Pauranik Katha: सुदर्शन चक्र की कैसे हुई उत्पत्ति

Pauranik Katha: सुदर्शन चक्र भगवान श्री हरि विष्णु जी का शस्त्र है। यह चक्र एक ऐसा शस्त्र है, जो चलाने के बाद अपने लक्ष्य पर पहुंच कर उसे भेद कर…

Pauranik Katha: मृत्युलोक का सबसे बड़ा सच

Pauranik Katha: गरुड़ जी को द्वार पर छोड़ कर श्री हरि विष्णु जी और योगमाया शिव से मिलने अंदर चले गए। तब कैलाश की प्राकृतिक शोभा को देख कर गरुड़…

Pauranik Katha: मधु व कैटभ की उत्तपत्ति एवं वध कैसे हुआ

Pauranik Katha: मार्कंडेय पुराण एवं श्री हरिवंश पुराण में वर्णित कथाओं के अनुसार कल्पान्त में भगवान श्री विष्णु क्षीर सागर में शेष शैया पर योगनिद्रा में निमग्न थे। तभी उनके…

Pauranik Katha: देवी माँ ने किस प्रकार किया शुम्भ, निशुम्भ, चण्ड, मुण्ड और रक्तबीज का वध

Pauranik Katha: महामुनि मेधा ने राजा सुरथ और समाधि वैश्य को महा सरस्वती का चरित्र इस प्रकार सुनाया। प्राचीन काल में शुम्भ और निशुम्भ नामक दो परम पराक्रमी दैत्य उत्पन्न…

Pauranik Katha: पंचमुखी क्यों हुए हनुमान

Pauranik Katha: लंका में महाबलशाली मेघनाद के साथ बड़ा ही भीषण युद्ध चला। अंतत: मेघनाद मारा गया। रावण जो अब तक मद में चूर था राम सेना, खास तौर पर…

Pauranik Katha: जीवन की तीन महत्वपूर्ण शिक्षाएं

Pauranik Katha: पं. श्रीशान्तनु बिहारी द्विवेदी (स्वामी श्री अखण्डानन्द सरस्वती) जब लौकिक कार्य वश घर से रवाना हो रहे थे, तो उनकी माता जी ने उन्हें तीन शिक्षाएं दीं। पहली-…

Pauranik Katha: होनी बहुत बलवान है, जन्मेजय सब जानकर नहीं बच पाए

Pauranik Katha: अभिमन्यु के पुत्र राजा परीक्षित थे। राजा परीक्षित के बाद उन के पुत्र जन्मजेय राजा बने। एक दिन जन्मेजय वेदव्यास जी के पास बैठे थे। बातों ही बातों…

Pauranik Katha: महादेव का वरदान से गजासुर भक्त से बन गया बेटा

Pauranik Katha: गज और असुर के संयोग से एक असुर का जन्म हुआ। उसका मुख गज जैसा होने के कारण उसे गजासुर कहा जाने लगा। गजासुर शिवजी का बड़ा भक्त…

Pauranik Katha: जब माता सीता बन गई चण्डी

Pauranik Katha: एक समय की बात है कि भगवान श्री राम राज सभा में विराज रहे थे, उसी समय विभीषण वहाँ पहुंचे। वे बहुत भयभीत और हड़बड़ी में लग रहे…

Pauranik Katha: जब माता सीता ने कराया था श्राद्ध भोज

Pauranik Katha: भगवान श्रीकृष्ण से पक्षीराज गरुड़ ने पूछा, हे प्रभु! पृथ्वी पर लोग अपने मृत पितरों का श्राद्ध करते हैं। उनकी रुचि का भोजन ब्राह्मणों आदि को कराते हैं।…

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