Kavita: एक दृष्टि
हरिशंकरी रोपित करो बनो हरियाली के मित्र जलवायु भी ठीक हो बदले धरती का चित्र बदले धरती का चित्र ताप भी कम हो जाये मानवता के साथ ही पशु पक्षी…
हरिशंकरी रोपित करो बनो हरियाली के मित्र जलवायु भी ठीक हो बदले धरती का चित्र बदले धरती का चित्र ताप भी कम हो जाये मानवता के साथ ही पशु पक्षी…
जनगण मंगल दायक जय हे भारत भाग्य विधाता। उत्तर में कैलाश मानसर है गंग सिंधु उद्गाता। दक्षिण में है हिन्दू सागर भारत तरल तरंगा। पूरब में है वंग की खाड़ी…
लहू पीने की आदत हो गई है सियासत एक लानत हो गई है शरीफों की कहां दुनिया बची है जहां में अब शराफ़त खो गई है थी कुदरत ने हमें…
गुरु पूर्णिमा अषाढ़ी पावन, है व्यास पूर्णिमा कहलाये। प्रकृति हँसे हरियाली आए, जीवन का सच बतलाये।। हरियाली तीज झूले झूलें, सावन माह मल्हारें गायें। वृक्षारोपण करें माह भर, रक्षाबन्धन खूब…
स्वप्न संजोए आंखों में, संकल्प लिए आगे बढ़ता। संघर्षों में भी जो प्रसन्न, नित नई सीढ़ियां चढ़ता।। धैर्यवान प्रेरणा पुंज। जीवन अनुपम वरदान। कथा सदा ही याद रहे, संकल्प जिनका…
पृथ्वी का संरक्षक वन है, वन है तो जल देता घन है। जैव विविधता भी है उससे, जीवन को देता मलय पवन है।। औषधि का भंडारण है वह, धरती का…
लक्ष्मणपुरी पुनीत मनभावन, सुखद सुलक्ष्ण परम सुहावन। है कर्म साधना की शुभ घड़ी, पुनि द्वार तुम्हारे आकर खड़ी।। उठि लक्ष्य का भेदन करिए, रीते घट मिलिके सब भरिये। भारतीय गौरव…
बृजेंद्र खिल उठे हृदय का तंतु तंतु, जग उठें शीत में सुप्त जंतु। हँसती चहूं दिश होवे बयार, स्वागत को हो ऋतुराज द्वार।। जब रंगबिरंगी तितली बहकें, विविध भांति चिड़िया…
चंचल माहौर ‘स्वर’ एक आरजू उसके संग रहने की। हवाओं में संग उसके बहने की। जुस्तजू इतनी सी रहे वो मेरे साथ, आदत नहीं खुद को बदलने की।। दर्द देने…
काम पकरि लेव, लगि लेव धंधे तजि माया अरु लोभ! उमर बीस बीती है जब से, सुना रहे हैं लोग!! सुना रहे हैं लोग समय है बुरा ज़माना, दिल्ली जाकर…