहना है। मर्त्य शब्द मृतिका से जुड़ा है। मृतिका अर्थात मिट्टी। जो भी…

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