‘प्रकृति नाप रही है साहस, संयम और जीवटता’
प्रकृति, जीवन में आज तक हमारी अमीरी, गरीबी, आचरण, व्यवहार, तर्क, बुद्धिमत्ता और जीवनस्तर आदि की परीक्षा लेती रही है किन्तु अब वह पूरजोर ढंग से हमारी जीवटता को, हमारे…
प्रकृति, जीवन में आज तक हमारी अमीरी, गरीबी, आचरण, व्यवहार, तर्क, बुद्धिमत्ता और जीवनस्तर आदि की परीक्षा लेती रही है किन्तु अब वह पूरजोर ढंग से हमारी जीवटता को, हमारे…
मन में उमंग अति हर्ष लिये। आया बसंत नव वर्ष लिये।। हरी भरी प्राकृति गोंद। चिड़ियों की चहचह हास्य विनोद।। संवरी वसुधा अनगिनत रंग। हस रहे पुष्प भौरों के संघ।।…